नई दिल्ली। देश में गेहूं के बंपर पैदावार होने के अनुमान के मद्देनजर सरकार इसके आयात पर शुल्क बढ़ाने पर विचार कर रही है।
सुबह राज्यसभा की कार्यवाही शुरू होने पर शून्यकाल के दौरान खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति मंत्री रामविलास पासवान ने समाजवादी पार्टी के रामगोपाल यादव द्वारा उठाए गए मुद्दे पर यह जानकारी देते हुए कहा कि गेहूं पर आयात शुल्क में बढ़ोतरी पर सरकार गंभीरता से विचार कर रही है और शीघ्र इस संबंध में कोई निर्णय लिया जाएगा।
उन्होंने कहा कि वर्ष 2006 से 2015 तक इस पर आयात शुल्क शून्य रहा था लेकिन वर्ष 2015 में इस पर 25 फीसदी आयात शुल्क लगाया गया था। इसी वर्ष में इसको कम कर 10 फीसदी किया गया था और फिर इसे शून्य कर दिया गया था, क्योंकि सूखे एवं ओलावृष्टि की वजह से पैदावार प्रभावित हुई थी लेकिन अब स्थिति अलग है इसलिए इस पर शुल्क में बढ़ोतरी पर विचार किया जा रहा है। अभी देश में 65 लाख टन गेहूं का अतिशेष भंडार है और चालू सीजन में 967 लाख टन गेहूं की पैदावार होने का अनुमान है।
इससे पहले यादव ने कहा कि देश के कुछ राज्यों विशेषकर गुजरात और मध्यप्रदेश में गेहूं की कटाई शुरू हो चुकी है लेकिन किसानों को न्यूनतम समर्थन मूल्य से कम पर अपनी फसल बेचने को मजबूर होना पड़ रहा है। इसके मद्देनजर गेहूं पर अभी जो शून्य प्रति आयात शुल्क है, उसे बढ़ाया जाना चाहिए।
इसके साथ ही उन्होंने इसके न्यूनतम समर्थन मूल्य में बढ़ोतरी किए जाने की मांग करते हुए कहा कि किसानों और विशेषज्ञों के अनुसार 1900 रुपए प्रति क्विंटल गेहूं की लागत आ रही है जबकि न्यूनतम समर्थन मूल्य 1650 रुपए है। (वार्ता)