नई दिल्ली। कांग्रेस ने येस बैंक के सह संस्थापक राणा कपूर के आरोप को रविवार को राजनीतिक प्रतिशोधकरार दिया और उनकी (कपूर की) तथा प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की विश्वसनीयता पर सवाल उठाया।
ईडी द्वारा धनशोधन के मामले में मुंबई की एक विशेष अदालत में दाखिल आरोपपत्र के मुताबिक कपूर ने केंद्रीय एजेंसी के समक्ष दिए बयान में कथित तौर पर कहा है कि उन्हें कांग्रेस नेता प्रियंका गांधी वाद्रा से एमएफ हुसैन की पेंटिंग खरीदने के लिए विवश किया गया था और पेंटिंग के बदले मिले रुपयों का इस्तेमाल गांधी परिवार ने न्यूयॉर्क में कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के इलाज पर खर्च किया।
आरोपपत्र के मुताबिक कपूर ने ईडी को बताया कि तत्कालीन पेट्रोलियम मंत्री मुरली देवड़ा ने कहा था कि यदि उन्होंने (कपूर ने) एम एफ हुसैन की पेंटिंग खरीदने से मना किया, तो इससे उन्हें गांधी परिवार से संबंध बनाने में न सिर्फ बाधा उत्पन्न होगी बल्कि पद्म भूषण सम्मान प्राप्त करने में भी कठिनाई होगी।
कपूर ने ईडी को यह भी बताया कि सोनिया गांधी के विश्वस्त अहमद पटेल ने उनसे कहा था कि सोनिया गांधी के उपचार के लिए एक उपयुक्त समय पर गांधी परिवार का सहयोग कर उन्होंने (कपूर ने) अच्छा काम किया है और पद्म भूषण के लिए उनके नाम पर समुचित विचार किया जाएगा।
इन आरोपों के बारे में पूछे जाने पर कांग्रेस प्रवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि यह निश्चित ही आश्चर्यजनक है। मैं कड़े शब्दों का इस्तेमाल नहीं करना चाहता, यह निश्चित ही घृणित है कि वर्ष 2010 की लेनदेन, एक व्यक्ति जो सालों से जेल में है, जिसकी जमानत की 20-30 अर्जी खारिज हो चुकी है, जिसे धोखेबाज और जालसाज कहा जाता है, उसने मृत लोगों के बारे में आरोप लगाए हैं और सरकार खुशी से उछल रही है क्योंकि यह उसके राजनीतिक दृष्टिकोण के अनुकूल है।
सिंघवी ने कहा कि सरकार वर्ष 2010 की लेनदेन के विषय को वर्ष 2022 में भी मुद्दा बनाए रखना चाहती है और वह भी तब, जब न तो मुरली देवड़ा और न ही अहमद पटेल इसका खंडन करने के लिए जिंदा हैं। सरकार पर कड़ा प्रहार करते हुए कांग्रेस के राज्येसभा सदस्य ने कहा कि इसका उद्देश्य क्या है, क्या यह आपके (सरकार के) दबाव के हथकंड़े और जेल में कैद व्यक्ति पर जबरदस्ती है जो राजनीतिक विरोधियों के खिलाफ बयान देकर अपनी आजादी हासिल करने को आतुर है और केवल राजनीतिक सुविधा के लिए 12 साल पुराने विषय को ज्वलंत रखना है।
वहीं, भाजपा के आईटी प्रकोष्ठ के प्रमुख अमित मालवीय ने आरोप लगाया है कि ईडी के समक्ष राणा के इकबालिया बयान से साफ हो गया है कि गांधी परिवार और कांग्रेस न केवल जबरन वसूली करती है बल्कि देश के सर्वोच्च नागरिक सम्मान भी सबसे अधिक बोली लगाने वालों या दरबारियों को बेचती है, जा उनकी बोली लगाते हैं। इन आरोपों के जवाब में सिंघवी ने मार्च 2014 का हवाला दिया, जब येस बैंक का ऋण 55 हजार करोड़ रुपए था जो वर्ष 2019 में 5 गुना बढ़कर 2.41 लाख करोड़ रुपए हो गया।
उन्होंने कहा कि येस बैंक के ऋण में नाटकीय रूप से इन 2 तारीखों के बीच वृद्धि दिखती है जो मोदी सरकार के लिए बहुत असहज है और जिसके बारे में न तो सरकार और न ही प्रधानमंत्री बात करते हैं। मार्च 2016 में यह 98 हजार करोड़ रुपए था, जो मार्च 2018 में बढ़कर 2.03 लाख करोड़ रुपए हो गया, जो दोगुने से भी ज्यादा की वृद्धि है। याद करिए जब नवंबर 2016 में नोटबंदी हुई थी।
सिंघवी ने रेखांकित किया कि भाजपा नीत हरियाणा सरकार ने 2,500 करोड़ रुपए सरकारी धन का निवेश डूबतेयेस बैंक के खातों में किया था। उन्होंने कहा कि वे राजनीतिक प्रतिशोध के लिए लोगों में भय की मानसिकता पैदा करने की कोशिश कर रहे हैं। उन्हें उससे बेहतर करना चाहिए। कम से कम मृत लोगों को तो बख्श देना चाहिए। कम से कम देवड़ा और अहमद पटेल जैसे लोगों की मानहानि नहीं करें।
कांग्रेस प्रवक्ता ने कहा कि हम सभी ईडी की विश्वसनीयता के बारे में जानते हैं और उससे भी ज्यादा इस मामले में उस आरोपी व्यक्ति की विश्वसनीयता को जानते हैं जिसने इस मामले में बयान दिया है। राणा कपूर का यह कथित बयान ईडी द्वारा विशेष अदालत में हाल में येस बैंक के सह संस्थापक, उनके परिवार, दीवान हाउसिंग फाइनेंस लिमिटेड (डीएचईएल) के प्रवर्तक कपिल और धीरज वधावन और अन्य के विरुद्ध धन शोधन के मामले में दाखिल दूसरे पूरक आरोपपत्र (कुल तीन) का हिस्सा है।
आरोपपत्र के मुताबिक कपूर ने दावा किया है कि उन्होंने पेंटिंग के एवज में दो करोड़ रुपए की राशि का भुगतान चेक में किया। साथ ही कि मिलिंद देवड़ा (पूर्व कांग्रेस सांसद और दिवंगत मुरली देवड़ा के पुत्र) ने गोपनीय तरीके से उन्हें सूचना दी कि इस पेंटिंग की बिक्री से मिलने वाले धन का उपयोग गांधी परिवार सोनिया गांधी के न्यूयॉर्क में उपचार कराने पर करेगा। उल्लेखनीय है कि कपूर को मार्च 2020 में गिरफ्तार किया गया था और इस समय वह न्यायिक हिरासत में हैं।