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आदर्श घोटाला, सरकार ने स्वीकार की रिपोर्ट

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, गुरुवार, 2 जनवरी 2014 (16:43 IST)
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मुंबई। गुरुवार को महाराष्ट्र में कैबिनेट की बैठक में आदर्श घोटाले की जांच रिपोर्ट को लेकर फैसला कर लिया गया। घोटाले पर जांच समिति की रिपोर्ट को महाराष्ट्र कैबिनेट ने आंशिक तौर पर स्वीकार किया।

उल्लेखनीय है कि पहले महाराष्ट्र सरकार ने जांच रिपोर्ट खारिज कर दी थी, लेकिन मुख्यमंत्रियों के साथ बैठक में राहुल गांधी ने रिपोर्ट खारिज किए जाने को लेकर सवाल उठाए थे। लेकिन अब यही रिपोर्ट आंशिक तौर पर स्वीकार कर ली गई।

आदर्श घोटाले को लेकर जिस जांच रिपोर्ट को महाराष्ट्र सरकार ने खारिज किया था उस रिपोर्ट में महाराष्ट्र के चार पूर्व मुख्यमंत्रियों विलासराव देशमुख, सुशील कुमार शिंदे, शिवाजीराव निलंगेकर और अशोक चव्हाण को दोषी पाया था। इस रिपोर्ट के मुताबिक मुंबई की आदर्श सोसायटी में 22 फ्लैट बेनामी पाए गए थे, जबकि 25 फ्लैट ऐसे लोगों के नाम पाए गए जो सोसायटी में घर लेने के अयोग्य थे। ये सोसायटी पूर्व सैनिकों के लिए बनवाई गई थी, लेकिन गैरकानूनी तरीके से इसमें नेताओं और अफसरों ने फ्लैट खरीद लिए थे।

आदर्श हाउसिंग सोसायटी घोटाले की जांच के लिए महाराष्ट्र सरकार द्वारा करीब दो साल पहले गठित दो सदस्यीय आयोग ने कुछ समय पहले ही रिपोर्ट दी थी। घोटाला उजागर होने के तीन महीने बाद जनवरी 2011 में आयोग का गठन किया गया था और उच्च न्यायालय के अवकाशप्राप्त न्यायाधीश जेए पाटिल को अध्यक्ष नियुक्त किया गया था।

आयोग को विभिन्न पहलुओं पर विचार करने का जिम्मा सौंपा गया था। इनमें दक्षिण मुंबई स्थित भूमि के स्वामित्व का मामला भी शामिल है जहां 31 मंजिला इमारत बनी हुई है। इसके साथ आयोग को इस पहलू पर भी ध्यान देना था कि क्या यह भूमि करगिल युद्ध में शहीद हुए जवानों के परिवारों के लिए आरक्षित थी और क्या निर्माण कार्य की अनुमति देने में नियमों का उल्लंघन किया गया।

आयोग ने पिछले साल अंतरिम रिपोर्ट सौंपी थी, जिसमें कहा गया था कि भूमि राज्य सरकार की है न कि रक्षा मंत्रालय की और यह भूमि युद्ध विधवाओं के लिए सुरक्षित नहीं थी। अंतरिम रिपोर्ट में सोसायटी को रियायतें देने में पूर्व मुख्यमंत्रियों अशोक चव्हाण, दिवंगत विलासराव देशमुख और केंद्रीय गृह मंत्री सुशील कुमार शिंदे की कथित भूमिकाओं पर टिप्पणी की गई है।

तीनों नेता आयोग के समक्ष उपस्थित हुए थे लेकिन सीबीआई ने अपनी प्राथमिकी में 12 अन्य लोगों के अलावा सिर्फ चव्हाण का भी नाम आरोपी के रूप में लिया था। घोटाले की जांच कर रहे सीबीआई ने दावा किया था कि कई आर्मी अफसरों और नौकरशाहों के खिलाफ जालसाजी व दस्तावेजों के साथ छेड़छाड़ करने के सबूत मिले। सीबीआई इन लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने की बात कही थी।

बढ़ सकती हैं शिंदे और चव्हाण की मुश्किलें.... पढ़ें अगले पेज पर...


