जम्मू। जम्मू कश्मीर में सबसे बड़ा सवाल यह है कि क्या जम्मू कश्मीर प्रशासन अमरनाथ यात्रा के प्रति लिए गए अपने ही फैसले को पलटेगा? ऐसी चर्चाएं इसलिए हैं क्योंकि प्रशासन ने कुछ वरिष्ठ अधिकारियों की सेवाएं अमरनाथ यात्रा श्राइन बोर्ड के हवाले करने के साथ ही करीब आधा दर्जन लंगर संस्थाओं को यात्रा मार्ग में लंगर लगाने की अनुमति प्रदान कर रखी है।
3 दिन पहले सामान्य विभाग ने करीब 8 केएएस अधिकारियों की सेवाएं अमरनाथ श्राइन बोर्ड के हवाले करते हुए उन्हें कैम्प डायरेक्टर के तौर पर नियुक्त किया है। अतीत में ऐसी नियुक्तियां यात्रा होने पर ही की जाती रही हैं। पर इस बार इन अधिकारियों को यात्रा को रद्द करने के फैसले के बाद नियुक्त कर प्रशासन ने असमंजस की स्थिति पैदा कर दी है।
यात्रा के प्रति लिए गए फैसले पर असमंजस की स्थिति करीब आधा दर्जन लंगर संस्थाओं को गुफा के बाहर व यात्रा मार्ग में लंगर लगाने की दी गई अनुमति से भी है। हलांकि प्रशासन कहता था कि यात्रा की परंपराओं को पूरा करने की अनुमति दी गई है जिस खातिर ऐसी लंगर व्यवस्थाओं की आवश्यकता है।
यह भी सच है कि अमरनाथ यात्रा को रद्द करने के फैसले को पलटने का दबाव जम्मू कश्मीर के साथ साथ देश के अन्य हिस्सों से भी बढ़ रहा है। जम्मू समेत कई स्थानों पर इसके प्रति प्रदर्शन भी हो चुके हैं। जबकि कश्मीरी भी अब इस यात्रा को कुछ हजार श्रद्धालुओं के साथ करवाने की मांग करते हुए कहने लगे हैं कि यात्रा की परंपरा को तोड़ा नहीं जाना चाहिए।
इन चर्चाओं के प्रति अमरनाथ यात्रा श्राइन बोर्ड के अधिकारी कुछ नहीं बोलते थे। उनका कहना था कि इसके प्रति उप राज्यपाल प्रशासन को ही फैसला करना होता है और वर्तमान कोरोना काल के कारण इसे रद्द करने का फैसला पहले ही हो चुका है।