'आप' की फ्री जल योजना से होगा नुकसान-जेटली
नई दिल्ली , बुधवार, 1 जनवरी 2014 (19:30 IST)
नई दिल्ली। दिल्ली के नए मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की पेयजल सब्सिडी योजना की आलोचना करते हुए भाजपा के वरिष्ठ नेता अरुण जेटली ने कहा कि वह अल्पकालिक लाभ के लिए जनता पर कर का भार बढ़ाने के साथ ही समाज के सबसे कमजोर तबकों को इससे वंचित कर रहे हैं।
आप सरकार द्वारा राष्ट्रीय राजधानी के लोगों को हर महीने 20 हजार लीटर पेयजल मुफ्त देने की योजना के बारे में जेटली ने कहा, पेयजल सब्सिडी योजना में दिल्ली के सबसे कमजोर तबकों की ही पूरी तरह अनदेखी की गई है। दिल्ली के सबसे गरीब लोगों को पेयजल सब्सिडी योजना से बाहर रखा गया है।
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जेटली ने कहा, जिन बस्तियों में जल पाइप लाइन नहीं है, जिन घरों में मीटर नहीं है, जिन घरों में खराब मीटर हैं, जिनके घर एनडीएमसी या दिल्ली छावनी इलाकों में हैं उन्हें इस योजना में शामिल नहीं किया गया है।
अपने फेसबुक पोस्ट में उन्होंने कहा, इस सब्सिडी ने सबसे कमजोर वर्ग को योजना से बाहर रखकर उस छोटे समूह को शामिल किया है जिनके यहां मीटर हैं।
उन्होंने कहा कि दिल्ली में 18 लाख जल कनेक्शन हैं। जिनमें से साढ़े आठ लाख के पास कार्यरत मीटर हैं जबकि 5 लाख के यहां बेकार या दोषपूर्ण मीटर हैं। शेष कनेक्शन बिना मीटर वाले हैं।
भाजपा नेता ने कहा, इस योजना की एक बड़ी चिंताजनक बात यह है कि इसके अंतर्गत जल का शुल्क कम नहीं किया गया है बल्कि उस पर सब्सिडी दी गई है, जो कि कर दाताओं के धन से चुकाई जाएगी। आप जितनी सब्सिडी देंगे, आपको उतना ही कर बढ़ाना होगा।
क्या है इस योजना की सबसे बड़ी खामी...
जेटली ने मुफ्त पेयजल योजना की सबसे बड़ी खामी यह बताई कि दिल्ली की झुग्गी-झोपड़ी बस्तियां और अनधिकृत कॉलोनियां इस योजना से पूरी तरह वंचित रखी गई हैं क्योंकि इनमें पाइप लाइन बिछी ही नहीं है। हालांकि इन्हीं बस्तियों में राष्ट्रीय राजधानी की सबसे अधिक जनता वास करती है।
जेटली ने कहा कि इसकी दूसरी बड़ी कमी यह है कि योजना के तहत प्रतिदिन केवल 666 लीटर पानी उपयोग करने वाले घर ही इससे लाभान्वित होंगे और इससे अधिक इस्तेमाल करने वाले दंडित। जो घर प्रतिमाह 20 हजार लीटर से जरा भी अधिक जल का इस्तेमाल करेंगे, उन्हें 10 प्रतिशत अतिरिक्त शुल्क देना होगा।
उन्होंने कहा कि केजरीवाल सरकार सब्सिडी देकर अल्पकालिक व्यवस्था कर रही है और आने वाले कल के लिए ॠण का अंबार लगा रही है। सब्सिडी समाज के सबसे कमजोर वर्गों के लिए अनुत्पादक ही साबित होगी। यह जल आपूर्ति संगठनों को भी कमजोर बनाएगी। (भाषा)