संयुक्त राष्ट्र के खाद्य एवं कृषि संगठन (एफएओ) की ओर से जम्मू-कश्मीर और अरुणाचल प्रदेश को स्वतंत्र क्षेत्र के तौर पर दिखाया गया है। भारत के दोनों राज्यों को अलग दिखाने के बाबत एफएओ ने दलील दी है कि ‘विवादित’ क्षेत्रों के प्रति उसका यही रुख है।
जम्मू-कश्मीर और अरुणाचल को स्वतंत्र क्षेत्र के तौर पर दिखाना एक आश्चर्य के तौर पर सामने आया है क्योंकि अब तक संयुक्त राष्ट्र सिर्फ जम्मू-कश्मीर को ही भारत और पाकिस्तान के बीच विवाद वाला एक क्षेत्र मानता रहा है, जबकि अरुणाचल प्रदेश को भारत का ही अंग मानता रहा है।
भारत के इन राज्यों को एफएओ ने अपनी रिपोर्ट में भारत के साथ ही अलग देशों के तौर पर दिखाया है। दोनों ही राज्यों को पूर्वी एशिया के देश बताया गया है। दुग्ध उत्पादन क्षेत्र से ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन का आकलन करने वाली वर्ष 2010 की एफएओ रिपोर्ट के अनुलग्नक पाँच की सूची में भारत के इन राज्यों का नाम है।
संपर्क किए जाने पर भारत में एफएओ के प्रतिनिधि गेविन वॉल ने कहा कि देशों का समूहीकरण संस्था के वैश्विक प्रशासनिक इकाई परतों (जीएयूएल) के आधार पर किया जाता है। इसका मकसद दुनिया के सभी देशों के लिए प्रशासनिक इकाइयों पर सूचनाएँ इकट्ठा कर उन्हें वितरित करना है और यह यूएनसीएस के अंतरराष्ट्रीय सीमाओं के मानचित्रों से मेल खाता है।
वॉल ने कहा कि जीएयूएल वैश्विक स्तर पर विकसित किया गया है, इसलिए विवादास्पद सीमाओं की अनदेखी नहीं की जा सकती। उन्होंने कहा कि चयनित रुख विवादित क्षेत्रों को स्वतंत्र क्षेत्र मानने का है जो दूसरे देशों पर निर्भर नहीं है। उन्होंने कहा कि इस तरह जीएयूएल सभी विवादित देशों के लिए राष्ट्रीय अखंडता का संरक्षण करता है। क्षेत्रों का वर्गीकरण शुद्ध रूप से भौगोलिक दृष्टि से किया गया है।
इस सूची में अरुणाचल प्रदेश की अंग्रेजी स्पेलिंग अलग है, जिससे इसका उच्चारण अरुणाशल प्रदेश निकलता है। इसमें अक्साई चीन को भी अलग देश बताया गया है, जिसे भारत जम्मू-कश्मीर का हिस्सा कहता है और चीन भी अपना अभिन्न हिस्सा बताता है। (भाषा)