मोदी सरनेम मानहानि केस में राहुल गांधी को सुप्रीम कोर्ट से बड़ी राहत मिलने के बाद अब सबकी नजरें लोकसभा स्पीकर पर टिक गई है। मानहानि केस में 2 साल की सजा मिलने के बाद राहुल गांधी की संसद की सदस्यता रद्द कर दी गई थी, ऐसे में अब जब राहुल को सुप्रीम कोर्ट से राहत मिल गई है तब अब राहुल की संसद सदस्यता बहाल होने का रास्ता साफ हो गया है। ऐसे में अब सबकी नजरे लोकसभा स्पीकर ओम बिरला पर टिक गई है। इसका बड़ा कारण है कि किसी भी सदस्य की सदस्यता पर अंतिम निर्णय लेने का अधिकार लोकसभा के स्पीकर के पास होता है।
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अविश्वास प्रस्ताव पर बहस में राहुल होंगे शामिल?-सुप्रीम कोर्ट से राहत मिलने के बाद अब संभावन इस बात की है कि सोमवार को लोकसभा स्पीकर राहुल की सदस्यता पर कोई निर्णय ले सकता है। अगर राहुल की संसद सदस्यता बहाल हो जाती है तो राहुल मंगलवार को मोदी सरकार के खिलाफ विपक्ष की ओर से पेश किए गए अविश्वास प्रस्ताव पर होने वाली बहस में भाग लेंगे। वहीं अगर सोमवार को स्पीकर राहुल की सदस्यता पर कोई निर्णय नहीं लेते है तो राहुल संसद में होने वाली इस चर्चा से दूर ही रहेंगे। 11 अगस्त तक चलने वाले मानसून सत्र 8, 9 और 10 अगस्त को अविश्वास प्रस्ताव पर चर्चा होना प्रस्तावित है।
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दरअसल संसद के मानसून सत्र के पहले दिन से ही मणिपुर हिंसा पर विपक्ष पीएम मोदी के बयान पर अड़ा हुआ है और जब सरकार मणिपुर पर विपक्ष के अनुसार बहस के लिए तैयार नहीं हुई तो कांग्रेस सांसद गौरव गोगोई ने 26 जुलाई को लोकसभा में अविश्वास प्रस्ताव पेश कर दिया। खास बात यह है कि कांग्रेस की ओर से पेश इस अविश्वास प्रस्ताव को विपक्षी गठबंधन I.N.D.I.A का समर्थन प्राप्त है। संसदीय नियमों के मुताबिक अविश्वास प्रस्ताव पेश होने के 10 दिन के अंदर संसद में बहस होना अनिवार्य है, ऐसे में लोकसभा स्पीकर ने अविश्वास प्रस्ताव पर बहस के लिए 8,9 और 10 अगस्त की तारीख तय की है। 10 अगस्त को पीएम मोदी अविश्वास प्रस्ताव पर बहस का जवाब दे सकते है।
मणिपुर पर बैकफुट पर सरकार!-दरअसल अविश्वास प्रस्ताव के बहाने विपक्ष मणिपुर के साथ ही महंगाई, बेरोजगारी के मुद्दें पर घेरना चाहती है। ऐसे में अगर राहुल गांधी अविश्वास प्रस्ताव पर सदन में मौजूद रहते है तो वह सरकार और खासकर पीएम मोदी पर खासा अक्रामक नजर आ सकते है। खुद राहुल गांधी ने सुप्रीम कोर्ट से सदस्यता बहाल होने के बाद इसके संकेत दे दिए है। सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर राहुल गांधी ने कहा कि “आज नहीं तो कल,कल नहीं तो परसों सच्चाई की जीत होती है। मेरे दिमाग में आगे का रास्ता क्लियर है, मुझे क्या करना है, ये मेरे दिमाग में साफ है”।
वहीं दूसरी ओर सरकार की पूरी कोशिश है कि विपक्ष को मणिपुर हिंसा पर सरकार को घेरने का ज्यादा वक्त नहीं मिले। ऐसे में जब सत्र के आखिरी दिनों में अविश्वास प्रस्ताव पर बहस की तारीख तय हुई है तब इस बात की संभावना बहुत कम है कि विपक्ष सरकार को बहुत घेर पाएगा। दरअसल विपक्ष मणिपुर पर संसद के दोनों सदनों लोकसभा में नियम 184 और राज्यसभा में नियम 267 की तहत बहस कराना चाहता था। विपक्ष की रणनीति थी कि पीएम मोदी पूरे मामले पर सदन में बयान दें लेकिन अविश्वास प्रस्ताव को स्वीकार कर सरकार ने मणिपुर पर विपक्षी हमलों की धार बहुत हद तक कुंद कर दी है।
राहुल की सदस्यता बहाली I.N.D.I.A की पहली जीत?-मोदी सरनेम मामले में राहुल गांधी को राहत मिलने और उनकी संसद सदस्यता बहाल होने का रास्ता साफ होना,विपक्षी गठबंधन 2024 की लड़ाई में अपनी पहली जीत के तौर पर देख रहा है। फैसले के बाद जिस तरह से कांग्रेस सहित गठबंधन में शामिल विपक्षी दल फैसले को लोकतंत्र की जीत बता रहे है, उसे विपक्ष को बढ़े मनोबल को समझा जा सकता है। ऐसे में जब 26 विपक्षी दलों के गठबंधन I.N.D.I.A की तीसरी और महत्वपूर्ण बैठक में इसी महीने 25-26 अगस्त को मुंबई में होनी प्रस्तावित है। मुंबई में होने वाले बैठक में गठबंधन की आगे की रणनीति तय करने के नजरिए से बेहद महत्वपूर्ण है। बैठक में विपक्षी गठबंधन के चेहरे के साथ गठबंधन के संयोजक पर फैसला किया जा सकता है।
ऐसे में अब जब 2024 लोकसभा चुनाव के लिए 200 दिन से कम समय बचा है तब विपक्ष मोदी सरकार को घेरने का कोई मौका नहीं छोड़ना चाहता है। ऐसे में अब जब राहुल की संसद सदस्यता बहाल होने के साथ उनके 2024 के लोकसभा चुनाव लड़ने की प्रबल संभावना हो गई है तब विपक्ष राहुल के जरिए पीएम मोदी के चेहरे को चुनौती देने के साथ जीत की राह भी देख रहा है।