Jammu and Kashmir assembly election: सुप्रीम कोर्ट ने जम्मू कश्मीर को विशेष अधिकार प्रदान करने वाले अनुच्छेद 370 हटाने के फैसले को सही ठहराते हुए वहां 30 सितंबर 2024 से पहले विधानसभा चुनाव कराने की बात भी कही है। साथ ही शीर्ष अदालत ने निर्देश दिया है कि केंद्र शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर का राज्य का दर्जा जल्द से जल्द बहाल किया जाए।
उल्लेखनीय है कि इससे पहले जम्मू-कश्मीर में साल 2014 के नवंबर-दिसंबर महीने में विधानसभा चुनाव हुआ था। हालांकि सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों के मुताबिक पहले जम्मू कश्मीर के राज्य के दर्जे को बहाल करना होगा, उसके बाद ही वहां विधानसभा चुनाव कराए जा सकेंगे। इस बीच, सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद विधानसभा चुनाव को लेकर राजनीति गर्मा गई है।
चूंकि सुप्रीम कोर्ट ने विधानसभा चुनाव के लिए 30 सितंबर तक की डेडलाइन निर्धारित की है, ऐसे में केन्द्र सरकार लोकसभा चुनाव के साथ ही जम्मू कश्मीर में विधानसभा भी करा सकती है। या फिर जून 2024 में ओड़िशा, आंध्र प्रदेश और अरुणाचल प्रदेश के विधानसभा चुनावों के साथ यह चुनाव कराए जा सकेंगे। फिलहाल सुप्रीम कोर्ट ने गेंद केन्द्र सरकार के पाले में डाल दी है।
क्या कहा डॉ. कर्ण सिंह ने : सुप्रीम कोर्ट में संविधान के अनुच्छेद 370 को निरस्त करने वाले राष्ट्रपति के आदेश की वैधता को बरकरार रखने पर कांग्रेस नेता कर्ण सिंह ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने बहुत बारीकी से हर एक चीज को देखा है। सभी परिस्थितियों को देखते हुए सुप्रीम कोर्ट नतीजे पर पहुंची है। मैं फैसले का स्वागत करता हूं। मेरी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी प्रार्थना है कि जल्द से जल्द हमें राज्य का दर्जा दे दें। जरूरी नहीं है कि पहले चुनाव हों फिर राज्य का दर्जा मिले। चुनाव हों तो राज्य के लिए हों, केंद्र शासित प्रदेश के लिए क्यों हों। चुनाव सिंतबर तक कराने की बात कही गई है ये अच्छी बात है।
जल्द से जल्द हों चुनाव : कांग्रेस सांसद अधीर रंजन चौधरी ने कहा कि केन्द्र को जल्द से जल्द जम्मू-कश्मीर में चुनाव कराना चाहिए और पूर्ण राज्य का दर्जा भी बहाल करना चाहिए।
देश के धैर्य की हार : जम्मू कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री और PDP प्रमुख महबूबा मुफ्ती ने कहा कि हिम्मत नहीं हारें, उम्मीद न छोड़ें, जम्मू-कश्मीर ने कई उतार-चढ़ाव देखे हैं। सुप्रीम कोर्ट का आज का फैसला यह एक मुश्किल पड़ाव है, यह मंजिल नहीं है। हमारे विरोधी चाहते हैं कि हम उम्मीद छोड़कर इस शिकस्त को स्वीकार करें। यह हमारी हार नहीं यह देश के धैर्य की हार है।
Edited by: Vrijendra singh Jhala