कहते हैं मोदी सरकार ने दूरदर्शी बजट दिया है, अर्थशास्त्री और उद्योग जगत के लोग बजट की जमकर सराहना कर रहे हैं लेकिन आम आदमी को इस बार का बजट समझ ही नहीं आ रहा है। इधर यूपी समेत 5 राज्यों के चुनाव सिर पर हैं, हर वर्ग राहत की आस में सरकार की ओर देख रहा था, लेकिन 2022 के बजट में किसी बड़ी जनहितैषी योजना की घोषणा नहीं की गई। और तो और टैक्स भी नहीं घटाया। आम आदमी को बजट में कुछ समझ ही नहीं आया और सरकार ने इसे 2047 का ब्लूप्रिंट बता दिया।
22 साल पहले वर्ष 2000 में पूर्व राष्ट्रपति डॉक्टर एपीजे अब्दुल कलाम ने भारत को 'एक विकसित राष्ट्र' के रूप में देखने का सपना बुना था। उनकी अगुवाई में 500 एक्सपर्ट्स की एक टीम ने डिपार्टमेंट ऑफ साइंसेज एंड टेक्नोलॉजी के तहत विजन-2020 के नाम से एक विस्तृत दस्तावेज तैयार किया था। यह 20 वर्षों में भारत को एक समग्र विकसित देश के तौर पर स्थापित करने का संपूर्ण रोडमैप था।
अब सवाल यह है कि क्या पीएम मोदी ने भी 2047 के भारत की परिकल्पना कर ली है? क्या 2024 के चुनाव में वह विजन 2047 लेकर सामने आएंगे। बहरहाल आइए जानते हैं कि भारत सरकार में संवैधानिक निकाय में वरिष्ठ सलाहकार और अर्थशास्त्री नेहा गुप्ता से क्यों इस बजट को 2047 के भारत का ब्लू प्रिंट कहा जा रहा है?
भारत वर्ष 2022 को आजादी के अमृत महोत्सव यानी 75वें वर्ष पूर्ण होने की खुशियां मना रहा है। वहीं साथ ही साथ राजनीतिक इच्छाशक्ति भारत को वैश्विक गुरु और आत्मनिर्भर भारत बनाने के लिए समुचित प्रयास कर रही है। इसकी एक छोटी-सी झलक बजट 2022 में देखने को मिल रही है।
यदि हम अर्थशास्त्र की दृष्टि से विश्लेषण करें तो वैश्विक शक्ति बनने के लिए हमें आर्थिक विकास की मूलभूत आवश्यकताओं को न केवल पूरा करना होगा वरन उन्हें प्रतिस्पर्धात्मक रूप से अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मजबूत बनाना होगा। इससे विकास और आर्थिक ग्रोथ को स्वत: चलित मोड पर प्रबंधित किया जा सके।
बजट 2022 वास्तविकता में भारत की आजादी के शताब्दी वर्ष मनाने की तैयारी की दिशा में एक प्रामाणिक पहल है। जैसे इस साल के बजट में केपेक्स यानी केपिटल एक्सपेंडिचर में 34.5 प्रतिशत की वृद्धि की गई है। अर्थशास्त्र में कहा जाता है कि सोशल ओवरहेड कैपिटल (यानि इंफ्रास्ट्रक्चर, कनेक्टिविटी, कम्यूनिकेशन के साधन) आर्थिक ग्रोथ को टैक ऑफ करने के लिए एक पूर्व निर्धारित शर्त है। इस सिद्धांत को ध्यान में रखते हुए सरकार ने पूंजीगत व्यय में विशाल वृद्धि की है।
साथ ही 'क्राउड इन' अवधारणा पर भरोसा जताया है। क्राउड इन का मतलब होता है कि सरकारी निवेश और मूलभूत बुनियादी अधोसंरचना पर निजी निवेश में गुणक बढ़ोतरी होगी। आत्मनिर्भर भारत के सपनों को साकार बनाने के लिए निजी निवेश के चक्र को प्रोत्साहित करना आज की महती आवश्यकता है।
नीति आयोग में सलाहकार के रूप में कार्य कर चुकीं डॉ. गुप्ता ने बताया कि यह बजट दूरदर्शी है क्योंकि आज की युवा पीढ़ी के प्रतिमानों को देखते हुए इस साल का बजट कौशल विकास, उद्यमिता और MSME सेक्टर को बढ़ावा देने और बिजनेस फ्रैंडली इनवायरमेंट के लिए प्रतिबद्ध है। साथ ही बजट रक्षा क्षेत्र में उत्पादन को भी प्रोत्साहन दे रहा है, जो भारत को समुचित तौर पर आत्मनिर्भर बनाने की तैयारी को दर्शाता है।
डिजिटल असेट्स पर 30 प्रतिशत का कर लगाया गया है और भारत डिजिटल करेंसी भी जारी करने वाला है। यह देश के नए फ्रंट्स पर होने वाली तैयारी की शुरुआत को परिलक्षित करता है। हालांकि ब्लॉकचेन टेक्नोलॉजी और इनसे संबंधित पहलुओं पर गहराई से शोध कर नीति निर्धारित किए जाने की जरूरत है।
अर्थशास्त्री डॉ. गुप्ता के अनुसार, जिस प्रकार वैश्विक स्तर की अधोसंरचना और डिजिटल करेंसी की ओर भारत अग्रसर है, उसी तरह यह बजट सीमांत वर्ग को मुख्य धारा से जोड़ने के प्रयास में भी किसी स्तर पर कमतर नहीं है।
भारत की एकाधिकार पोस्ट सर्विस की पहुंच देश के दूरदराज इलाकों तक है। संसाधनों का उच्चतम उपयोग करते हुए 1.5 लाख पोस्ट ऑफिस को वित्तीय समावेश के लक्ष्य को पूर्ण करने के साथ ही यह समावेशशील और अक्षय विकास के लक्ष्य को भी पूर्ण करने में सक्षम होगा। जनजातीय वर्ग के युवाओं को उद्यमी और स्वरोजगारी बनने के लिए योजना बनाई गई है।
अंतत: सबसे जरूरी पहलू भारतीय कृषि। भारत एक कृषि प्रधान देश है और सामान्यतया यह माना जाता है कि कृषि से इंडस्ट्री और मेन्यूफैक्चरिंग पर परिवर्तन की जरूरत है। इस बजट ने भारतीय कृषि को कैमिकल फ्री और प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने के प्रयासों का लक्षित करते हुए विश्व की सबसे बड़ी समस्या जलवायु परिवर्तन और पारिस्थितिकी विकृति को कम करने के लिए सराहनीय कदम बढ़ाया है।
इस प्रकार भारत के बजट 2022 में अर्थव्यवस्था, अधोसंरचना, अद्यतन तकनीकी, आधुनिक वैज्ञानिक परिपेक्ष्य के साथ ही स्वतंत्रता के 100 वर्ष पूर्ण होने के मौके पर एक 'नए भारत' की परिकल्पना को प्रस्तुत करता है।