नई दिल्ली। गेहूं की अच्छी फसल होने की संभावनाओं के बीच सरकार ने शुक्रवार को कहा कि वह गेहूं पर मौजूदा आयात शुल्क को 10 प्रतिशत तक बढ़ाने के बारे में विचार कर सकती है।
राज्यसभा में शुक्रवार को प्रश्नकाल के दौरान कृषिमंत्री राधामोहन सिंह ने पूरक प्रश्नों के जवाब में बताया कि राजग सरकार ने देश में पहली बार गेहूं के आयात पर शुल्क लगाया था तथा इसे 10 प्रतिशत रखा गया था और बीच में गेहूं की कीमतें बढ़ने के कारण इसके आयात शुल्क को घटाकर शून्य प्रतिशत कर दिया गया था किंतु बाजार की स्थिति को देख कर फिर से 10 प्रतिशत आयात शुल्क लगा दिया गया।
विभिन्न दलों के सदस्यों द्वारा कृषिमंत्री से प्रश्न पूछने के दौरान किसानों को अच्छा मूल्य दिलाने के लिए गेहूं पर आयात शुल्क बढ़ाने की मांग पर सिंह ने कहा कि सरकार गेहूं के आयात शुल्क को मौजूदा 10 प्रतिशत से और अधिक बढ़ाने पर विचार कर सकती है।
उन्होंने कहा कि सरकार ने 28 मार्च 2017 से गेहूं पर आयात शुल्क को शून्य से बढ़ाकर 10 प्रतिशत कर दिया था। देश में इस बार दालों के अच्छे उत्पादन को देखते हुए दालों के आयात पर शुल्क लगाने के बारे में उन्होंने कहा कि तूर की दाल पर आयात शुल्क बढ़ाया गया है। उन्होंने कहा कि सरकार 6 राज्यों से तूर एवं अन्य दालों की खरीद कर रही है।
जदयू के हरिवंश द्वारा पूछे गए पूरक प्रश्न के उत्तर में उन्होंने कहा कि न्यूनतम समर्थन मूल्य केवल 22 जिंसों पर दिया जाता है। अन्य जिन्सों के मामले में बाजार हस्तक्षेप से विभिन्न योजनाओं के माध्यम से सरकार किसानों को राहत देती है।
सिंह ने स्पष्ट किया कि किसानों की आय को बढ़ाने के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य ही एकमात्र माध्यम नहीं है। इसके लिए आवश्यक है कि हर खेत तक सिंचाई सुविधा पहुंचाई जाए ताकि किसानों को समय रहते अन्य सुविधाएं दी जाएं। सरकार इन सुविधाओं को उपलब्ध कराने के लिए हरसंभव प्रयास कर रही है। (भाषा)