नई दिल्ली। केन्द्र सरकार के नागरिकता (संशोधन) बिल (Citizenship Amendment Bill) पर संसद से लेकर सड़क तक कोहराम मचा हुआ है। यह बिल लोकसभा में पारित हो चुका है। सदन में बिल के समर्थन में 311 और विरोध में 80 मत पड़े।
हालांकि राज्यसभा में इस बिल के पास होने को होने को संशय व्यक्त किया जा रहा है क्योंकि उच्च सदन के आंकड़े सरकार के पक्ष में नहीं हैं। राज्यसभा में यह बिल बुधवार को पेश किया जाएगा, जिसके पारित होने को लेकर भाजपा पूरी तरह आश्वस्त है।
राज्यसभा में सत्ताधारी एनडीए के पास बहुमत तो नहीं है, लेकिन कुछ पार्टियों का समर्थन उसे मिल सकता है। उच्च सदन में बिल पास होने के लिए 120 वोटों की दरकरार रहेगी क्योंकि 245 सदस्यीय राज्यसभा में फिलहाल प्रभावी सदस्यों की संख्या 238 है। एनडीए के पास 105 का आंकड़ा है, वहीं वाईएसआर कांग्रेस और बीजद जैसे दलों का समर्थन भी उसे मिल सकता है। लोकसभा में भी इन दलों ने विधेयक का समर्थन किया था।
दूसरी ओर, यूपीए के 62 सदस्य हैं। इनमें 46 सांसद कांग्रेस के हैं, जबकि राजद के 4, एनसीपी के 4 और डीएमके के 5 सांसद हैं। अन्य यूपीए सहयोगियों के 3 सांसद हैं।
जदयू ने लोकसभा में बिल का समर्थन किया था, लेकिन प्रशांत किशोर के रुख को देखते हुए लग रहा है कि राज्यसभा में पार्टी एनडीए से अलग भी जा सकती है।
इसी तरह कांग्रेस के साथ मिलकर महाराष्ट्र में सरकार बनाने वाली शिवसेना का रुख भी राज्यसभा में लोकसभा से अलग रह सकता है। इसको लेकर शिवसेना के राज्यसभा सांसद संजय राउत ने संकेत भी दिए हैं। राज्यसभा लोकसभा में शिवसेना ने बिल का समर्थन किया था।
भाजपा का दावा : भाजपा सूत्रों ने दावा किया है कि राज्यसभा में उक्त विधेयक पारित हो जाएगा क्योंकि राजग गठबंधन के पक्ष में संख्या बल है। राज्यसभा की प्रभावी संख्या 238 है, जिसमें राजग के 105 सदस्य हैं। इसमें भाजपा के 83, जद (यू) के 6, अकाली दल के 3 तथा लोजपा, आरपीआई के 1-1 तथा 11 मनोनीत सदस्य शामिल हैं।
दूसरी ओर, भाजपा अन्नाद्रमुक से बात कर रही है जिसके 11 सांसद हैं। बीजद के 7 सांसद, वाईएसआर कांग्रेस के 2 तथा तेदेपा के 2 सदस्य हैं। भाजपा को इन दलों के समर्थन की भी उम्मीद है। भाजपा को उम्मीद है कि इन दलों के समर्थन से वह 120 सदस्यों के बहुमत के आंकड़े को प्राप्त कर लेगी। इसके साथ ही शिवसेना भी बिल पर भाजपा को समर्थन दे सकती है।
क्या कहती है सरकार : इस बिल को लेकर पूर्वोत्तर के अगरतला, डिब्रूगढ़, जोरहाट आदि इलाकों में विरोध प्रदर्शन का दौर जारी है, वहीं पाकिस्तान से विस्थापित होकर आए हिन्दू खुश हैं। सरकार का इस संबंध में मानना है कि यह बिल किसी भी धर्म के खिलाफ नहीं है। इस बिल से पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान से प्रताड़ित होकर आए गैर मुस्लिम शरणाथियों को फायदा मिलेगा।