भारतीय वायुसेना के पूर्व प्रमुख एयर चीफ मार्शल एसपी त्यागी ने बुधवार को इन आरोपों से इनकार किया कि वीवीआईपी के लिए इटली की कम्पनी फिनमेक्कनिका से 3600 करोड़ रुपए की लागत से 12 हेलीकॉप्टर खरीदने के मामले में उन्हें रिश्वत दी गई थी।उन्होंने कहा कि मैं निर्दोष हूं। ये आरोप पूरी तरह निराधार हैं और मैं इन्हें सिरे से खारिज करता हूं। सौदे पर 2010 में दस्तखत हुए थे, जबकि मैं 2007 में सेवानिवृत्त हो गया था।यह पूछने पर कि फिनमेक्कनिका के पक्ष में निविदा में उन्होंने कोई बदलाव किए थे तो त्यागी ने कहा कि वीवीआईपी हेलीकॉप्टर के लिए कर्मचारी गुणवत्ता आवश्यकता 2003 में तय की गई थी, जबकि इसके काफी बाद मैं वायुसेना प्रमुख बना और उसके बाद भारतीय वायुसेना ने जरूरतों में कोई बदलाव नहीं किए।सौदे के लिए ‘वायुसेना के पूर्व कैप्टन त्यागी’ सहित तीन कथित दलालों से उनके संबंधों के बारे में पूछे जाने पर पूर्व वायुसेना प्रमुख ने कहा कि वे उनके रिश्तेदार थे, लेकिन ये संबंध इससे आगे नहीं थे।खबरों में आज बताया गया कि इटली के जांचकर्ताओं ने इटली की अदालत में पेश प्रारंभिक जांच में आरोप लगाए कि फिनमेक्कनिका ने वीवीआईपी हेलिकॉप्टर सौदे को अपनी कम्पनी के पक्ष में करने के लिए तत्कालीन वायुसेना प्रमुख एसपी त्यागी को रिश्वत दी।विवादास्पद सौदे के सिलसिले में मंगलवार को इटली में फिनमेक्कनिका के प्रमुख की गिरफ्तारी के बाद रक्षा मंत्रालय ने आरोपों की सीबीआई जांच के आदेश दिए थे। हेलिकॉप्टर सौदे को अपने पक्ष में करने के लिए इटली की कंपनी द्वारा रिश्वत देने के आरोपों पर त्यागी ने कहा कि मैं झंझावातों का सामना कर रहा हूं।भारत के वीवीआईपी के लिए हेलिकॉप्टर सौदे में भारत में करीब 362 करोड़ रुपए की रिश्वत देने के संदेह में इटली की विमानन कंपनी के प्रमुख की गिरफ्तारी से एक और घोटाले का पर्दाफाश हुआ, जिससे सरकार ने सीबीआई की जांच के आदेश दिए। रक्षा मंत्रालय ने 12 में से शेष नौ हेलिकॉप्टर लेने से भी मना कर दिया है, जिसके लिए वर्ष 2010 में 3600 करोड़ रुपए का सौदा हुआ था।कुछ तो गड़बड़ है, जांच करो : सौदे की जांच का समर्थन करते हुए त्यागी ने कहा कि कुछ गड़बड़ तो है। उन्होंने कहा कि जब 2004 में मैं वायुसेना प्रमुख बना और 2007 में सेवानिवृत्त हुआ तो इस दौरान कोई बदलाव नहीं किए गए। उन्होंने कहा कि मेरी सूचना के मुताबिक कुछ नहीं किया गया जिससे संदेह होता है, लेकिन यह सच है कि अगर इतनी सारी रिपोर्ट हैं तो इसमें कुछ तो है।त्यागी ने कहा कि मुझे नहीं मालूम कि यह क्या है, लेकिन मैं सिर्फ इतना ही कह सकता हूं कि इसकी जांच होनी चाहिए। जांच होनी चाहिए ताकि सभी तथ्य सामने आ सकें। मैं न केवल जांच के लिए तैयार हूं बल्कि मैं जांच चाहता हूं।