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एके गांगुली के बचाव में सुप्रीम कोर्ट में याचिका

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नई दिल्ली , शुक्रवार, 3 जनवरी 2014 (23:16 IST)
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नई दिल्ली। कानून की इंटर्न के कथित यौन उत्पीड़न के आरोप में उच्चतम न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश एके गांगुली को पश्चिम बंगाल मानवाधिकार आयोग के अध्यक्ष पद से हटाने को कोई भी प्रयास करने से केन्द्र सरकार को रोकने के लिए शुक्रवार को शीर्ष अदालत में एक याचिका दायर की गई।

प्रधान न्यायाधीश पी सदाशिवम की अध्यक्षता वाली खंडपीठ के समक्ष इस याचिका का आज उल्लेख किया गया। न्यायालय याचिका पर 6 जनवरी को सुनवाई के लिए तैयार हो गया है।

यह याचिका दिल्ली निवासी एम पद्मा नारायण सिंह ने दायर की है जो पेशे से डॉक्टर हैं। याचिका में उस शिकायत को भी निरस्त करने का अनुरोध किया गया है जिसके आधार पर शीर्ष अदालत के तीन न्यायाधीश की समिति ने कहा था कि माहिला इंटर्न के प्रति न्यायमूर्ति गांगुली का व्यवहार अशोभनीय था।

याचिकाकर्ता वरिष्ठ नागरिक भी हैं। उन्होंने याचिका में आरोप लगाया है कि गांगुली साजिश के शिकार हुए हैं क्योंकि वे कोलकाता के प्रमुख फुटबॉल क्लब और ऑल इंडिया फुटबॉल फेडरेशन के बीच विवाद में आर्बीट्रेटर थे और इंटर्न ने भी इसमें हिस्सा लिया था। याचिका में अतिरिक्त सॉलिसीटर जनरल इन्दिरा जयसिंह को भी प्रतिवादी बनाते हुए उन पर न्यायमूर्ति गांगुली को गैरकानूनी तरीके से गिरफ्तार कराने के सतत प्रयास करने का आरोप लगाया है।

याचिका में न्यायमूर्ति गांगुली को मानवाधिकार आयोग के अध्यक्ष पद से हटाने की मांग करने के कारण नेताओं की भी आलोचना की गई है। याचिका में दलील दी गई है कि गांगुली का कृत्य यौन उत्पीड़न की श्रेणी में नहीं आता है क्योंकि यौन उत्पीड़न कानून 2013 के तहत इस तरह की शिकायत तीन महीने के भीतर ही की जा सकती है लेकिन इस मामले में इसका अनुपालन नहीं किया गया है। (भाषा)

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