उत्तर प्रदेश में विधानसभा चुनाव से ठीक पहले योगी सरकार जनसंख्या नियंत्रण कानून लाने की तैयारी कर रही है। राज्य विधि आयोग ने जनसंख्या नियंत्रण के कानून का मसौदा तैयार करना शुरु कर दिया है। राज्य विधि आयोग के अध्यक्ष आदित्यनाथ मित्तल के मुताबिक बढ़ती जनसंख्या से एक बड़ी समस्या बनती जा रही है ऐसे मे जो लोग जनसंख्या नियंत्रण कर सहयोग दे रहे है उन्हें सरकारी सुविधाओं का फायदा मिलता रहना चाहिए लेकिन जो लोग नहीं लेना चाहते वह स्वतंत्र है। वह आगे कहते हैं कि जनसंख्या बढ़ने से अस्पताल,अनाज और बेरोजगारी जैसी समस्याएं बढ़ती है इसलिए जरूरी है कि इस समस्या पर ध्यान दिया जाना चाहिए।
2022 में होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले योगी सरकार दो संतान नीति को लागू करने के लिए कानून बना सकती है। जनसंख्या नियंत्रण पर कानून बनने के बाद उत्तर प्रदेश में 2 से अधिक बच्चों के माता-पिता को आने वाले समय में सरकारी सुविधाओं और सब्सिडी से वंचित होना पड़ सकता है।
विरोध में आया विपक्ष-चुनाव से ठीक पहले जनसंख्या नियंत्रण कानून लाने की कवायद से प्रदेश का सियासी पारा गर्मा गया है। समाजवादी पार्टी ने इसे चुनाव के समय योगी सरकार की असल मुद्दों से ध्यान भटकाने की कोशिश बताया है। वहीं कांग्रेस ने तो कानून के औचित्य पर ही सवाल उठा दिए है।
संघ के एजेंडे पर बढ़ रहे योगी?- अब जब देश का सबसे बड़ा राज्य उत्तर प्रदेश, अगले साल की शुरुआत में होने वाले विधानसभा चुनाव के लिए चुनावी मोड में आ चुका है और भाजपा के साथ-साथ राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ भी सक्रिय हो गया है। ऐसे में क्या योगी सरकार जनसंख्या नियंत्रण कानून के जरिए संघ के राममंदिर के बाद के सबसे बड़े एजेंडे को पूरा करने जा रही है यह सवाल अपने आप में खड़ा हो जाता है।
छोटे परिवार के लिए शुरू से हिमायती रहा संघ जनसंख्या नियंत्रण कानून को लेकर काफी मुखर रहा है। संघ की अखिल भारतीय कार्यकारिणी मंडल में जनसंख्या नीति को पुनर्निधारण कर नीति को सभी पर समान रुप से लागू करने का प्रस्ताव पहले ही पास किया जा चुका है।
संघ प्रमुख मोहन भागवत पहले ही कई मौकों पर जनसंख्या नियंत्रण के लिए नई नीति बनाने पर साफ शब्दों में अपनी राय रख चुके हैं। संघ बढ़ती जनसंख्या को राष्ट्र के विकास और संप्रभुता के राह में एक बड़ा रोड़ा मानता रहा है।
लखनऊ मेंं वरिष्ठ पत्रकार नागेंद्र कहते हैं कि उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव से पहले जनसंख्या नियंत्रण कानून की बात उठना ध्रुवीकरण की शुरुआत का नया और बहुप्रतीक्षित फार्मूला है। जैसे-जैसे विधानसभा चुनाव नजदीक आएगा भाजपा का पूरा जोर ध्रुवीकरण की ओर रहेगा। चुनाव से पहले भाजपा वह ऐसे सारे जतन करेंगी कि मन हिन्दू-हिन्दू कहने लगे लेकिन शायद यह अब इतना कारगर नहीं होगा क्यों जनता समझदार हो गई है। 2022 की शुरुआत में होने वाले यूपी विधानसभा चुनाव में भाजपा का पूरा जोर हिंदुत्व के कार्ड के जरिए ध्रुवीकरण पर रहेगा।
जनसंख्या पर पीएम मोदी भी जता चुके है चिंता- 2019 में लगातार दूसरी बार केंद्र की सत्ता में आने के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी बढ़ती जनसंख्या पर अपनी चिंता जता चुके है। 2019 में 15 अगस्त को लालकिले की प्राचीर से अपने भाषण में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश की बढ़ती जनसंख्या पर चिंता जताते हुए उसे जनसंख्या विस्फोट से जोड़ दिया था।
प्रधानमंत्री ने कहा था कि हमारे यहां जनसंख्या विस्फोट हो रहा है, ये आने वाली पीढ़ी के लिए संकट पैदा कर रहा है, लेकिन यह भी मानना होगा कि देश में एक जागरूक वर्ग भी है और जो इस बात को अच्छे से समझते हुए अपने परिवार को समिति रखते हुए एक तरह से देशभक्ति का ही प्रदर्शन कर रहा है। पीएम ने आबादी नियंत्रण के लिए छोटे परिवार पर जोर दिया था।
संसद में पेश हो चुके है प्राइवेट बिल-पीएम मोदी के संबोधन के बाद यह कयास लगाए जा रहे थे कि मोदी सरकार जल्द जनसंख्या नियंत्रण पर कानून बना सकती है। जनसंख्या नियंत्रण कानून को लेकर संसद में प्राइवेट बिल पेश हो चुके है। संसद में जनसंख्या नियंत्रण को लेकर एक प्राइवेट बिल पेश करने वाले सांसद राकेश सिन्हा कहते हैं कि जनसंख्या नियंत्रण को लेकर जल्द ही कानून बनना चाहिए और इसको सख्ती से लागू करना चाहिए।
संघ विचारक और सांसद राकेश सिन्हा राज्यसभा में जनसंख्या विनियमन विधेयक प्राइवेट मेंबर बिल पेश कर चुके है। विधेयक में दो से ज्यादा बच्चे पैदा करने वालों को दंडित करने के साथ ही उनको सभी सरकारी लाभों से वंचित करने का प्रावधान भी है। प्रस्तावित बिल में दो बच्चों के बाद नसबंदी का प्रस्ताव होने के साथ सभी समुदाय,जाति और क्षेत्र मे समान रुप से लागू करने का प्रस्ताव है।