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उत्तरप्रदेश में योगी आदित्यनाथ और केशव मौर्य के बीच शह-मात का खेल, बड़ा सवाल कौन पड़ेगा किस पर भारी?

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विकास सिंह

, गुरुवार, 18 जुलाई 2024 (13:48 IST)
देश के सबसे बड़े राज्य उत्तरप्रदेश में लोकसभा चुनाव के बाद सियासी माहौल गर्मा गया है। लोकसभा चुनाव में उत्तरप्रदेश में भाजपा की हार के बाद अब जहां सूबे के दो सबसे बड़े नेताओं मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य आमने सामने आ गए है। वहीं मुख्य विपक्षी दल समाजवादी पार्टी भी भाजपा के अंदर मचे अंतर्कलह पर तंज कसने से चूक नहीं रही है। समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर लिखा कि “मानसून ऑफर: सौ लाओ सरकार बनाओ”।

UP की सियासत में योगी बनाम केशव प्रसाद मौर्य!-उत्तरप्रदेश की राजनीति में भाजपा के दो शीर्ष नेताओं मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य के बीच शह मात का खेल जारी है। लोकसभा चुनाव में उत्तर प्रदेश में 2019 की तुलना में भाजपा उम्मीदवारों  के बड़े पैमाने पर हुई हार के बाद का योगी आदित्यनाथ और केवश प्रसाद मौर्य के बीच जुबानी जंग भी अब सार्वजनिक हो गई है। रविवार को लखनऊ में हुई भाजपा कार्यसमिति की बैठक पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा के सामने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य ने हार के कारणों की अपनी-अपनी तरह से व्याख्ता करते हुए इशारों ही इशारों में बहुत कुछ कह दिया।
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भाजपा कार्यसमिति की बैठक में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने जिस तरह से भाजपा की हार के लिए अति आत्मविश्वास को जिम्मेदार ठहरा कर एक तरह से लोकसभा चुनाव की पूरी रणनीति को कठघरे में खड़ा कर दिया, वहीं उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य ने सरकार से संगठन के बड़ा होने की बात कह कर सरकार को ही कठघरे में  खड़ा कर दिया।

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य के बीच टकराव कोई नया नहीं है। 2017 में जब भाजपा प्रचंड बहुमत से सत्ता में आई थी तब संगठन की कमान केशव प्रसाद मौर्य के पास थी लेकिन मुख्यमंत्री की कुर्सी पर योगी आदित्यनाथ ने अपना कब्जा जमा लिया था। इसको लेकर केशव प्रसाद मौर्य ने कई मौकों पर अपनी ही सरकार को कठघरे में खड़ा किया। इतना ही नहीं सरकार में अपनी हनक बनाए रखने के लिए योगी आदित्यनाथ और केशव प्रसाद मौर्य के बीच टकराव की खबरें दिल्ली तक पहुंची।
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लोकसभा चुनाव में भाजपा की हार के बाद भले ही केशव प्रसाद मौर्य और उनके गुट के नेता 2027 के विधानसभा चुनाव को टारगेट कर रहे है लेकिन पिछले विधानसभा चुनाव (2022) में केशव प्रसाद मौर्य जब अपनी ही सीट सिराथू हार गए तो उनके समर्थकों ने आरोप लगाया कि मौर्य को जानबूझकर हराया गया है। हलांकि विधानसभा चुनाव में हार के बाद भी केशव प्रसाद मौर्य के राजनीतिक कद में कोई कमी नहीं आई और उन्हें डिप्टी सीएम बनाया गया। दरअसल केशव प्रसाद मौर्य उत्तरप्रदेश में भाजपा के ओबीसी वर्ग का बड़ा चेहरा है और लोकसभा चुनाव में जिस तरह से ओबीसी वोटर भाजपा से छिटका है उसके बाद सूबे की सियासत में केशव प्रसाद मौर्य की भूमिका और बढ़ गई है।
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कौन पड़ेगा किस पर भारी?- उत्तर प्रदेश की सियासत में योगी आदित्यनाथ और केशव प्रसाद मौर्य के बीच सीधे टकराव के बाद अब सवाल यह खड़ा हो गया है कि सियासी दबदबे में कौन किस पर भारी पड़ेगा। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ भाजपा और संघ की हिंदुत्व की राजनीति के एक बड़े चेहरे के तौर पर जाने जाते है, वहीं 2017 के बाद जिस तरह से 2022 के विधानसभा चुनाव में योगी के चेहरे पर भाजपा ने जिस तरह से प्रचंड बहुमत के साथ सत्ता में वापसी की उससे उनके सियासी कद में काफी इजाफा हो गया। पूरे देश में सरकार चलाने के योगी म़ॉडल की चर्चा होने लगी और भाजपा शासित कई राज्यों ने योगी मॉडल को अपने राज्यों मे लागू करने की कोशिश की। सरकार की बुलडोजर कार्रवाई के चलते योगी आदित्यनाथ बुलडोजर बाबा के नाम से जाने पहचाने जाने लगे।

वहीं अब लोकसभा चुनाव में भाजपा की हार के बाद सरकार चलाने का योगी म़ॉडल ही निशाने पर आ गया। सरकार में मंत्री और सहयोगी दल निषाद पार्टी के नेता संजय निषाद मीडिया को दिए अपने बयान में संजय निषाद ने आरोप लगाया कि कई अधिकारी अंदर से हाथी, साइकिल, पंजा के समर्थक हैं, लेकिन ऊपर से कमल का प्रतीक धारण किए हुए हैं। कई अधिकारी ऐसे हैं जो समाजवादी पार्टी, बहुजन समाज पार्टी और कांग्रेस के समर्थक हैं, लेकिन अपनी पहचान छिपाकर भाजपा के प्रतीक चिन्ह 'कमल' का इस्तेमाल कर रहे हैं। कैबिनेट मंत्री संजय निषाद ने यह भी कहा कि यह अधिकारी सरकार के आदेशों का पालन करने में ढिलाई बरत रहे हैं और इस कारण सरकार की योजनाओं और कार्रवाइयों का सही तरीके से क्रियान्वयन नहीं हो पा रहा है। उन्होंने बुलडोजर कार्रवाई को लेकर सरकार से अपील की है कि वे ऐसे अधिकारियों की पहचान करें और उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई करें। निषाद का मानना है कि यदि ऐसे अधिकारियों को हटाया नहीं गया तो सरकार की छवि खराब हो सकती है और जनता में गलत संदेश जा सकता है।

वहीं भाजपा के एमएलसी एमएलसी देवेंद्र प्रताप सिंह ने शिक्षकों के डिजिटल अटेंडेंस का  विरोध करते हुए लोकसभा चुनाव में हार का जिक्र करते हुए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े कर दिए है। उन्होंने अपने पत्र में लिखा कि हमारे कार्यकर्ताओं का सम्मान नहीं है,कार्यकर्ता हताश और निराश होकर अपेक्षित होकर के घर बैठ गए हैं। वहीं भाजपा कार्यसमिति की बैठक में उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य ने सरकार से संगठन के बड़े होने की बात कह कर योगी विरोधियों को और हवा दे दी।

वहीं दूसरी ओर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के राज्य में 10 सीटों पर होने वाले उपचुनाव की तैयारियों में जुट गए है। बुधवार को उन्होंने विधानसभा सीटों के प्रभारी मंत्रियों के साथ बैठक कर चुनावी रानणनी तैयार की। वहीं बुधवार शाम योगी आदित्यनाथ ने कांवड यात्रा को लेकर अफसरों को निर्देश देकर अपनी सरकार के तेवर साफ कर दिए।
 

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