RSS और BJP के बीच की दूरियों को खत्म कर पाएगा पीएम नरेंद्र मोदी का पहला संघ मुख्यालय दौरा?
30 मार्च को पीएम का नागपुर दौरा, मोदी ने की संघ की खुलकर तारीफ
भाजपा के नए राष्ट्रीय अध्यक्ष के चुनाव में संघ से टकराव की खबरेंं और लोकसभा चुनाव के दौरान राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ और भाजपा के बीच दूरियों की खबरों के बीच अब खुद पीएम मोदी पहली बार संघ मुख्यालय नागपुर जा रहे है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के 30 मार्च को गुड़ी पड़वा के दिन नागपुर जाने का कार्यक्रम सामने आया है। नागपुर के दौरे के दौरान पीएम मोदी संघ के दूसरे सरसंघचालक माधव सदाशिव गोलवलकर के नाम पर बनने वाले नेत्र अस्पताल एवं अनुसंधान केंद्र की नींव रखने के साथ केशव नेत्र चिकित्सालय में कार्यक्रम में शामिल होंगे।
नागपुर दौरे के दौरान संघ से जुड़े कार्यक्रमों में पीएम मोदी, संघ प्रमुख के साथ मंच भी साझा करेंगे। इसके साथ ही पीएम मोदी संघ मुख्यालय भी जा सकते है जहां उनकी संघ प्रमुख मोहन भागवत से अलग से चर्चा भी हो सकती है। पीएम मोदी का नागपुर दौरा उस वक्त हो रहा है जब संघ अपना शताब्दी वर्ष मना रहा है, इसके साथ ही अगर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी नागपुर स्थित संघ मुख्यालय जाते है तो वह संघ मुख्यालय का दौरा करने वाले पहले प्रधानमंत्री होंगे।
संघ से मिले पवित्र संस्कार- पीएम मोदी के संघ मुख्यालय जाने का कार्यक्रम सामने आने से ठीक एक दिन पहले पीएम मोदी ने रविवार को अमेरिकन पॉडकॉस्टर लेक्स फ्रिडमैन के साथ अपने तीन घंटे के पॉडकास्ट में राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ की खुलकर तारीफ की। पीएम मोदी ने संघ से अपने जुड़ने का किस्सा बताते हुए कहा कि उनके गांव में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की एक शाखा चलती थी, खेलकूद होते थे, देशभक्ति के गीत होते थे, जिन्हें सुनकर मन को बड़ा अच्छा लगता था और दिल को छू जाता था। ऐसे ही करके मैं संघ में आ गया। संघ के ही संस्कार मिले कि 'कुछ भी सोचो और करो, अगर इतना पढ़ते हो तो सोचो देश के काम आऊं, व्यायाम ऐसा करूं कि शरीर भी देश के काम आए'। यह संघ को लोग सिखाते रहे, यह मेरा सौभाग्य है कि ऐसे ही पवित्र संस्कार संघ से मिले।
पीएम ने की RSS की खुलकर तारीफ-इसके साथ ही पीएम मोदी ने कहा कि संघ की स्थापना के इस साल 100 साल पूरे हो रहे हैं। आरएसएस से बड़ा स्वयंसेवक संघ दुनिया में कोई नहीं है। करोड़ों लोग उसके साथ जुड़े हुए हैं। उन्होंने कहा कि संघ को समझना इतना सरल नहीं है, इसके काम को समझने का प्रयास करना चाहिए। उन्होंने कहा कि संघ जीवन के एक उद्देश्य, एक दिशा देता है। देश ही सब कुछ है और जनसेवा ही प्रभु सेवा है - जो ग्रंथों में कहा गया, जो स्वामी विवेकानंद ने कहा, वही संघ कहता है। कुछ स्वयंसेवकों ने सेवा भारती नामक संगठन खड़ा किया। यह सेवा भारती उन झुग्गी-झोपड़ियों और बस्तियों में सेवा प्रदान करती है, जहां सबसे गरीब लोग रहते हैं। वे किसी सरकारी मदद के बिना, समाज की मदद से समय देने, बच्चों को पढ़ाने, उनके स्वास्थ्य का ध्यान रखने, और स्वच्छता के काम करते हैं।
