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एटमी करार पर भाजपा का रुख नरम

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हमें फॉलो करें भारत अमेरिका परमाणु समझौता
नई दिल्ली (वार्ता) , मंगलवार, 6 नवंबर 2007 (21:14 IST)
भारत-अमेरिका असैन्य परमाणु समझौते पर अपने रुख को नरम बनाते हुए लोकसभा में विपक्ष के नेता लालकृष्ण आडवाणी ने मंगलवार को कहा कि उनकी पार्टी इस मामले पर संसद में नियम 193 के तहत चर्चा करने को तैयार है, लेकिन वह 123 समझौते के मौजूदा स्वरूप के खिलाफ है।

भाजपा संसदीय दल के प्रवक्ता विजय कुमार मल्होत्रा के निवास पर आयोजित दीपावली मिलन समारोह में आडवाणी ने हालाँकि यह स्पष्ट किया कि उनकी पार्टी इस मामले पर किसी भी नियम के तहत चर्चा को तैयार हो गई है, लेकिन इसका यह मतलब बिलकुल नहीं है कि वह इस समझौते पर नरम पड़ गई है।

उल्लेखनीय है कि भाजपा ने पहले परमाणु समझौते पर नियम 184 के तहत चर्चा कराने की माँग की थी, जिसका तात्पर्य मतदान से है।

आडवाणी ने कहा कि उनकी पार्टी शुरू से ही यह कहती आ रही है कि वह अमेरिका विरोधी नहीं है बल्कि उसके साथ मधुर और सौहार्दपूर्ण संबंधों की पक्षधर है, लेकिन परमाणु समझौते पर हमारा विरोध इस आधार पर है कि यह हमारी परमाणु स्वायत्तता को प्रभावित कर रहा है। अत: यह राष्ट्रहित में नहीं है।

उन्होंने कहा कि पार्टी का समझौते पर विरोध वामपंथी दलों से भिन्न है, जो इसका विरोध अमेरिका विरोधी होने के कारण कर रहे हैं। आडवाणी ने कहा कि अमेरिका ने 123 समझौते को लेकर भाजपा की कुछ चिंताओं के बारे में बताया है। हम अभी तक पूरी तरह संतुष्ट नहीं है।

उन्होंने कहा कि परमाणु समझौते पर भाजपा संसद में चर्चा कराने के पक्ष में है। यह पूछे जाने पर कि क्या अमेरिकी राजदूत डेविड मलफोर्ड के साथ हुई उनकी मुलाकात के बाद भाजपा इस समझौते को लेकर अपना रुख बदल लेगी। उन्होंने कहा- नहीं। वह मुझसे परमाणु मामले पर चर्चा करने नहीं आए थे।

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