Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
webdunia

जनवरी में थोक थोक मुद्रास्फीति 30 माह के उच्चतम स्तर पर

Advertiesment
हमें फॉलो करें जनवरी में थोक थोक मुद्रास्फीति 30 माह के उच्चतम स्तर पर
नई दिल्ली , मंगलवार, 14 फ़रवरी 2017 (14:32 IST)
नई दिल्ली। थोक मूल्य सूचकांक आधारित मुद्रास्फीति जनवरी में 5.25 प्रतिशत रही है जो 30 महीनों का उच्चतम स्तर है। हालांकि खाद्य कीमतों के स्थिर रहने के बावजूद वैश्विक बाजार में कच्चे तेल की कीमतों में वृद्धि से घरेलू ईंधन के दाम भी बढ़े जिससे थोक महंगाई बढ़ी।
 
थोक मूल्य सूचकांक आधारित मुद्रास्फीति कीमतों में वाषिर्क वृद्धि को दर्शाता है। दिसंबर 2016 में यह 3.39 प्रतिशत थी। इससे पहले जुलाई 2014 में यह सबसे उंचे स्तर 5.41 प्रतिशत के स्तर पर थी।
 
वाणिज्य मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार ईंधन एवं उर्जा क्षेत्र में महंगाई जनवरी में लगभग दोगुना बढ़कर 18.14 प्रतिशत रही जो दिसंबर 2016 में 8.65 प्रतिशत थी। डीजल की कीमत इस महीने में 31.10 प्रतिशत और पेट्रोल की कीमत 15.66 प्रतिशत बढ़ी।
 
कच्चा तेल उत्पादक देशों के संगठन ओपेक ने दिंसबर में आठ साल में पहली बार अपना उत्पादन कम करने का निर्णय किया था जिसकी वजह से अंतरराष्ट्रीय बाजार में इसकी कीमतें बढ़ीं और इसी वजह से घरेलू ईंधन की कीमतों पर भी दबाव पड़ा। मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार खाद्य क्षेत्र में लगातार दूसरे महीने मुद्रास्फीति में संकुचन देखा गया। जनवरी में यह शून्य से 0.56 प्रतिशत नीचे रही जबकि दिसंबर में यह शून्य से 0.70 प्रतिशत नीचे थी।
 
सब्जियों में थोक महंगाई जनवरी में शून्य से 32.32 प्रतिशत नीचे रही है जो लगातार पांचवे महीने भी महंगाई में कमी को दिखाता है। इसके पीछे अहम वजह प्याज की कीमतों में शून्य से नीचे 28.86 प्रतिशत कमी आना है।
 
दालों में थोक मुद्रास्फीति जनवरी में 6.21 प्रतिशत रही जो इससे पहले दिसंबर में 18.12 प्रतिशत थी। विनिर्मित वस्तुओं की मुद्रास्फीति जनवरी में मामूली तौर पर बढ़कर 3.99 प्रतिशत रही जो दिसंबर 2016 में 3.67 प्रतिशत थी। चीनी की कीमतें भी जनवरी में 22.83 प्रतिशत की दर से बढ़ी हैं।
 
नवंबर के थोक मूल्य सूचकांक आधारित मुद्रास्फीति के आंकड़ों में संशोधन के बाद यह 3.38 प्रतिशत रही जो पहले 3.15 प्रतिशत अनुमानित थी। थोक महंगाई में जहां वृद्धि देखी गई है वहीं खुदरा मुद्रास्फीति जनवरी में पांच साल के निचले स्तर यानी 3.17 प्रतिशत पर रही थी।
 
पिछले हफ्ते भारतीय रिजर्व बैंक ने अपनी नीतिगत दरों को अपरिवर्तित रखा था। इससे निकट भविष्य में किसी तरह की दरों में कटौती नहीं होने का संकेत मिलता है।
 
गौरतलब है कि रिजर्व बैंक ने जनवरी-मार्च तिमाही में महंगाई को पांच प्रतिशत से नीचे रखने का लक्ष्य रखा है लेकिन ईंधन की वैश्विक कीमतों में वृद्धि और विनिमय दरों में उतार-चढ़ाव से अगले वित्त वर्ष में महंगाई पर दबाव बना रह सकता है। (भाषा)

Share this Story:

Follow Webdunia Hindi

अगला लेख

ट्रंप के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार पद से फ्लिन का इस्तीफा