इस जमाने में हिचहाइकिंग एक बेहद ही लोकप्रिय टर्म है। अब हर कोई इस बारे में जानता है। लेकिन भारत का एक लेखक ऐसा भी है जिसने कई सालों पहले चीन से भारत का सफर हिचहाइकिंग से ही तय किया था।
यह सुटेबल ब्वॉय अपने इस काम के लिए प्रसिद्ध हैं। हालांकि वो लेखक भी हैं और उन्होंने अ सुटेबल ब्वॉय के साथ ही कई प्रसिद्ध किताबें लिखी हैं। आज 20 जून को इस लेखक यानी विक्रम सेठ का जन्मदिन है।
विकम का जन्म 20 जून 1952 को कलकत्ता में हुआ था। उनकी मां लीला सेठ दिल्ली के उच्च न्यायालय में पहली महिला न्यायाधीश थीं। बाद में हिमाचल प्रदेश में पहली महिला मुख्य न्यायाधीश भी नियुक्त की गयीं थीं। विक्रम के पिता प्रेमनाथ सेठ फुटवियर कंपनी बाटा में एग्ज़िक्युटिव थे। विक्रम ने अपनी पढ़ाई पटना, देहरादून, अमेरिका, इंग्लैंड जैसे अलग-अलग देशों से की। उसके बाद वे चीनी कविता की स्टडी के चीन के नानजिंग विश्वविद्यालय चले गए।
विक्रम ने अमेरिका के स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी में पढ़ते हुए जो कविताएं लिखी थीं, वो कलेक्शन मैपिंग्स नामक किताब में प्रकाशित हुआ था। यह उनकी पहली किताब थी। लेकिन इस किताब को कुछ खास महत्व नहीं मिला। न ही आलोचकों ने इस पर कोई विशेष टिप्पणी की।
इसके बाद उन्होंने अपनी दूसरी किताब फ्रॉम हेवन लेक लिखी। इस किताब से उन्हें लेखक के तौर पर स्थापित होने में मदद मिली। यह किताब उनकी खुद की कहानी पर आधारित है। जब विक्रम नानजिंग यूनिवर्सिटी से अपनी पढाई पूरी कर लौटे, तो उनका वह सफ़र साधारण सफ़र नहीं था। दरअसल वे हिचहाइकिंग कर, यानि रास्त में लोगों से लिफ़्ट ले लेकर चीन से भारत लौटे थे। इसके लिए उन्होंने तिब्बत का रास्ता अपनाया था। सफ़र करने का यह तरीका अब जितना प्रसिद्ध हो चुका है, पहले उतना नहीं था। उनकी दूसरी किताब में लिखी इस दिलचस्प सफ़र की कहानी ने ही उन्हें लोकप्रिय बना दिया था।
विक्रम की किताबों में खास तरह का एक्सपिरिएंस होता है। उनका लेखन बेहद रचनात्मक माना जाता है। उनका सबसे ज़्यादा पसंद किया उपन्यास अ सूटेबल बॉय करीब 1349 पन्नों के साथ सबसे लम्बा उपन्यास है। इससे पहले 1748 में आई रिचर्डसन की क्लैरिसा इतनी ही लम्बी किताब मानी जाती थी।
अ सूटेबल बॉय की लेखनी की तुलना आलोचकों ने जॉर्ज एलियट, जेन ऑस्टन और चार्ल्स डिकेन्स जैसे अंग्रेज़ी के महान लेखकों से की है।
विक्रम का पहला उपन्यास द गोल्डन गेट कविता की तरह लिखा गया है। लेखक शेक्स्पीयर को सॉनेट्स के लिए माना जाता है। दरअसल सॉनेट एक तरह की कविता होती है। विक्रम का उपन्यास द गोल्डन गेट पूरी तरह सॉनेट्स के साथ ही लिखा गया है। उन्होंने कहानी को कविता के रूप में बेहद रचनात्मकता के साथ लिखा है। इस किताब में 690 सॉनेट्स लिखे गए हैं।
विक्रम सेठ समलैंगिक हैं। उन्होंने खुद इस बात को स्वीकार किया है। उनका कहना है कि हालांकि भारत एक बेहद सहिष्णु देश है। भारतीय बेवजह की नाराज़गियों में विश्वास रखने वाले लोग नहीं हैं। वे प्रेम करने वाले लोग हैं। समलैंगिकता के पक्ष में अपनी बात रखते हुए उनका कहना है कि अगर आप प्रेम को नकारते हैं तो आप अनजाने में एक बहुत बड़ा गुनाह कर रहे हैं। लिंग, रंग या किसी भी तरह का भेद मायने नहीं रखता, अंत में प्रेम ही रहता है।
विक्रम को उनके लेखन के लिए करीब 12 पुरस्कार दिए जा चुके हैं, जिनमें प्रवासी भारतीय सम्मान, साहित्य अकादमी और पद्मश्री भी शामिल हैं।
बता दें कि अपने समलैंगिक होने को विक्रम सेठ ने खुलकर स्वीकार किया है। सेक्शन 377 का भी उन्होंने खुलकर विरोध किया था जब भारत में समलैंगिकों के अधिकारों के लिए बहस का दौर चल रहा था। देश की कई प्रमुख पत्रिकाओं में उनकी तस्वीर इस नॉट अ क्रिमिनल कैप्शन के साथ प्रकाशित हुई थी।