सीबीआई उच्चस्तरीय सूत्रों ने बताया कि जांच एजेंसी की ओर से कुछ दस्तावेज जब्त किए गए हैं, जिनसे इस बात के संकेत मिलते हैं कि इस आपराधिक साजिश में कुछ रक्षा अधिकारी भी महाराष्ट्र सरकार के नौकरशाहों और अन्य लोगों के साथ शामिल थे। साथ ही शिंदे और अशोक चव्हाण की मुश्किलें भी बढ़ सकती हैं।

एक सीनियर अधिकारी ने बताया, मामले में जल्द ही प्राथमिकी दर्ज की जाएगी। अब हमारे पास ठोस सबूत हैं। अधिकारी ने कहा कि सीबीआई के कानूनी विभाग से मंजूरी मिल जाने के बाद आईपीसी और भ्रष्टाचार निरोधक अधिनियम के प्रावधानों के अंतर्गत मामला दर्ज किया जाएगा। इस घोटाले में रक्षा अधिकारियों के नाम आने के बाद रक्षामंत्री एके एंटनी ने सीबीआई जांच कराने का आदेश दिया था।

आदर्श सोसायटी की इमारत में सेना के पूर्व प्रमुख जनरल दीपक कपूर, जनरल एनसी विज एवं पूर्व नौसेना प्रमुख एडमिरल माधवेंद्रसिंह समेत कई सीनियर सैन्य अधिकारियों के फ्लैट थे। ये तीनों पूर्व प्रमुख पहले ही यह चुके हैं कि वे अपने फ्लैट वापस कर रहे हैं। घोटाले में कथित संलिप्तता के आरोपों के चलते अशोक चव्हाण को नौ नवंबर को मुख्यमंत्री पद छोड़ना पड़ा। चव्हाण पर आरोप है कि उन्होंने 10 वर्ष पूर्व कांग्रेस-राकपा संगठन की सरकार के समय राजस्व मंत्री के रूप में रक्षा विभाग के वरिष्ठ सदस्यों और शहीदों की विधवाओं के लिए आवंटित सोसायटी में अन्य लोगों को आवास आवंटन में भूमिका निभाई।

आरोप है कि इस सोसायटी में चव्हाण की सास और अन्य करीबी रिश्तेदारों को भी फायदा पहुँचाया गया। हाल ही में पर्यावरण मंत्रालय ने इस भवन को अवैधानिक बताते हुए इसे ढहाने का आदेश दिया है। लेकिन वि‍भ‍िन्न कारणों पर विचार किए जाने के बाद ऐसा नहीं किया गया और यह तय किया गया कि जांच समिति की अंतिम रिपोर्ट आने पर लोगों की जवाबदेही तय की जाएगी और इनके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। लेकिन अब महाराष्ट्र सरकार के रिपोर्ट को आंशिक तौर पर स्वीकार करने के बाद यह सवाल फिर खड़ा हो गया है कि क्या सभी दोषियों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी या फिर केवल अशोक चव्हाण को ही बलि का बकरा बनाकर मामला रफा दफा कर दिया जाएगा? महाराष्ट्र सरकार के इस कदम से जितने प्रश्नों के उत्तर नहीं मिले हैं, उससे कहीं अधिक सवाल खड़े हो गए हैं।

यह भी विचारणीय है कि लोकसभा चुनावों से पहले अपनी छवि को बेहतर बनाने में लगी कांग्रेस अध्यक्षा सोनिया गांधी और पार्टी उपाध्यक्ष राहुल गांधी क्या रुख अखित्यार करते हैं? क्या कांग्रेस नेतृत्व सभी दोषियों के खिलाफ कार्रवाई करेगा या फिर कार्रवाई के नाम पर कुछ लोगों को दंडित कर पार्टी अपने कर्तव्य की इतिश्री कर लेगी?

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