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प्रियंका और माही की बीमारी के आगे क्‍यों लाचार हुए पूर्व CJI, क्‍या है उनका बंगला कनेक्‍शन

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वेबदुनिया न्यूज डेस्क

, मंगलवार, 8 जुलाई 2025 (17:49 IST)
देश के सबसे शक्‍तिशाली सीजेआई का पद। लेकिन जिंदगी में आई तकलीफें न तो आदमी का पद देखती है और न कद। कुछ ऐसी ही कहानी है देश के पूर्व चीफ जस्‍टिस ऑफ इंडिया (CJI) डीवाई चंद्रचूड़ की। वे अपनी दो बेटियों की वजह से लाचार हैं। दरअसल, पूर्व सीजेआई जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ के दिल्‍ली में सरकारी बंगला खाली ना करने को लेकर विवाद उठ गया है

इस पूरे विवाद में जस्टिस चंद्रचूड़ की दो बेटियां– प्रियंका और माही केंद्र में हैं। दरअसल दोनों बेटियों को नेमालाइन मायोपैथी नामक एक दुर्लभ आनुवंशिक बीमारी हैं। दोनों बेटियां जस्टिस चंद्रचूड़ की गोद ली हुई बेटियां हैं।

क्या है विवाद : दरअसल, विवाद जस्टिस चंद्रचूड़ के रिटायरमेंट के 7 महीने बाद भी अपने आधिकारिक आवास (5, कृष्ण मेनन मार्ग) पर तय सीमा से ज्यादा समय तक रहने को लेकर है। सुप्रीम कोर्ट जज (संशोधन) नियम, 2022 के नियम 3बी के तहत रिटायर्ड सीजेआई रिटायरमेंट के बाद अधिकतम 6 महीने तक टाइप VII बंगला (इस आवास से एक स्तर नीचे) अपने पास रख सकते हैं। अपने रिटायरमेंट के बाद उन्होंने तत्कालीन सीजेआई संजीव खन्ना से बात की थी, जो उनके उत्तराधिकारी बने थे। जस्टिस चंद्रचूड़ ने उन्हें बताया था कि उन्हें 14, तुगलक रोड बंगले में वापस जाना है, जहां वे पहले रहते थे। हालांकि जस्टिस खन्ना ने उन्हें सीजेआई बंगले में ही रहने के लिए कहा क्योंकि वे आधिकारिक आवास नहीं चाहते थे।

क्‍या कहा जस्टिस चंद्रचूड़ ने : दरअसल, जस्टिस चंद्रचूड़ की दो बेटियां– प्रियंका और माही को नेमालाइन मायोपैथी नामक एक दुर्लभ आनुवंशिक बीमारी से हैं। जिसके कारण वे व्हीलचेयर पर हैं और उन्हें विशेष देखभाल की जरूरत पड़ती हैं। जस्टिस चंद्रचूड़ ने मीडिया को बताया कि– हमारी असली चुनौती इनकी विशेष जरूरतें हैं। उन्हें रैंप की जरूरत है। यहां तक कि बाथरूम में जाने के लिए भी हमें उनकी व्हीलचेयर के लिए पर्याप्त चौड़े दरवाजे की जरूरत है। लड़कियां 16 और 14 साल की हैं। वे सब कुछ खुद करना चाहती हैं। हमें उस समय दिल्ली में कोई जगह ढूंढ़ना बेहद मुश्किल लगा था। आधुनिक फ्लैट में दो या ढाई फीट चौड़े दरवाजे होते हैं। जो व्हीलचेयर के साथ प्रवेश करने के लिए पर्याप्त चौड़े नहीं होते। बच्चे हमारे जीवन का सबसे खूबसूरत हिस्सा हैं… मुझे आश्चर्य है कि लोग इन चीजों के बारे में नहीं सोचते?

आवास में ही आईसीयू : चंद्रचूड़ ने सरकारी बंगला खाली ना करने की अपनी मजबूरी बताते हुए कहा कि उनकी दोनों बेटियों लाइलाज बीमारी से पीड़ित हैं। AIIMS और PGI चंडीगढ़ के डॉक्टरों की टीम उनकी निगरानी करती हैं और सीजेआई आवास में ही आईसीयू बनाया गया है। साथ ही उन्‍होंने कहा कि मां-बाप की दुनिया अपने बच्‍चों के इर्द-गिर्द घूमती है।

क्‍या बीमारी है बेटियों को : प्रियंका और माही को नेमालाइन मायोपैथी नामक एक दुर्लभ आनुवंशिक विकार है, जो शरीर की मांसपेशियों को प्रभावित करता है। इस विकार का वर्तमान में दुनिया में कहीं भी कोई उपचार या इलाज नहीं है। इसमें स्कोलियोसिस निगलने, सांस लेने और बोलने से संबंधित समस्याएं होती हैं। सभी अंगों को नुकसान पहुंचता है। इसलिए, उन्हें हर दिन श्वसन व्यायाम, डिस्फेगिया के लिए थेरेपी (निगलने में सहायता करने और घुटन को रोकने और अन्नप्रणाली में रुकावटों को रोकने के लिए), न्यूरोलॉजिकल व्यायाम, मांसपेशियों के क्षरण को रोकने वाली व्यावसायिक थेरेपी, स्कोलियोसिस प्रबंधन और दर्द प्रबंधन की आवश्यकता होती है। उन्हें एक विशेष आहार की आवश्यकता होती है और यह ध्यान रखा जाना चाहिए कि वे थकान से पीड़ित न हों क्योंकि यह मांसपेशियों को और खराब कर देता है।

घर पर ही बना है ICU: चंद्रचूड़ : उन्‍होंने बताया कि प्रियंका दिसंबर 2021 से श्वसन सहायता पर है और उसकी एक ट्रेकियोस्टोमी ट्यूब एक बिपैप मशीन से जुड़ी हुई है। उसे तेरह साल की उम्र में पीजीआई चंडीगढ़ में तीन बार वेंटिलेटर पर रखा गया था। ट्यूब को महीने में कई बार और कभी-कभी सप्ताह में दो बार बदलना पड़ता है। उसकी दैनिक देखभाल करने वाले ट्यूब प्रबंधन के विशेषज्ञ हैं। घर पर एक ICU सेटिंग है, जिसकी देखरेख एक आईसीयू विशेषज्ञ नर्स करती है। अपनी बेटी के बारे में बताते हुए पूर्व सीजेआई ने कहा कि प्रियंका संक्रमण के प्रति संवेदनशील है और उसे धूल, एलर्जी और संक्रमण से बचाना होता है और ट्यूब को हर दिन कई बार साफ करना पड़ता है।

कोर्ट ने कहा,खाली करे बंगला : गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट ने पूर्व सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ से उनका सरकारी आवास खाली करने को कहा है। इसे लेकर सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को एक पत्र भी लिखा है। इस पत्र में आग्रह किया गया है कि सरकार पूर्व सीजेआई से उनका पुराना आवास खाली करने का आग्रह करे।
Edited By: Navin Rangiyal

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