प्रदेश में मुस्लिम वक्फ बोर्ड पर प्रभुत्व को लेकर शियाधर्म गुरु और मंत्री मो. आजम खान में ठन गई है। सरकार ने वक्फ बोर्ड के चुनाव टाल दिए हैं, जिससे आजम सपा सरकार से खफा चल रहे हैं। उनकी आजकल तकरार मौलाना कल्वे जव्वाद से चल रही है। आजम ने शिया मौलाना को आरएसएस का प्रचारक व वक्फ की जमीनों का सौदागर कहा है। आजम खान ने शिया मौलाना के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है।
प्रदेश के संसदीय कार्य, नगर विकास एवं अल्पसंख्यक कल्याण मंत्री मोहम्मद आजम खान ने कहा है कि तथाकथित धर्मगुरु सीबीआई जांच के नतीजे आने का इंतजार करें, वह वक्त दूर नहीं है जब वक्फ की जायदादों को बेदर्दी से बेचे जाने में उनका, उनके परिवार का व उनके चहेतों का नाम सर-ए-फहरिस्त होगा।
आजम ने कहा कि एक धार्मिक मंच से आरएसएस के एजेंडे का प्रचार करने वाला इस्लाम के नाम पर कलंक तो हो सकता है पर धर्मगुरु नहीं हो सकता। रमजान के मुकद्दस महीने में यहूदी लॉबी और भाजपा सरकार को खुश करने के लिए रोजेदारों को लाठी-गोली खाने के लिए उकसाने वाला, पूरे प्रदेश को अराजकता और आगजनी के हवाले कर देने वाला कोई धार्मिक व्यक्ति नहीं बल्कि सिर्फ और सिर्फ एक ब्लैकमेलर ही हो सकता है।
उन्होंने कहा कि शिया वक्फ बोर्ड के चुनाव से दहशतजदा यह धर्मगुरु चुनाव में मुकाबला करने के बजाय उन चौराहों पर हाजिरी दे रहा है, जिन्हें चुनाव के वक्त गालियां दे रहे थे और चुनाव बाद सबक सिखाने की बात कर रहे थे। नूर-ए-हिदायत फाउंडेशन वेबसाइट पर इंसानी जिस्म पर नापाक जानवर का सिर लगाकर अपनी विकृत मानसिकता का परिचय देने वाला तथाकथित धर्मगुरु चुनाव से इसलिए भाग रहा है क्योंकि उसके साथ अपनी ही शिया बिरादरी के एक चौथाई मेम्बर भी नहीं हैं।
मोहम्मद अली जौहर यूनिवर्सिटी के लिए जहर उगलने वाला तथाकथित धर्मगुरु मुसलमानों के एक बड़े तबके को अपनी नफरत व हिकारत का निशाना बनाकर आरएसएस के हाथों शैक्षिक व सामाजिक स्तर पर बर्बाद करना चाहते हैं। कब्रों की जगह बेचने वाले वक्फ के मुहाफिज नहीं हो सकते।