Chief Minister Arvind Kejriwal News: विधानसभा चुनाव से ठीक पहले हरियाणा में विधानसभा भंग करने के फैसले ने राजनीतिक पंडितों को चौंका दिया है। हालांकि इस फैसले का राजनीतिक रूप से न तो भाजपा को कोई नुकसान होगा और न ही किसी अन्य दल को फायदा होगा। इस मामले में तर्क दिया जा रहा है कि चूंकि हरियाणा सरकार ने 6 माह में विधानसभा का सत्र नहीं बुलाया, इसलिए राज्य में संवैधानिक संकट खड़ा हो गया। इसी आधार पर 52 दिन पहले राज्य सरकार भंग करने की नौबत आ गई। इतना जरूर है कि इस घटनाक्रम से दिल्ली सरकार को जरूर सतर्क हो जाना चाहिए।
हरियाणा में विधानसभा का आखिरी सत्र 13 मार्च को बुलाया गया था। संविधान के नियमानुसार 6 महीने में सरकार को एक बार विधानसभा का सत्र बुलाना चाहिए। हरियाणा में 12 सितंबर तक सदन की बैठक बुलाना जरूरी था, लेकिन विधानसभा चुनाव की घोषणा के बाद ऐसा नहीं हो पाया और राज्यपाल को विधानसभा भंग करने की सिफारिश करनी पड़ी। संविधान के अनुच्छेद 174 (2) (बी) के तहत राज्यपाल के पास संबंधित राज्य की विधानसभा को भंग करने का अधिकार होता है।
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दिल्ली सरकार का क्या होगा : इस घटना के बाद दिल्ली सरकार को इसलिए भी सतर्क रहना जरूरी है कि वहां आखिरी बार 8 अप्रैल को विधानसभा का सत्र बुलाया गया था। चूंकि पहले से ही केजरीवाल सरकार पर तलवार लटकी हुई है और यदि 6 माह तक विधानसभा की बैठक नहीं होगी तो उपराज्यपाल और केन्द्र सरकार को सरकार गिराने का संवैधानिक कारण मिल जाएगा। यदि दिल्ली में ऐसा होता है कि राज्य की कमान पूरी तरह से केन्द्र सरकार के हाथ में आ जाएगी। दिल्ली में फरवरी 2025 में विधानसभा चुनाव भी होना हैं। यदि केजरीवाल के हाथ से दिल्ली छूटती है तो आम आदमी पार्टी को विधानसभा चुनाव में भी नुकसान उठाना पड़ सकता है।
आप को मिल चुके हैं संकेत : ऐसा नहीं है कि आम आदमी पार्टी यह नहीं जानती। उसे पता है कि सरकार पर लगातार खतरा मंडरा रहा है। हाल ही में दिल्ली की मंत्री आतिशी ने भाजपा पर दिल्ली में राष्ट्रपति शासन लगाकर अरविंद केजरीवाल के नेतृत्व वाली सरकार को पिछले दरवाजे से गिराने की साजिश रचने का आरोप लगाया था। हालांकि आतिशी ने कहा कि सरकार को गिराया गया तो दिल्लीवासी आगामी विधानसभा चुनावों में भाजपा को शून्य सीट देकर करारा जवाब देंगे और आम आदमी पार्टी सभी 70 सीटों पर जीत हासिल करेगी। वहीं, आप के राज्यसभा सांसद संजय सिंह ने कहा कि दिल्ली में भाजपा की हार तय है। अब ये भाजपा को यह तय करना है कि उसे दिल्ली में अभी हारना है या फिर चार महीने बाद।
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इसी कड़ी में भाजपा के 8 विधायकों ने दिल्ली में संवैधानिक संकट का हवाला देते हुए अरविंद केजरीवाल की सरकार को बर्खास्त करने को लिए राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को एक पत्र लिखा था, जिसे उन्होंने उचित कार्रवाई के लिए केंद्रीय गृह मंत्रालय भेज दिया। भाजपा विधायकों का कहना है कि केजरीवाल शराब नीति मामले में 5 महीनों से तिहाड़ जेल में है। इसके चलते सरकारी कामकाज ठप है और संवैधानिक संकट भी खड़ा हो गया है।
हरियाणा में जिस तरह से संवैधानिक सकट का हवाला देकर विधानसभा भंग की गई है, उसे देखते हुए कोई आश्चर्य नहीं कि दिल्ली विधानसभा को भी भंग कर दिया जाए। यदि मुख्यमंत्री केजरीवाल को समय रहते जमानत मिल जाती है तो उनकी सरकार को बचाने का रास्ता भी निकल सकता है।
Edited by: Vrijendra Singh Jhala