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योगी आदित्यनाथ की विवादित तस्‍वीरें कीं पोस्‍ट, कार्रवाई की मांग

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, मंगलवार, 21 मार्च 2017 (23:09 IST)
मैसुरु। भारतीय जनता पार्टी सांसद प्रताप सिम्हा ने सोशल मीडिया पर उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की कथित रूप से विरुपित तस्वीरें पोस्ट किए जाने के मामले में मंगलवार को सामाजिक कार्यकर्ता प्रभा बेलावांगला की खिंचाई करते हुए उनके खिलाफ कानूनी कार्रवाई की मांग की।
        
सिम्हा ने कहा कि सुश्री बेलावांगला एक फर्जी सामाजिक कार्यकर्ता हैं और वे कांग्रेस के लिए काम कर रही हैं। उन्होंने आरोप लगाया कि सुश्री बेलाबांगला ने भगवा पोशाकधारी एक व्यक्ति की तस्वीर से छेड़छाड़ की और उसके सोशल मीडिया पर अपनी टाइमलाइन में साझा किया।
        
उन्होंने कहा कि विरुपित तस्वीर में जिस व्यक्ति का चेहरा दिखाया गया है, वह योगी आदित्यनाथ से मिलता-जुलता है। सुश्री बेलाबांगला ने ऐसा कर प्रत्यक्षत: सायबर अपराध किया है और उसके खिलाफ मामला दर्ज किया जाएगा।
           
भाजपा सांसद ने कहा कि पार्टी की युवा मोर्चा इकाई सामाजिक कार्यकर्ता के खिलाफ राज्य के 100 से 150 थानों में रिपोर्ट दर्ज कराएगी। उन्होंने कहा, मुख्यमंत्री सिद्दारमैया के पास कानूनी कार्रवाई के लिए एक मौका है और अगर वे ऐसा कर पाने में विफल रहते हैं, तो हम अन्य राज्यों में मामला दर्ज कराएंगे।
 
योगी का पैतृक गांव भी पलायन से अछूता नहीं : पलायन का दंश झेल रहे उत्तराखंड की इस स्याह हकीकत से उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का पौड़ी जिले का गांव पंचुर भी अछूता नहीं है। सात गांवों वाली उनकी ग्राम पंचायत सीला से अब तक 62 परिवार पलायन कर चुके हैं। इनमें योगी के गांव के सात परिवार भी शामिल हैं।
       
पलायन की मुख्य वजह है मूलभूत सुविधाओं के साथ ही शिक्षा एवं रोजगार के अवसरों का अभाव है। स्थिति यह है कि इन गांवों की एक अदद सड़क की आस राज्य बनने के 16 साल बाद भी पूरी नहीं हो पाई है। पौड़ी जिले के यमकेश्वर ब्लाक की ग्राम पंचायत सीला का तोक पंचूर है योगी आदित्यनाथ का गांव।
       
सीला में पंचुर के अलावा सीला, ठींगाबाज, फेडुवा, गाडसेरा, दालमीसेरा व गलीकावन गांव शामिल हैं। पिछड़ेपन के लिहाज से इन गांवों का हाल भी यमकेश्वर ब्लाक के अन्य गांवों से जुदा नहीं है। ज्यादा वक्त नहीं गुजरा, जब सीला ग्राम पंचायत के सभी गांवों में 155 परिवार निवास कर रहे थे। पलायन के बाद अब इनकी संख्या घटकर 93 पर आ गई है।
        
स्थानीय ग्रामीण बताते हैं कि मूलभूत सुविधाओं के नाम पर गांवों में पानी एवं बिजली तो पहुंची, लेकिन विकास की पहली पायदान माने जाने वाली सड़क से ग्राम पंचायत आज भी अछूती है। सभी सात गांवों के लोगों को एक से पांच किलोमीटर की दूरी पैदल तय कर रोड हेड ठांगर एवं कांडी (दुगड्डा- लक्ष्मणझूला मार्ग) तक पहुंचना पड़ता है।
 
लगातार संघर्ष के बाद सीला को सड़क से जोडऩे के लिए 2005 में ठांगर-सीला मार्ग स्वीकृत हुआ। 2011 में इसके टेंडर हुए, लेकिन मामला वन कानूनों में उलझ गया। यही नहीं, चार साल पहले एक अन्य सड़क कांडी-फेडुवा-सीला की मंजूरी तो मिली, पर यह भी फाइलों से बाहर नहीं निकल पाई। ग्रामीण आशान्वित हैं कि अब जबकि पंचूर गांव के योगी आदित्यनाथ उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री बने हैं और उत्तराखंड में भी भाजपा की सरकार है तो संभव है कि सड़क की मांग जल्द पूरी हो जाएगी। (वार्ता) 

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