Youtube Removed Deepfake Videos: एक तरफ एआई और डीपफेक कई मामलों में सहूलियत बन गया है वहीं इन दिनों इसका गलत इस्तेमाल भी हो रहा है। सोमवार को यूट्यूब की तरफ से जानकारी दी गई कि ओर से प्रेस कॉन्फ्रेंस में कंपनी ने जानकारी दी है कि उन्होंने अपने प्लेटफार्म से 22 लाख वीडियो हटाए हैं। जानते हैं आखिर क्यों गूगल ने लिया ये एक्शन।
दरअसल, इन दिनों डीपफेक वीडियोज चुनौती बने हुए हैं। सरकार डीपफेक और मिस इंफॉर्मेशन से निपटने की भी खास तैयारी कर रही है। कुछ दिन पहले सरकार ने एक एडवाइजरी जारी की थी, जिसके बाद से सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स ने कई वीडियो डिलीट किए थे। वहीं सोमवार को यूट्यूब की ओर से प्रेस कॉन्फ्रेंस में गूगल ने बताया कि पिछले साल अक्टूबर से लेकर दिसंबर तक उन्होंने अपने प्लेटफॉर्म से 22 लाख वीडियो डिलीट किए हैं।
क्या था, क्यों हटाए वीडियो : जानकारी के मुताबिक ये ऐसे वीडियोज थे जो प्लैटफॉर्म की कम्युनिटी गाइडलाइंस का उल्लंघन कर रहे थे। इन वीडियो में भड़काने वाली बातें कही गई थी और ये हिंसा से जुड़े कंटेंट की कैटेगरी में शामिल थे। प्रेस कॉन्फ्रेंस में कंपनी ने यह भी बताया कि ऐसे कंटेंट की पहचान करने के लिए वे कई नए टूल्स का यूज कर रहे हैं। इन टूल्स की मदद से सेंसिटिव केटेगरी वाले कंटेंट का मिनटों में पता लगाया जा सकता है। जल्द ही कंपनी इस स्पेशल टूल से यूजर्स को ये भी बताएगी कि कोई कंटेंट AI जनरेटेड तो नहीं है। साथ ही ऐसे वीडियो पर एक लेबल भी दिखेगा।
एडवाइजरी जारी की थी : बता दें कि इसे लेकर आईटी मंत्रालय की ओर से मार्च में एक एडवाइजरी भी जारी की गई थी, जिसमें सोशल मीडिया कंपनियों से यह कहा गया था कि वे ऐसे सभी वीडियो की जानकारी दें जिन्हें AI यानी आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की मदद से बनाया गया है। इसके अलावा इंफॉर्मेशन पैनल के जरिए उन टॉपिक्स के बारे में इंफॉर्मेशन दें। अगर कोई वोटिंग से जुड़े वीडियो सर्च करे तो उन्हें सबसे पहले हाउ टू वोट या फिर हाउ टू रजिस्टर टू वोट जैसे वीडियो पहले दिखाई दें।
इन फर्जी चैनल्स की हुई पहचान : पीआईबी की फैक्ट चेक यूनिट ने पिछले साल दिसंबर में ऐसे 9 फर्जी चैनल्स की पहचान की थी जो फेक न्यूज फैला रहे थे। यह कहना गलत नहीं होगा कि इस बार डीपफेक किस तरह चुनाव पर असर डाल सकता है, इससे न सिर्फ सरकार बल्कि सोशल मीडिया कंपनियां भी चिंतित हैं। बता दें कि भारत में इस साल लोकसभा चुनाव होने जा रहे हैं, जिसके परिणाम 4 जून को आएंगे। ऐसे में कई राजनीतिक दल भी एआई की मदद से चुनाव के प्रचार प्रसार की योजनाओं पर काम कर रहे हैं। ऐसे में आशंका है कि एआई का गलत इस्तेमाल भी हो सकता है, जिसे कंट्रोल करने के लिए गूगल ने यह एक्शन लिया है।
Edited by: Navin Rangiyal