US President Donald Trump News: अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने एक बार कहा था- 'मोदी इज माई बेस्ट फ्रेंड'। लेकिन, हाल के दिनों में ट्रंप के रवैये पर नजर डालें तो वे कहीं भी प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के दोस्त दिखाई नहीं देते, बल्कि उनकी हरकतें कहीं न कहीं उन्हें मोदी विरोधी ही साबित करती हैं। परोक्ष रूप से तो वे पाकिस्तान के मददगार ही साबित हुए हैं। अब तो ट्रंप पाकिस्तान के दोस्त तुर्किए से भी नजदीकियां बढ़ा रहे हैं।
पाकिस्तान को कैसे मिल गया बेलआउट पैकेज : पाकिस्तान से तनाव के बीच भारत को पहला झटका तब लगा जब अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) ने विरोध के बावजूद पाक के लिए 1 अरब डॉलर का बेलआउट पैकेज को मंजूरी दे दी। भारत ने सीमा पार आतंकवाद को प्रायोजित करने के लिए इस धन के दुरुपयोग की ओर इशारा किया था, लेकिन आईएमएफ द्वारा उसकी अनदेखी की गई। वैसे पूरी दुनिया जानती है कि पाकिस्तान इस तरह की राशि के बड़े हिस्से का आतंकवाद के पालन-पोषण में ही खर्च करता है। पाकिस्तान के रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ ने एक इंटरव्यू में स्वीकार किया था कि पाकिस्तान यह 'गंदा काम' (आतंकवाद को समर्थन) अमेरिका और ब्रिटेन समेत पूरे पश्चिम के लिए करता रहा है। यह गलती थी और हम इसका खामियाजा भुगत चुके हैं।
पाकिस्तान से ट्रंप परिवार की डील : लश्कर सरगना हाफिज मोहम्मद सईद, जैश ए मोहम्मद के मुखिया मसूद अजहर जैसे कुख्यात आतंकवादी हमेशा से ही पाकिस्तान की पनाह में रहे हैं। इतना ही नहीं पाकिस्तानी सेना उन्हें सुरक्षा भी मुहैया कराती है। यदि अमेरिका चाहता तो आईएमएफ से पाकिस्तान को यह पैकेज मिलता ही नहीं। खबर तो यह भी है कि ट्रंप परिवार की 60% हिस्सेदारी वाली क्रिप्टो करेंसी कंपनी ने पाकिस्तान की क्रिप्टो काउंसिल से एक बड़ा सौदा किया है। इस मिशन पर ट्रंप के गोल्फ साथी स्टीव के बेटे जैचरी विटकॉफ समेत कई प्रतिनिधि पाकिस्तान गए थे और प्रधानमंत्री शरीफ और सेना प्रमुख जनरल आसिम मुनीर से मुलाकात की थी।
यह भारत का विरोध नहीं तो और क्या है : ट्रंप का संदिग्ध व्यवहार सबसे पहले उस समय सामने आया था, जब उन्होंने एक पर पोस्ट के जरिए भारत-पाकिस्तान के बीच युद्धविराम के ऐलान किया, जबकि ट्रंप की पोस्ट के 2-3 घंटे बाद आधिकारिक रूप से युद्धविराम की घोषणा की गई। इससे भारत को काफी असहज स्थिति का सामना करना पड़ा था। ट्रंप यहीं नहीं रुके, जब प्रधानमंत्री मोदी भारत-पाक तनाव को लेकर राष्ट्र को संबोधित करने वाले थे, उससे ठीक पहले ट्रंप की एक पोस्ट ने हलचल मचा दी।
उन्होंने फिर युद्धविराम का श्रेय लेने की कोशिश की। उन्होंने यह भी बताया कि व्यापार नहीं करने की चेतावनी देकर उन्होंने दोनों देशों को युद्धविराम के लिए मनाया। उन्होंने बार-बार युद्धविराम का सेहरा अपने माथे पर बांधने की कोशिश की। ट्रंप जिस तरह का व्यवहार कर रहे हैं, उसमें कहीं न कहीं भारत का विरोध ही दिखाई दे रहा है। भले ही वे कितनी ही दोस्ती की बातें करते हों।
दूसरी ओर, पाकिस्तान के करीबी दोस्त तुर्किए से भी अमेरिका अपनी नजदीकियां बढ़ा रहा है। पाकिस्तान को हथियारों की मदद करने वाले तुर्किए के राष्ट्रपति एर्दोगन ने अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप को लेकर एक बड़ा बयान दिया है। एर्दोगन का मानना है कि ट्रंप के खुले और रचनात्मक रवैये के कारण तुर्की पर लगे अमेरिका के CAATSA प्रतिबंधों को जल्द ही खत्म कर दिया जाएगा। उन्होंने ट्रंप को अपना दोस्त भी बताया। दरअसल, अमेरिका ने तुर्की पर काट्सा (CAATSA) प्रतिबंध 2020 में लगाए थे। यह प्रतिबंध नाटो सदस्य होने के बावजूद रूस से S-400 मिसाइल डिफेंस सिस्टम खरीदने पर लगाया गया था। हालांकि, तुर्की ने कभी भी S-400 मिसाइल सिस्टम का उपयोग नहीं किया।
कहीं यह कारण तो नहीं : युद्ध रुकवाने के लिए जिस तरह ट्रंप ने व्यापार का हवाला दिया था, उससे ऐसा लग रहा है कि अमेरिकी राष्ट्रपति भारत पर अपनी शर्तों पर व्यापार करने के लिए दबाव बनाना चाहते हैं। उन्होंने हाल ही में कहा भी था कि भारत ने जीरो टैरिफ पर व्यापार करने की पेशकश की है। हालांकि ट्रंप के बयान के समर्थन में अब तक कोई प्रतिक्रिया सामने नहीं आई है। वैसे इतिहास पर नजर डालें तो कह सकते हैं कि अमेरिका या ट्रंप किसी के भी सगे नहीं हो सकते।