प्रथमेश व्यास
नई दिल्ली। दिल्ली पुलिस ने सोमवार को ऑल्ट-न्यूज (Alt-News) के सह-संथापक मोहम्मद जुबैर को गिरफ्तार किया है। कुछ दिनों पहले सोशल मीडिया पर एक व्यक्ति ने दिल्ली पुलिस को टैग करते हुए जुबैर के खिलाफ शिकायत दर्ज की थी कि उन्होंने लोगों की धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाई है, उनके खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जानी चाहिए।
इस शिकायत के आधार पर दिल्ली पुलिस ने जुबैर के खिलाफ IPC की धारा 153-A (विभिन्न समूहों के मध्य दुश्मनी को बढ़ावा देने) और 295-A (धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने) के तहत एफआईआर दर्ज की थी, जिसके आधार पर सोमवार को मोहम्मद जुबैर को गिरफ्तार कर लिया गया।
कौन है मोहम्मद जुबैर?
मोहम्मद जुबैर एक भारतीय फैक्ट चेकिंग वेबसाइट ऑल्ट-न्यूज के सह-संस्थापक है, जिसकी स्थापना उन्होंने प्रतीक सिन्हा के साथ की थी, जो कि एक भौतिक विज्ञानी, वकील, मानवाधिकार एक्टिविस्ट और मुकुल शर्मा के जन संघर्ष मंच के अध्यक्ष भी रह चुके है।
जुबैर और सिन्हा ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर फैल रही फेक न्यूज का सच जनता के सामने लाने के उद्देश्य से इस न्यूज वेबसाइट की स्थापना की थी। ऑल्ट-न्यूज की टीम ने 'इंडिया मिसिनफॉर्मेड: द ट्रू स्टोरी' नामक एक पुस्तक भी लिखी है जो मार्च 2019 में रिलीज की गई थी।
करियर की शुरुआत से रहे विवादों में?
ऑल्ट न्यूज पर सबसे पहले हिंदू संत यति नरसिंहानंद, महंत बजरंग मुनि और आनंद स्वरूप द्वारा हिंदुओं के खिलाफ अभद्र भाषा बोलने और उनकी धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने के आरोप के चलते एफआईआर दर्ज की थी। यह एफआईआर हिंदू शेर सेना की सीतापुर इकाई के प्रमुख भगवान शरण की शिकायत पर दर्ज की गई थी। शरण ने कहा था कि यह शिकायत हमारे धर्म स्थल के महंतों के खिलाफ अपमानजनक टिप्पणी करके हमारी धार्मिक भावनाओं को आहत करने के संबंध में है। 27 मई 2022 को मैंने देखा कि मोहम्मद जुबैर ने राष्ट्रीय हिंदू शेर सेना के राष्ट्रीय संरक्षक बजरंग मुनि के खिलाफ आपत्तिजनक शब्दों का प्रयोग किया है। इसके अलावा जुबैर ने हिंदू संत यति नरसिंहानंद और स्वामी आनंद स्वरूप का भी अपमान किया था।
इस एफआईआर पर जुबैर ने कोई टिप्पणी नहीं की। लेकिन, लेकिन ऑल्ट-न्यूज के प्रधान संपादक प्रतीक सिन्हा ने कहा कि सत्ताधारी दल केवल चुनिंदा लोगों को टारगेट कर रहा है। जुबैर ने कभी भी सोशल मीडिया पर लोगों के बीच नफरत को बढ़ावा देने या किसी की धार्मिक भावनाओं को आहत करने लिए कोई पोस्ट नहीं डाली। उनका काम निष्पक्ष रूप से पत्रकारिता करने का है, जिसके तहत वे अभद्र भाषा और गलत सूचनाओं का पर्दाफाश करते है।
इसके बाद अगस्त 2020 में, दिल्ली पुलिस ने राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (NCPCR) के अध्यक्ष प्रियांक कानूनगो द्वारा दायर की गई एक शिकायत के आधार पर जुबैर को पॉक्सो मामले में बुक किया था। हालांकि, दिल्ली हाई कोर्ट ने उसी साल सितंबर में पुलिस को जुबैर के खिलाफ मामले में दंडात्मक कार्रवाई करने से रोक दिया था। इसके बाद NCPCR ने ट्वीट को हटाने की मांग की मांग की, लेकिन कोई जवाब नहीं आया।
इसी साल फरवरी में, दिल्ली HC ने पुलिस से अब तक की गई जांच पर आगे की स्थिति की रिपोर्ट दाखिल करने को कहा, जिसपर मई में हुई सुनवाई के दौरान, दिल्ली पुलिस ने हाई कोर्ट को बताया कि जुबैर द्वारा किया गया ट्वीट 'कोई संज्ञेय अपराध नहीं है'।
इस विवाद पर हुई गिरफ्तारी?
कुछ हफ्तों पहले एक यूजर ने ज़ुबैर द्वारा सोशल मीडिया पर शेयर किए गए फैक्ट चेक के रिप्लाई में जुबैर के लिए आपत्तिजनक शब्दों का प्रयोग किया। इसके बाद जुबैर ने उस यूजर की प्रोफाइल पिक्चर को कैप्शन के साथ साझा करते हुए जवाब दिया कि क्या आपकी प्यारी पोती को सोशल मीडिया पर लोगों को गाली देने के आपके पार्ट-टाइम जॉब के बारे में पता है? मेरा सुझाव है कि आप कृपया अपनी प्रोफाइल पिक्चर बदलें। जुबैर ने इसे शेयर करते हुए लड़की का चेहरा धुंधला कर दिया था।
इसी घटना के बाद यूजर ने अपनी पोस्ट में दिल्ली पुलिस को टैग करते हुए ऑल्ट-न्यूज के सह-संस्थापक मोहम्मद जुबैर की गिरफ्तारी को मांग की, जिसके बाद दिल्ली पुलिस ने 27 जून सोमवार को उन्हें गिरफ्तार कर लिया।
एडिटर्स गिल्ड, राहुल गांधी, ओवैसी, थरूर सहित कई लोगों ने किया गिरफ्तारी का विरोध:
मोहम्मद जुबैर की गिरफ्तारी के बाद से ट्विटर पर #IstandwithMohammadZubair ट्रेंड कर रहा है। ट्विटर पर हजारों की संख्या में लोग इसे अभिव्यक्ति की आजादी का हनन और असंवैधानिक कृत्य बता रहे हैं। कई बड़े नेता जैसे राहुल गांधी, शशि थरूर, डेरेक ओ ब्रेन, असदुद्दीन ओवैसी, जयराम रमेश आदि ने भी ट्वीट के माध्यम से ज़ुबैर की गिरफ्तारी के खिलाफ आवाज उठाई है। हाल ही में देशभर के मीडिया संस्थानों के लिए आवाज उठाने वाली संस्था एडिटर्स गिल्ड ने भी इसे 'बेहद घृणापूर्ण' करार देते हुए ज़ुबैर को जल्द से जल्द जेल से रिलीज करने की मांग की है।