संघ परिवार से जुड़ी तेज-तर्रार नेता उमा भारती ने रामसेतु मुद्दे पर भाजपा के वरिष्ठ नेता अटल बिहारी वाजपेयी और लालकृष्ण आडवाणी सहित कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गाँधी पर एक साथ निशाना साधा।
उन्होंने कहा कि राजग सरकार में कोयला और खनिज मंत्री के रूप में उन्होंने रामसेतु के अध्ययन का जिम्मा भारतीय भू-सर्वेक्षण (जीएसआई) को दिया था, लेकिन तभी वाजपेयी और आडवाणी ने उन्हें मंत्री पद से इस्तीफा देकर मध्यप्रदेश के विधानसभा चुनावों में कांग्रेस के विरूद्ध मोर्चा लेने का निर्देश दे दिया।
उमा ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के मुखपत्र 'आर्गेनाइजर' में प्रकाशित अपने एक लेख में स्वीकार किया कि इस्तीफे के समय मैं बहुत निराश थी क्योंकि रामसेतु अध्ययन का काम पूरा नहीं हुआ था। उन्होंने दावा किया कि जब वह कैबिनेट में थीं सेतुसमुद्रम परियोजना पर चर्चा जारी थी, लेकिन तब तक इसके लिए रामसेतु तोड़ने की बात नहीं थी।
मजेदार बात यह है कि आर्गेनाइजर ने लेखिका के रूप में उमा का परिचय देते हुए उन्हें सम्मानित वरिष्ठ राजनीतिक नेता बताया है और भाजपा छोड़ने के बाद उनके द्वारा बनाए गई भारतीय जनशक्ति पार्टी का उल्लेख नहीं किया है।
उमा के अनुसार मंत्रिमंडल छोड़ने पर जब उन्हें मालूम चला कि रामसेतु तोड़कर सेतुसमुद्रम बनाने का राजग सरकार ने फैसला किया है तो इसका प्रतिवाद करते हुए उन्होंने तत्कालीन राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम को एक पत्र लिखा था।
वह हाल ही में वाजपेयी और आडवाणी से माँग कर चुकी हैं कि सेतुसमुद्रम परियोजना के तहत रामसेतु तोड़ने को मंजूरी दिए जाने के लिए वे दोनों देश से माफी माँगे। उन्होंने कहा कि राजग के इस गलत फैसले के बाद संप्रग सरकार अस्तित्व में आई और उसने भी इस परियोजना को आगे बढ़ाया।
साध्वी नेता ने कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गाँधी पर प्रहार करते हुए कहा कि रामसेतु पर अदालत में संप्रग द्वारा दिए गए हलफनामे से साबित होता है कि जब इंसानियत में आस्था रखने वाला एक विदेशी मूल का व्यक्ति सरकार का परोक्ष प्रमुख हो तो हिन्दू समुदाय को ऐसे अपमान झेलने पड़ेंगे।