चुनाव आयोग ने आम आदमी पार्टी को राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा दे दिया है। आयोग ने अरविंद केजरीवाल के नेतृत्व वाली आम आदमी पार्टी को चार राज्यों दिल्ली, गोवा, पंजाब और गुजरात में उसके चुनावी प्रदर्शन के आधार पर राष्ट्रीय पार्टी के रूप में दर्जा दिया गया है। वहीं चुनाव आयोग ने पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की पार्टी टीएमसी और शरद पवार की अगुवाई वाली एनसीपी का राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा समाप्त कर दिया है।
2024 के लोकसभा चुनाव से पहले अरविंद केजरीवाल के नेतृत्व वाली आदमी पार्टी को राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा मिलने और ममता बनर्जी की अगुवाई वाली टीएमसी और शरद पवार के नेतृत्व वाली एनसीपी का राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा खत्म होने का 2024 के चुनावी राजनीति पर क्या असर पड़ेगा इसको भी समझना जरूरी है।
मोदी के खिलाफ केजरीवाल का चेहरा होगा मजबूत?-राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा प्राप्त करने के बाद अब आम आदमी पार्टी 2024 के लोकसभा चुनाव में सीधे भाजपा को देश भर में चुनाती देने के लिए चुनावी मैदान में उतरेगी। वहीं 2024 के लोकसभा चुनाव में नरेंद्र मोदी के खिलाफ अरविंद केजरीवाल को राष्ट्रीय फलक पर एक चेहरा के रूप में स्थापित करने के लिए आम आदमी पार्टी ने अपनी पूरी चुनावी रणनीति फोकस करेगी।
गुजरात विधानसभा चुनाव में 13 फीसदी वोट शेयर हासिल करने के बाद राष्ट्रीय पार्टी के दर्ज के लिए दावे दावेदारी ठोंकने वाली आम आदमी पार्टी लगातार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर सीधा हमला कर रही है। पिछले दिनों दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को देश के इतिहास का सबसे भ्रष्ट प्रधानमंत्री और अनपढ़ प्रधानमंत्री बताकर तीखे हमले किए है। वहीं आम आदमी पार्टी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को घेरने के लिए अब “डिग्री दिखाओ अभियान” और “मोदी हटाओ-देश बचाओ” जैसे कैंपेन की शुरुआत कर दी है।
वहीं अरविंद केजरीवाल भी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को चुनौती देने के साथ अब भारत के विकास का विजन रखने लगे है औऱ मेक इंडिया नंबर-1 मिशन का आगाज कर चुके है। नरेंद्र मोदी को सीधी चुनौती दे रहे अरविंद केजरीवाल का दिल्ली विधानसभा में दिया गया यह बयान कि “कल को हो सकता है कि दिल्ली में हमारी सरकार हो” से पार्टी की चुनावी रणनीति को आसानी से समझा जा सकता है।
क्षेत्रीय क्षत्रपों में अरविंद केजरीवाल होंगे मजबूत?-चुनाव आयोग ने आम आदमी पार्टी को राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा देने के साथ टीएमसी,एनसीपी का राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा खत्म कर दिया है। अगर चुनाव आयोग के फैसले का देश की राष्ट्रीय राजनीति पर पड़ने वाले असर का विश्लेषण करे तो इसका सीधा प्रभाव सीधे 2024 के लोकसभा चुनाव पर पड़ेगा।
दरअसल इन दिनों क्षेत्रीय पार्टी के नेताओं के बीच 2024 के लोकसभा चुनाव के लिए नरेंद्र मोदी के खिलाफ खुद को एक चेहरे के तौर पर स्थापित करने की एक होड़ सी चल रही थी। जो नेता इस होड़ में शामिल है उसमें अरविंद केजरीवाल और ममता बनर्जी सबसे प्रमुख नाम शामिल है। वहीं एनसीपी प्रमुख शरद पवार का नाम विपक्ष में एक ऐसे नेता के तौर पर स्थापित है जो व्यूह रचना रचने में माहिर माने जाते है।
टीएमसी की प्रमुख ममता बनर्जी बंगाल में विधानसभा चुनाव जीतने के बाद लगातार 2024 के पहले क्षेत्रीय पार्टियों को एक मंच पर लाकर भाजपा और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को चुनौती देने की कोशिश कर रही थी। ममता की इस लड़ाई में एनसीपी (जिसका राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा खत्म हुआ है) पूरे तरह से उनके साथ थी। एनसीपी प्रमुख शरद पवार ने ममता बनर्जी के साथ मुलाकात भी की थी।
