मध्यप्रदेश के शाजापुर जिले के कालापीपल में कुख्यात आईएस आतंकियों द्वारा ट्रेन में किए गए धमाके से लोगों में दहशत का माहौल है। सुरक्षा एजेंसियां भी इस बात को लेकर सतर्क हो गई है कि शांति का टापू कहे जाने वाले मालवा को आतंकियों ने अपना निशाना क्यों बनाया?
सुरक्षा एजेंसियों द्वारा पिपरिया से तीन संदिग्धों की गिरफ्तारी और मंगलवार देर शाम उत्तरप्रदेश के लखनऊ, कानपुर में बैठे आतंकी से घटना के तार जुड़ना एक बड़ी आतंकी साजिश की ओर इशारा करते हैं। गनीमत यह रही कि कोई बहुत बड़ा हादसा नहीं हुआ।
माना जा रहा है कि यह धमाका आईएस की ओर से दिया गया कोई बड़ा संकेत हैं। इस पूरे मॉड्यूल में 10 आंतकियों के शामिल होने की बात कहीं जा रही है। इनमें से पांच अभी भी फरार है।
मध्यप्रदेश में पहले भी कई कुख्यात सिमी आतंकी पकड़ाए हैं पर यहां पहली बार इस तरह की आतंकी घटना को अंजाम दिया गया है। आतंकी हमले में अमोनियम नाइट्रेट का इस्तेमाल किया गया।
इससे पहले भी कानपुर-इंदौर एक्सप्रैस को आतंकियों ने अपना निशाना बनाया था। इस हादसे के बाद से ही रेलवे पर आतंकियों की बुरी नजर लगी हुई है। आतंकियों का मध्यप्रदेश को इन घटनाओं के लिए चुनना इस बात के भी संकेत देता है कि ये दरिंदे अब देश के शांत इलाकों में उथल पुथल मचाना चाहते हैं।
पिपरियां में गिरफ्तार आतंकियों से बरामद विस्फोटक सामग्री से इसी तरह के दो अन्य बम बन सकते हैं। यह भी पता चला है कि पकड़े गए युवाओं पर मध्यप्रदेश में किसी भी तरह से धमाके करने का दबाव था। वो तो भला हो सुरक्षा एजेंसियों का, उनकी सजगता से ही बड़ा हादसा होने से टल गया और देश को एक खतरनाक आतंकी से भी मुक्ति मिली।
हाल ही में भोपाल में एक बड़े गिरोह का खुलासा हुआ था जो पाकिस्तान के कॉल्स को लोकल में तब्दिल कर देता था। इसमें भाजपा से जुड़े कई लोगों के नाम भी सामने आए थे। सुरक्षा एजेंसियों को उस समय सतर्क हो जाना चाहिए था लेकिन यहां हुई चूक भारी पड़ गई और आतंकियों ने आखिरकार शाजापुर में इस घटना को अंजाम दे ही दिया।