Why Rafale was chosen for operation sindoor : 6 और 7 मई 2025 की मध्य रात्रि भारत ने ऑपरेशन सिन्दूर को अंजाम देते हुए पहलगाम आतंकी हमले का करारा जवाब दिया। इस ऑपरेशन में राफेल विमान ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। इन्हीं विमानों की मदद से स्कैल्प मिसाइल दागी गईं। राफेल ने इस ऑपरेशन में पाकिस्तान में हाहाकार मचाने का काम किया। असल में स्टॉर्म शैडो या स्कैल्प एक ऐसा हथियार है जिसे लड़ाकू विमान से ही दागा जाता है और इस काम के लिए राफेल विमान सबसे ज्यादा सही चुनाव है। राफेल की घातक क्षमता और ऑपरेशन की ज़रूरतों को देखते हुए, इसका चुनाव स्वाभाविक ही लगता है। लेकिन आखिर क्या थीं वे खास वजहें, जिनके चलते राफेल को इस महत्वपूर्ण मिशन के लिए प्राथमिकता दी गई? आइए जानते हैं:
राफेल-स्कैल्प की जांबाज जोड़ी:
ऑपरेशन सिन्दूर में राफेल विमानों का इस्तेमाल स्कैल्प मिसाइलों को दागने के लिए किया गया। यह जोड़ी दुश्मन के ठिकानों पर अचूक और गहरी मार करने की क्षमता रखती है। स्कैल्प एक लंबी दूरी की क्रूज मिसाइल है, जिसे यूरोपीय डिफेंस कंपनी एमबीडीए ने विकसित किया है। इसकी सबसे बड़ी खूबी यह है कि यह दुश्मन की हवाई सुरक्षा प्रणालियों को चकमा देने में माहिर है और अपने लक्ष्य को सटीकता से भेद सकती है। 1300 किलोग्राम वजन वाली स्कैल्प मिसाइल में करीब 400 किलोग्राम तक विस्फोटक सामग्री ले जाने की क्षमता होती है। राफेल की उच्च गति और लंबी दूरी तक उड़ान भरने की क्षमता स्कैल्प मिसाइल को दुश्मन के इलाके में गहराई तक ले जाने और उसे लॉन्च करने के लिए एक आदर्श प्लेटफॉर्म प्रदान करती है।
चौथी पीढ़ी का बहु-भूमिका लड़ाकू विमान:
राफेल सिर्फ एक मिसाइल वाहक नहीं है, बल्कि यह चौथी पीढ़ी का एक बहु-भूमिका वाला लड़ाकू विमान है। इसका मतलब है कि यह एक साथ कई तरह के मिशनों को अंजाम देने में सक्षम है। ग्राउंड सपोर्ट, दुश्मन के इलाके में गहराई तक हमला, और एंटी-शिप अटैक इसकी कुछ प्रमुख क्षमताएं हैं। यह जेट एक बार में 3700 किमी तक का सफर तय कर सकता है।
दमदार भार वहन क्षमता और लंबी उड़ान दूरी:
राफेल एयरक्राफ्ट 9500 किलोग्राम तक का भार उठाने में सक्षम है और अधिकतम 24500 किलोग्राम वजन के साथ उड़ान भर सकता है। इसका मतलब है कि यह एक साथ कई तरह के हथियार, मिसाइलें और ईंधन लेकर लंबी दूरी तक मिशन को अंजाम दे सकता है। ऑपरेशन सिन्दूर में, संभवतः राफेल को लंबी दूरी तक उड़ान भरने और अपने लक्ष्यों तक पहुंचने के लिए भारी मात्रा में ईंधन और हथियारों के साथ तैनात किया गया होगा। इसकी एक बार में 3700 किमी तक की उड़ान दूरी इसे ऑपरेशन के थिएटर में लचीलापन प्रदान करती है।
उच्च गति और फुर्तीलापन:
राफेल की अधिकतम रफ्तार 1389 किमी/घंटा है। यह इसे दुश्मन के विमानों को चकमा देने और तेजी से अपने लक्ष्य तक पहुंचने में मदद करता है। एक लड़ाकू विमान के लिए गति और फुर्तीलापन बेहद महत्वपूर्ण होते हैं, खासकर हवाई युद्ध और दुश्मन के इलाके में घुसपैठ के दौरान। राफेल इन दोनों ही मामलों में उत्कृष्ट प्रदर्शन करता है।
ऑपरेशन सिन्दूर के लिए राफेल का चुनाव:
ऑपरेशन सिन्दूर की विशिष्ट ज़रूरतों, दुश्मन की संभावित क्षमताओं और भौगोलिक परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए राफेल एक बेहतरीन विकल्प साबित हुआ। इसकी लंबी दूरी की मारक क्षमता, बहु-भूमिका निभाने की क्षमता, उच्च गति और भारी भार वहन क्षमता ने इसे इस ऑपरेशन के लिए सबसे उपयुक्त लड़ाकू विमान बना दिया। राफेल और स्कैल्प मिसाइल की जोड़ी ने ऑपरेशन सिन्दूर को सफलता पूर्वक अंजाम देने में महत्वपूर्ण योगदान दिया, जिससे भारतीय वायुसेना की ताकत और आधुनिकता एक बार फिर साबित हुई। यह चुनाव न केवल सामरिक दृष्टि से महत्वपूर्ण था, बल्कि इसने यह भी दर्शाया कि भारत अपनी रक्षा जरूरतों को पूरा करने के लिए आधुनिकतम तकनीक और उपकरणों को अपनाने के लिए प्रतिबद्ध है।