इसके साथ ही पीएम मोदी ने कहा कि संघ वनवासी कल्याण आश्रम चलाते हैं। वे जंगलों में रहकर आदिवासियों की सेवा करते हैं। 70 हजार से ज्यादा एकल स्कूल चलाते हैं। अमेरिका में कुछ लोग हैं जो इस काम के लिए 10 डॉलर से 15 डॉलर दान देते हैं। एक कोका-कोला नहीं पियो और उतना पैसा एकल विद्यालय को दो। और वे कहते हैं, 'इस महीने कोका-कोला छोड़ दो।' कोका-कोला मत पीजिए और उस पैसे को एकल विद्यालय को दो। अब, कल्पना कीजिए कि 70,000 एकल-शिक्षक स्कूल आदिवासी बच्चों को शिक्षित कर रहे हैं। कुछ स्वयंसेवकों ने शिक्षा में क्रांति लाने के लिए विद्या भारती की स्थापना की है। आज वे लगभग 25,000 स्कूल चलाते हैं जिनमें लगभग 30 लाख छात्र शिक्षा प्राप्त करते हैं, और मेरा मानना है कि इस पहल से करोड़ों छात्रों को लाभ मिला है, वे अत्यंत कम लागत पर शिक्षा प्राप्त कर रहे हैं।
संह की तारीफ के सियासी मायने?-संभवत यह पहला मौका है जब पीएम मोदी ने खुलकर संघ की इतनी तारीफ की है। पीएम मोदी की आरएसएस की इस तारीफ के कई सियासी मायने भी तलाशे जा रहे है। सियासत के जानकार कहते हैं कि पिछले साल हुए लोकसभा चुनाव में संघ और भाजपा की बीच दूरियों की कीमत भाजपा को उत्तर प्रदेश जैसे बड़े राज्यों में उठाना पड़ा था। भाजपा उत्तर प्रदेश की 80 लोकसभा सीटों में मात्र 35 सीटों पर जीत हासिल कर सकी। दरअसल भाजपा के लिए आरएसएस जो जमीन पर काम करता है, उसका फायदा भाजपा को चुनाव में होता है, लेकिन इस बार संघ वैसा एक्टिव नहीं रहा है जैसा वह 2014 और 2019 मे था।
लोकसभा चुनाव में अपेक्षित परिणाम नहीं मिलने के पीछे आरएसएस और भाजपा के बीच समन्वय की कमी को भी एक कारण माना गया था। चुनाव के दौरान जिस तरह से भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने संघ को लेकर बयान दिया उससे भाजपा और संघ के बीच की तल्खी को जगजाहिर कर दिया था। दरअसल लोकसभा चुनाव के दौरान अपने एक इंटरव्यू में भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा ने कहा था कि पहले हम इतनी बड़ी पार्टी नहीं थे और अक्षम थे। हमें आरएसएस की जरूरत पड़ती थी, लेकिन आज हम काफी आगे बढ़ चुके हैं और अकेले दम पर आगे बढ़ने में सक्षम हैं। इंटरव्यू के दौरान जब भाजपा अध्यक्ष से पूछा गया कि क्या भाजपा को अब आरएसएस के समर्थन की जरूरत नहीं है।
भाजपा ने नए राष्ट्रीय अध्यक्ष के चुनाव में RSS-BJP में टकराव!- प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का संघ की खुलकर की तारीफ करना और उनका नागपुर जाने का कार्यक्रम ऐसे समय हो रहा है जब भाजपा को अपना नया राष्ट्रीय अध्यक्ष चुनना है। बताया जा रहा है कि भाजपा के नए राष्ट्रीय अध्यक्ष के चुनाव में देरी का बड़ा कारण भी संघ और भाजपा के बीच मतभेद है। संघ इस बार अपनी पंसद के व्यक्ति को भाजपा का राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाना चाह रहा है लेकिन संघ के पंसद के नामों को लेकर एक राय नहीं बन पा रही है। यहीं कारण है कि भाजपा अपना नया राष्ट्रीय अध्यक्ष नहीं चुन पा रही है।
सियासत के जानकार बताते है कि संघ का कार्यकर्ता उत्तर प्रदेश जैसे राज्य में घर बैठ गया जिसका नुकसान भाजपा को लोकसभा चुनाव में उठाना पड़ा और वह राज्य में दूसरे नंबर की पार्टी बन गई। ऐसे में अब भाजपा के नए राष्ट्रीय अध्यक्ष के सामने सबसे बड़ी चुनौती संघ को साधने की होगी। ऐसे में बहुत संभावना है कि भाजपा का नया राष्ट्रीय अध्यक्ष संघ की पसंद का ही नेता होगा। ऐसे में पीएम मोदी का संघ की खुलकर तारीफ करना और उनका संघ मुख्यालय जाने का कार्यक्रम सामने आना भाजपा और संघ की दूरियां कम करने की कवायद के तौर पर देखा जा रहा है।