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क्या राजस्थान में CM इन वेटिंग ही बने रहेंगे सचिन पायलट,पायलट के सियासी भविष्य को लेकर 5 अहम सवाल?

हमें फॉलो करें क्या राजस्थान में CM इन वेटिंग ही बने रहेंगे सचिन पायलट,पायलट के सियासी भविष्य को लेकर 5 अहम सवाल?
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विकास सिंह

, सोमवार, 26 सितम्बर 2022 (18:25 IST)
सचिन पायलट को राजस्थान का मुख्यमंत्री बनाने की आलाकमान की कवायद के बीच राजस्थान कांग्रेस के अंदर मचे सियासी संग्राम के बीच अब सचिन पायलट की मुख्यमंत्री पद पर ताजपोशी सवालों के घेरे में आ गई है। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के करीबी विधायक और सरकार में मंत्री प्रताप सिंह खाचरियावास ने सचिन पायलट की दावेदारी का खुला विरोध करते हुए कहा कि लोकतंत्र में बहुमत का सम्मान होता है और अगर सचिन पायलट के पास विधायकों का बहुमत है तो वह मुख्यमंत्री बन जाए। प्रताप सिंह खाचरियावास का बयान ऐसे समय आया है जब रविवार मुख्यमंत्री निवास पर बुलाई गई कांग्रेस विधायक दल की बैठक में गिनती के पायलट समर्थक विधायक पहुंचे थे। 
 
राजस्थान में मचे सियासी घमासान पर पार्टी आलकमान क्या निर्णय लेता है इस पर सबकी निगाहें टिक गई है। सचिन पायलट की मुख्यमंत्री पद पर ताजपोशी का इतने बड़े पैमाने पर सार्वजनिक तौर पर विरोध होने से अब क्या अब भी पार्टी आलाकमान उनको मुख्यमंत्री बनाएगा यह सवाल हर ओर पूछा जाने लगा है। 
2018 के नवंबर-दिसंबर में हुए विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने ती राज्यों में सत्ता भाजपा के हाथ से छीनी थी। मध्यप्रदेश में कमलनाथ के नेतृत्व में पार्टी विधानसभा चुनाव जीती और कमलनाथ मुख्यमंत्री बने, छत्तीसगढ़ में भूपेश बघेल के नेतृत्व में कांग्रेस की जीत हुई और बघेल मुख्यमंत्री पद से नवाजे गए लेकिन राजस्थान में सचिन पायलट के नेतृत्व में कांग्रेस जीती लेकिन राहुल गांधी के दखल से अशोक गहलोत मुख्यमंत्री बने और सचिन पायलट CM इन वेटिंग बन गए।
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राजस्थान में सचिन पायलट के मुख्यमंत्री नहीं बनने को लेकर पार्टी के अंदर और बाहर सवाल भी हुए और खुद राहुल गांधी ने सचिन पायलट के धैर्य की सार्वजनिक तौर पर तारीफ भी की। ऐसे में जब अशोक गहलोत के कांग्रेस का राष्ट्रीय अध्यक्ष बनने की बात आई तो यह तय माना गया कि अब सचिन पायलट की इंतजार की घड़ियां खत्म होगी और राजस्थान के मुख्यमंत्री बनेंगे लेकिन ऐन वक्त सियासत के जादूगर अशोक गहलोत ने पेंच फंसाकर पूरे मामले को उलझा दिया।
अगर सचिन पायलट एक बार फिर राजस्थान के मुख्यमंत्री बनने की रेस में पीछे छूट जाते है तो उनका अगला कदम क्या होगा, यह सवाल भी अब सियासी गलियारों में पूछा जाने लगा है। जून 2020 में राजस्थान में कांग्रेस को बगावती तेवर दिखा चुके सचिन पायलट क्या फिर ऐसा कोई कदम उठाएंगे यह भी सवाल वक्त के साथ बड़ा होने लगा है। 

हलांकि गहलोत गुट के विधायकों की खुली बगावत के बाद अब भी सचिन पायलट पूरी तरह चुप है और उन्होंने अपने पत्ते नहीं खोले है।सचिन पायलट ने कहा कि वह पार्टी आलाकमान के फैसले का इंतजार कर रहे है उसके बाद ही कोई निर्णय लेंगे।  
 
दरअसल सचिन पायलट और अशोक गहलोत के बीच लंबे समय से चला आ रहा छत्तीस का आंकड़ा राजस्थान के विवाद की पूरी जड़ा है। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और सचिन पायलट की सियासी अदावत किसी से छिपी नहीं है। अशोक गहलोत ने सार्वजनिक तौर पर आरोप लगाया था कि उनकी सरकार को गिऱाने के षड़यंत्र में सचिन पायलट और केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत शामिल थे और गहलोत गुट का विधायक सचिन पायलट की उसी बगावत का मुद्दा उठाकर उनके रास्ते रोक रहा है। गहलोत गुट के विधायकों का आरोप है कि भाजपा के साथ सरकार गिराने के षड़यंत्र में शामिल होने वालों को मुख्यमंत्री के तौर पर स्वीकार नहीं करेंगे।  
 
अशोक गहलोत और सचिन पायलट केवल सियासी तौर पर नहीं बल्कि व्यक्तिगत तौर पर या निजी तौर पर भी हमले करते रहे है। अशोक गहलोत ने सचिन पायलट को सार्वजनिक तौर पर नाकारा और निकम्मा कहा था। जुलाई 2020 में सचिन पायलट के अपने समर्थक विधायकों के साथ बागी तेवर दिखाने के बाद अशोक गहलोत ने सियासी संकट में फंसी अपनी सरकार को न केवल निकाला था बल्कि सचिन पायलट और उनके समर्थक विधायकों को कांग्रेस में किनारे कर दिया था। 
 
सचिन पायलट और 3 बड़े सवाल?-अगर अशोक गहलोत अपने रूख पर अड़ा रहता है सचिन पायलट का राजस्थान का मुख्यमंत्री बनना हाल फिलहाल दूर की कौड़ी लग रहा है, ऐसे में जब राजस्थान में अगले साल विधानसभा चुनाव होने है तब सचिन पायलट को लेकर एक नहीं कई सवाल खड़े हो रहे है।
 
पहला सवाल- क्या सचिन पायलट CM इन वेटिंग बने रहेंगे?
दूसरा सवाल-क्या सचिन पायलट को एक बार फिर से राजस्थान प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष बनेंगे?
तीसरा सवाल-क्या सचिन पायलट को बतौर कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष बनाने पर गहलोत गुट तैयार होगा?
चौथा सवाल-क्या सचिन पायलट अपनी नई राजनीतिक पार्टी बनाकर चुनावी मैदान में उतरेंगे? 
पांचवा सवाल-क्या सचिन पायलट अपने दोस्त ज्योतिरादित्य सिंधिया की तरह भाजपा का रूख करेंगे?  
 
यह वह सवाल है जिनका जवाब राजस्थान की सियासत में वक्त गुजरने के साथ ही आएगा अभी तो सिर्फ कयास ही लगाए जा सकते है। 
 

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