अशोक गहलोत कांग्रेस के लिए क्यों जरूरी 'मजबूरी'?
आज दिल्ली में सोनिया गांधी से मुलाकात करेंगे अशोक गहलोत, कांग्रेस अध्यक्ष बनने की अटकलें तेज
राजस्थान का सियासी संकट अब राजस्थान की राजधानी जयपुर से निकलकर देश की राजधानी दिल्ली शिफ्ट हो गया है। सचिन पायलट के दिल्ली पहुंचने के बाद बाद आज राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत दिल्ली आ रहे है और जहां उनकी पार्टी की कार्यकारी अध्यक्ष सोनिया गांधी से आज शाम को मुलाकात होना प्रस्तावित है।
राजस्थान में कांग्रेस के सियासी संकट के बाद कांग्रेस में इस वक्त सबसे अधिक चर्चा के केंद्र में अशोक गहलोत ही है। अशोक गहलोत कांग्रेस अध्यक्ष पद के लिए दावेदारी पेश करेंगे या राजस्थान के मुख्यमंत्री बने रहेंगे, यह अब सबसे बड़ा सवाल बन गया है।
ऐसे में जब राजस्थान में गहलोत गुट के विधायकों की खुली बगावत के बाद भी अशोक गहलोत को जिस तरह से क्लीन चिट दी गई और आज वह सोनिया गांधी से मुलाकात करने जा रहे है तब यह सवाल खड़ा हो गया है कि क्या अशोक गहलोत कांग्रेस के लिए आज एक जरूरी मजबूरी बन गए है।
बगावत के बाद भी अशोक गहलोत को क्लीन चिट-रविवार को जयपुर में गहलोत गुट के विधायकों की खुली बगावत के बाद कांग्रेस आलाकमान ने 48 घंटे बाद मंगलवार को अशोक गहलोत के क़रीबी तीन विधायकों को कारण बताओ नोटिस जारी किया है। नोटिस में इन विधायकों के व्यवहार को गंभीर अनुशासनहीनता मानते हुए 10 दिनों में जवाब मांगा गया है जबकि हालांकि अशोक गहलोत पर किसी भी तरह की कार्रवाई नहीं की गई है।
जब राजस्थान के कांग्रेस प्रभारी अजय माकन और पार्टी पर्यवेक्षक मल्लिकार्जुन खड़गे ने खुद अपने बयानों में अशोक गहलोत का नाम लिया था और साफ कहा था कि अशोक गहलोत के कहने पर ही विधायक दल की बैठक बुलाई गई थी और विधायक दल की बैठक में विधायकों का नहीं आना अनुशासनहीनता है। दिलचस्प बात यह है कि अशोक गहलोत खेमे के विधायकों को कारण बताओ नोटिस उस रिपोर्ट के आधार पर जारी किया गया है जो कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी को अजय माकन और पार्टी के वरिष्ठ नेता खडगे ने सौंपी थी।
कांग्रेस के संकटमोचक अशोक गहलोत-राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत कांग्रेस के ऐसे संकटमोचक है जो समय-समय पर कांग्रेस को विपदा के भंवरजाल से निकालते आए है। बात चाहे 2020 में राजस्थान में भाजपा के ऑपरेशन लोट्स को विफल करने की रही हो या किसी अन्य राज्य में कांग्रेस की सरकार को बचाने की, अशोक गहलोत कांग्रेस में चाणक्य की भूमिका में नजर आते है। अशोक गहलोत का कांग्रेस के अंदर सियासी कद का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि मोदी-शाह के गढ़ गुजरात में वह कांग्रेस के प्रभारी के तौर पर काम कर रहे है।
गांधी परिवार के विश्वस्त अशोक गहलोत-अशोक गहलोत कांग्रेस के उन चुनिंदा नेताओं में से एक है जो गांधी परिवार के भरोसेमंद और विश्वस्त है। ऐसे एक नहीं कई मौके आए है जब अशोक गहलोत पूरी मजबूती के साथ गांधी परिवार के साथ खड़े नजर आए। पिछले दिनों जब राहुल गांधी और सोनिया गांधी को ईडी ने पूछताछ के लिए बुलाया था, तब 71 साल के अशोक गहलोत दिल्ली की स़ड़कों पर सबसे आगे भाजपा के खिलाफ संघर्ष करते हए दिखाई दिए थे।
अशोक गहलोत गांधी परिवार की तीन पीढ़ियों के साथ काम कर चुके है। इंदिरा गांधी के वक्त से अशोक गहलोत गांधी परिवार के करीबी रहे हैं। ऐसे में पिछले तीन दिनों के एपिसोड से यह नहीं माना जाना चाहिए कि दस जनपथ एक झटके में अशोक गहलोत को साइडलाइन कर देगा। यहीं कारण है कि अशोक गहलोत अभी भी कांग्रेस अध्यक्ष पद की रेस से पूरी तरह बाहर नहीं हुए है।
राजस्थान में अशोक गहलोत का बड़ा जनाधार-राजस्थान में अशोक गहलोत का बड़ा जनाधार है। अशोक गहलोत का राजस्थान की राजनीति में अपना एक अलग वोट बैंक है। राजीव गांधी ने जब अशोक गहलोत को पहली बार राजस्थान का मुख्यमंत्री बनाया था तो कई वरिष्ठ नेताओं को नजरअंदाज किया गया था। तीन बार के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने अपनी योजनाओं के दम पर अशोक गहलोत ने राजस्थान में अपनी एक अलग छवि बनाई है और आज उनके सियासी वजूद को देखकर यह कहा जा सकता है कि राजस्थान में कांग्रेस का मतलब अशोक गहलोत ही है।
कांग्रेस संगठन की फंडिंग के बड़े स्रोत-वहीं आज राजस्थान और छत्तीगढ़ दो मात्र ऐसे प्रदेश है जहां कांग्रेस की सरकार है। राजस्थान जैसे बड़े प्रदेश में अशोक गहलोत की सरकार पार्टी के केंद्रीय संगठन के लिए फंडिग के एक बड़े सोर्स के रूप में माना जाता है। ऐसे में अगर राजस्थान में अशोक गहलोत को कांग्रेस आलाकमान हटने की कवायद करता है तो उसकी फंडिंग को लेकर भी एक बड़ा खतरा खड़ा हो जाएगा।
राजस्थान में सियासी संकट के बाद भी अशोक गहलोत को जिस तरह से क्लीन चिट दी गई है उससे उनके कांग्रेस के अध्यक्ष पद का चुनाव लड़ने की संभावना बनी हुई है। ऐसे में जब कांग्रेस अध्यक्ष पद के लिए नामांकन के लिए अंतिम दो दिन बचे है और गहलोत दिल्ली आ रहे है और सोनिया गांधी से मुलाकात करने जा रहे है, तब इस बात की संभावना से इंकार नहीं किया जा सकता है कि अशोक गहलोत राष्ट्रीय अध्यक्ष पद के लिए नामांकन भर सकते है।