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अयोध्या मामले में समझौते के आसार नहीं

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नई दिल्ली , शुक्रवार, 8 अक्टूबर 2010 (23:24 IST)
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अयोध्या विवाद पर इलाहाबाद उच्च न्यायालय की लखनऊ पीठ का फैसला आने के बाद अदालत के बाहर सुलह समझौते के आसार कम नजर आ रहे हैं और मामले से जुडे तीनों पक्ष सुन्नी वक्फ बोर्ड, निर्मोही अखाडा और राम जन्म भूमि न्यास के उच्चतम न्यायालय का दरवाजा खटखटाने की संभावना बढ़ गई है।

मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने अयोध्या में विवादास्पद राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद स्थल के स्वामित्व को लेकर उच्च न्यायालय के फैसले के खिलाफ उच्चतम न्यायालय में जाने के बारे में विचार करने को कल यहाँ एक महत्वपूर्ण बैठक बुलाई है।

बोर्ड के प्रवक्ता कासिम रसूल इलियास ने बताया कि शनिवार को बोर्ड की कानूनी प्रकोष्ठ की बैठक होगी, जिसमें इलाहाबाद उच्च न्यायालय के फैसले के सभी आयामों और बातचीत से मामला सुलझाए जाने सहित विभिन्न विकल्पों पर विचार किया जाएगा।

उन्होंने बताया कि इसके बाद 16 अक्टूबर को लखनऊ में बोर्ड की पूर्ण बैठक में शीर्ष अदालत में जाने या नहीं जाने के बारे में कोई अंतिम फैसला किया जाएगा। इलियास ने कहा कि बोर्ड इस मामले में पक्षकार नहीं है, लेकिन अगर उसने जरूरत महसूस की तो वह हस्तक्षेप कर सकता है।

उधर बोर्ड के अलावा अखिल भारतीय हिन्दू महासभा ने भी कुछ ऐसे ही संकेत देते हुए कहा है कि वह विवादास्पद स्थल को तीन हिस्से में बाँटने के अदालती फैसले से संतुष्ट नहीं है।

महासभा के प्रदेश अध्यक्ष कमलेश तिवारी ने बताया कि निर्मोही अखाड़े की ओर से इस महीने के अंत तक उच्चतम न्यायालय में अपील दायर किए जाने की संभावना है। फिलहाल इस मामले में महासभा कानूनी सलाह ले रही है।

इस बीच विश्व हिन्दू परिषद के प्रभाव वाले रामजन्मभूमि न्यास ने भी उच्चतम न्यायालय की शरण में जाने का संकेत देते हुए कहा है कि लखनउ पीठ के इस फैसले से भव्य राम मंदिर बनाने का मार्ग प्रशस्त नहीं हो पाएगा।

विहिप नेता अशोक सिंघल ने कहा कि इस मामले के किसी भी पक्षकार ने विवादास्पद स्थल के बँटवारे की माँग नहीं की थी। उन्होंने कहा कि भूमि का बँटवारा होने से गर्भगृह तक नहीं बन पाएगा, भव्य मंदिर तो बनना दूर की बात है।

उन्होंने कहा कि न्यास विवादित स्थल सहित सरकार द्वारा अधिगृहीत समस्त 67 एकड भूमि पर भव्य मंदिर निर्माण का इच्छुक है, लेकिन निर्मोही अखाड़ा और सुन्नी वक्फ बोर्ड तथा न्यास के बीच भूमि का बँटवारा कर देने से इसमें बाधा आ रही है।

सुन्नी वक्फ बोर्ड उच्च न्यायालय के फैसले के खिलाफ शीर्ष अदालत में जाने का ऐलान पहले ही कर चुका है। बोर्ड के अध्यक्ष जेडए फारूकी ने बताया कि बोर्ड की अगले सप्ताह होने वाली बैठक में इस बारे में अंतिम निर्णय किया जाएगा।

दूसरी ओर भाजपा और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ शीर्ष अदालत में जाने के पक्ष में नहीं हैं। दोनों का मानना है कि आपसी बातचीत के जरिए इस समस्या का हल निकाला जाए। भाजपा अध्यक्ष नितिन गडकरी ने कहा कि भाजपा इस मुद्दे को उच्चतम न्यायालय में ले जाने के पक्ष में नहीं है। अगर मुसलमानों के साथ बातचीत और सलाह मशविरे के जरिए मंदिर निर्माण हो सके तो इससे बेहतर कुछ नहीं होगा।

संघ प्रमुख मोहन भागवत ने भी कहा है कि मुसलमानों सहित सब लोग मिलकर अयोध्या में राम मंदिर निर्माण के लिए कोई आपसी सुलह कर लें। (भाषा)

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