लखनऊ। उत्तरप्रदेश मुख्यमंत्री का पद संभालते ही मुख्यमंत्री आदित्यनाथ योगी धड़ाधड़ फैसले ले रहे हैं। वे अधिकारियों और सरकारी नुमाइंदों को फटकार लगाने के साथ ही उन्हें अपने काम के प्रति सजग रहने की हिदायत भी दे रहे हैं। ऐसा ही नजारा केजीएमयू हॉस्पिटल के लोकार्पण के दौरान देखने को मिला जब मुख्यमंत्री ने डॉक्टरों ने कर्तव्यों को ईमानदारी से निभाने की सलाह दी। उन्होंने डॉक्टरों से कहा कि गरीबों से पैसा नहीं दुआएं लीजिए।
बुधवार को मुख्यमंत्री आदित्यनाथ योगी लखनऊ के केजीएमयू हॉस्पिटल में नए वेंटिलेटर का लोकार्पण करने पहुंचे। उन्होंने 56 वेंटिलेटर्स का लोकार्पण किया। यहां उन्होंने उप्र की स्वास्थ्य सुविधाओं पर जोर देने की बात करते हुए कहा कि सरकार उत्तरप्रदेश में कम से कम 6 एम्स खोलेगी। साथ ही उन्होंने डॉक्टर्स को मरीजों के साथ नरमी बरतने और बाहर प्रैक्टिस न करने की हिदायत दी।
गोरखपुर को अच्छे डॉक्टर्स की जगह मिले बूचड़खाने : योगी पिछली समाजवादी सरकार पर निशाना साधने से भी नहीं चूके। योगी ने कहा कि गोरखपुर के अच्छे डॉक्टर्स को पिछली सरकार ने सैफई-कन्नौज भेजा। योगी ने कहा कि उत्तरप्रदेश की पिछली सरकार ने गोरखपुर के अच्छे डॉक्टर्स को सैफई और कन्नौज भेज दिया। हम अंतिम व्यक्ति तक पहुंचकर सबको मेडिकल सुविधा का लाभ देना चाहते हैं। गोरखपुर को अच्छे डॉक्टर्स की जगह बूचड़खाने दिए गए। योगी ने कहा कि यूपी में 5 लाख डॉक्टरों की जरूरत है। अंतिम व्यक्ति तक सुविधा पहुंचनी चाहिए। सरकारी डॉक्टर को निजी प्रैक्टिस से बचना चाहिए। सच्ची संवेदना डॉक्टर की पहचान है।
लगाई फटकार : योगी ने कहा कि डॉक्टर्स का मरीजों के प्रति संवेदना होना जरूरी है। कोई अस्पताल नहीं है जहां जूनियर डॉक्टर और गरीब मरीजों में मारपीट न होती हो। जूनियर डॉक्टर झुंड बनाकर मरीजों पर टूट पड़ते हैं। सरकार कोई कानून बनाए, नियम बनाए उससे अच्छा है कि गांवों में जाकर लोगों का इलाज करें। हर शख्स सिफारिश करता है कि वह शहर में रहे, मेडिकल कॉलेज से पैसा लेकर प्राइवेट में जाकर प्रैक्टिस कर रहा है।
गरीब पैसा नहीं विश्वास लेकर आता है : मुख्यमंत्री ने कहा कि कि मैंने छोटा सा चिकित्सालय गोरखपुर में खोला है। 1800-4000 रुपए सीटी स्कैन का लिया जाता है जबकि मेरे यहां 400-600 में हो जाता है। सवा लाख से तीन लाख की वसूली होती है। इस देश का नागरिक अगर स्वस्थ्य होगा तो राष्ट्र निर्माण में भी अपनी भूमिका निभाएगा।
यहां साल में करीब 15 लाख लोग ओपीडी में इलाज कराते हैं। 90 हजार से 1 लाख मरीज रहते हैं। पूर्वी यूपी यहां आता है। आप सबसे मेरी उम्मीद है, जो गरीब आता है वो विश्वास से आता है। उसके पास पैसा न हो, दुआ होती है। उसे जरूर लेना। पैसा किसी के साथ नहीं जाता, लेकिन उसकी दुआ जरूर लगेगी।