नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को देश को दहला देने वाले निर्भया कांड के गुनहगार पवन की मृत्युदंड को लेकर दायर क्यूरेटिव पिटीशन सोमवार को खारिज कर दी। डेथ वारंट खारिज हो चुका है। दोषियों को फांसी देने के लिए पवन जल्लाद भी तिहाड़ जेल पहुंच गया है। हालांकि दोषियों के पास अभी भी विकल्प बचे हुए हैं।
अदालत ने दोषियों की फांसी पर रोक लगाने से भी इनकार किया है। हालांकि पवन के पास अभी राष्ट्रपति को दया याचिका दाखिल करने का विकल्प बचा हुआ है।
केंद्रीय गृह मंत्रालय की ओर से भी सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर की गई है जिसमें दोषियों को अलग-अलग फांसी दिए जाने की इजाजत मांगी। अब तीन जजों की बेंच इस मामले में 5 मार्च को सुनवाई करेगी।
निर्भया मामले में पटियाला हाउस कोर्ट दोषियों के खिलाफ 3 बार डेथ वारंट जारी कर चुकी है। हालांकि 2 बार वह तिकड़मों के सहारे फांसी की सजा टलवाने में सफल रहे हैं।
न्यायमूर्ति एन. वी. रमन, न्यायमूर्ति अरुण मिश्रा, न्यायमूर्ति आर. एफ. नरीमन, न्यायमूर्ति आर. भानुमति और न्यायमूर्ति अशोक भूषण की संविधान पीठ ने पवन की क्यूरेटिव पिटीशन खारिज कर दी। पवन की ओर से वकील ए. पी. सिंह ने यह याचिका दायर की थी। इस मामले के तीन अन्य गुनाहगारों की क्यूरिटिव पिटीशन और दया याचिकाएं पहले खारिज हो चुकी है।
राजधानी के दक्षिण दिल्ली में निर्भया के साथ 16 दिसंबर 2012 को चलती बस में सामूहिक दुष्कर्म किया था, और उसे सड़क पर फेंक दिया गया था। बाद में उसे सिंगापुर के महारानी एलिजाबेथ अस्पताल एयरलिफ्ट करके ले जाया गया था। वहां उसकी मौत हो गई थी।
इस मामले में छह आरोपियों को गिरफ्तार किया गया था, जिसमें एक नाबालिग था, जिसे तीन साल के लिए सुधार गृह भेजा गया था। एक आरोपी राम सिंह ने तिहाड़ जेल में आत्महत्या कर ली थी। चार अन्य आरोपियों - मुकेश, अक्षय, विनय और पवन - को फांसी की सजा मिली थी।