कांग्रेस के लिए चुनौती बनेगी AAP?-राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा मिलने के बाद AAP अब भाजपा के साथ कांग्रेस के लिए अधिक चुनौती बनेगी। AAP के सियासी सफर को देखा जाए तो आम आदमी पार्टी ने जिन राज्यों में सत्ता में कब्जा किया वहां वह कांग्रेस को हटाकर सत्ता में आई है। बात चाहे दिल्ली की हो या पंजाब की या गुजरात विधानसभा चुनाव की। अगर इन तीनों ही राज्यों के चुनावी आंकड़ों का विश्लेषण किया जाए तो साफ पता चलता है कि आम आदमी पार्टी की जीत हासिल करने का बड़ा कारण कांग्रेस के वोट बैंक का आम आदमी पार्टी में शिफ्ट होना है।
ऐसे में अगर कहा जाए तो आम आदमी पार्टी भाजपा से अधिक कांग्रेस को नुकसान पहुंचा कर सियासी फलक पर अपना उदय कर रही है। दिल्ली में 2013 विधानसभा चुनाव से अपना राजनीतिक सफर शुरु करने वाली आ आदमी पार्टी ने 2015 और 2020 के दिल्ली विधानसभा चुनाव में अगर प्रचंड जीत हासिल की तो इसका बड़ा कारण चुनाव से दो अन्य राष्ट्रीय राजनीतिक दल का दर्जा रखने वाले कांग्रेस और बसपा का सफाया होना था। वहीं हाल में ही हुए गुजरात विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की बुरी तरह हार के लिए आदमी पार्टी को बड़ा कारण माना गया।
वहीं आम आदमी पार्टी साल के अंत में होने वाले मध्यप्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव में भी पूरी ताकत के साथ चुनावी मैदान में उतर रही और पार्टी ने अपनाे चुनावी कैंपेन में भाजपा से अधिक कांग्रेस पर निधाना साधा रही है।
केजरीवाल ने बताया चमत्कार- आम आदमी पार्टी को राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा मिलने के बाद दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने ट्विटर पर लिखा कि कि इतने कम समय में राष्ट्रीय पार्टी? ये किसी चमत्कार से काम नहीं। सबको बहुत-बहुत बधाई।
अरविंद केजरीवाल अगर राष्ट्रीय पार्टी दर्जा मिलने को एक चमत्कार बता रहे है तो इसका कारण है। मात्र 10 साल में क्षेत्रीय पार्टी से राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा हासिल करने वाली आम आदमी पार्टी के राजनीति सफर का विश्लेषण करें तो पार्टी आज दिल्ली और पंजाब में प्रचंड बहुमत के साथ सत्ता में बैठी है, वहीं भाजपा के गढ़ गुजरात में पिछले विधानसभा चुनाव में 13 फीसदी वोट हासिल करने के साथ 5 विधानसभा सीटें भी जीत चुकेहै।
2012 में गठन, 2023 में राष्ट्रीय पार्टी-2 अक्टूबर 2012 को महात्मा गांधी की जयंती से अरविंद केजरीवाल ने आम आदमी पार्टी का गठन कर अपने राजनीतिक सफर की औपचारिक शुरुआत की थी। 2013 के दिल्ली में पहले विधानसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी ने 28 सीटों पर जीत हासिल कर अपनी दमदार उपस्थिति दर्ज कराई थी। वहीं दो साल बाद 2015 के दिल्ली विधानसभा चुनाव में अरविंद केजरीवाल की आम आदमी पार्टी ने दिल्ली की 70 सदस्यीय विधानसभा मे 67 सीटें जीतीं थी। वहीं पांच साल बाद 2020 के दिल्ली विधानसभा चुनाव में भी आम आदमी पार्टी 53.57 फीसदी वोट हासिल कर 62 सीटों के साथ दिल्ली की सत्ता से फिर से अपना कब्जा जमाया।
दिल्ली के बाद आम आदमी पार्टी ने पंजाब में अपनी गहरी पैठ बनाई। 2017 के पंजाब विधानसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी ने 23.7 फीसदी वोट हासिल करके 20 सीटें जीती थी वहीं 2022 के पंजाब विधानसभा चुनाव में 42. 01 फीसदी वोट हासिल कर 117 सीटों वाली पंजाब विधानसभा में 92 सीटों पर जीत हासिल कर प्रचंड बहुमत से अपनी सरकार बनाई।
दिल्ली में प्रतिष्ठा की लड़ाई वाले एससीडी चुनाव में आम आदमी पार्टी ने धमाकेदार जीत कर भाजपा के 15 साल के एकछत्र राज को खत्म कर दिया है। अरविंद केजरीवाल के नेतृत्व में दिल्ली में चुनावी मैदान मे कूदी आम आदमी पार्टी ने भाजपा को चुनाव में हर मोर्च पर मात दी। दिल्ली नगर निगम की 250 सीटों पर आम आदमी पार्टी ने 134 सीटों पर जीत दर्ज की है। वहीं गुजरात विधानसभा चुनाव में आदमी पार्टी ने 13 फीसदी के लगभग वोट शेयर हासिल कर 5 सीटों पर जीत हासिल की।