रिश्तेदार हैं पर संबंध नहीं : उन्होंने कहा कि घोटाला हुआ है। लोगों को इसके बारे में जानना चाहिए। उनके तीन रिश्तेदारों की कथित संलिप्तता के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि तथ्य यह है कि वे मुझसे संबंधित हैं, लेकिन उनसे कोई व्यावसायिक संबंध नहीं हैं। जब मैं सेवा में था तो वास्तव में उनके संपर्क में नहीं था।पूर्व वायुसेना प्रमुख ने कहा कि मेरे कार्यकाल के दौरान निविदा जारी हुई थी। आरोप है कि जिस अगस्ता वेस्टलैंड कंपनी को निविदा मिली वह इसके लिए सक्षम नहीं हो सकती थी अगर निविदा की आवश्यकताओं को नहीं बदला जाता। सिर्फ इन मामलों के लिए कोई मुझे रिश्वत देता।हेलीकॉप्टर सौदे पर प्रवर्तन निदेशालय की नजर : इतालवी रक्षा कंपनी से वीवीआईपी हेलीकाप्टर खरीद के संकट में पड़े सौदे पर प्रवर्तन निदेशालय की भी नजर है और संभावना है कि एजेंसी 3600 करोड़ रुपए के इस सौदे में रिश्वत दिए जाने के आरोपों की जांच के लिए एक आपराधिक मामला दर्ज कर सकती है। एजेंसी सूत्रों ने बताया कि प्रवर्तन निदेशालय ने उन दस्तावेजों पर गौर करना शुरू कर दिया है जो उसे अमेरिकी अटॉर्नी जनरल एडमंड एलेन से प्राप्त हुए थे। एलेन पूर्व में हथियार डीलर अभिषेक वर्मा से जुड़ा हुआ था और दस्तावेजों से यह संकेत मिले थे कि कंपनी अगस्तावेस्टलैंड द्वारा हेलीकाप्टर सौदे में रिश्वत दी गई।कंपनी का उल्लेख भारतीय रक्षा और सुरक्षा आवश्यकताओं के लिए उपयोगी साजो-सामान और सैन्य हेलीकाप्टरों की कथित खरीद के संदर्भ में किया गया था जो कि इतालवी रक्षा एवं एयरो स्पेस कंपनी फिनमेकैनिका के मुख्य कार्यपालक अधिकारी ग्यूसेप ओर्सी की गिरफ्तारी को लेकर खबरों में है।सूत्रों ने कहा कि प्रवर्तन निदेशालय सीबीआई के प्राथमिकी दर्ज करने के बाद धन शोधन निरोधक अधिनियम की कठोर धाराओं के तहत एक मामला दर्ज करने के संबंध में फैसला करेगा और वह विदेशी मुद्रा विनिमय प्रबंधन अधिनियम (फेमा) के तहत चल रही मौजूदा जांच पर भी गौर करेगा। आगे पढ़ें... वायुसेना मुख्यालय किराने की दुकान नहीं
वायुसेना मुख्यालय किराने की दुकान नहीं : उन्होंने कहा कि इसलिए मैं आपसे दो तीन बातें कहना चाहता हूं कि वायुसेना मुख्यालय जरूरतों को नहीं बदल सकता। यह किराने की दुकान नहीं है, बल्कि एक प्रणाली है। व्यवस्था है कि वायुसेना मुख्यालय केवल अनुशंसा कर सकता है लेकिन इसे मंजूरी नहीं दे सकता।
त्यागी ने कहा कि 2004 और 2007 के बीच कोई बदलाव नहीं हुए। त्यागी ने कहा कि अगर आपको याद होगा कि वर्ष 2000 में रक्षामंत्री जॉर्ज फर्नांडिस सियाचिन एवं अन्य जगहों पर जाते थे। इसलिए सोचा गया कि वीआईपी सियाचिन जाएंगे। इसलिए 18 हजार फुट की ऊंचाई पर विमान उड़ने चाहिए।
पूर्व वायुसेना प्रमुख त्यागी ने कहा कि अगर प्रधानमंत्री उनके साथ जाते हैं तो एसपीजी भी जाएगी। उनके निजी सचिव भी जाएंगे। इसलिए इसका वजन और तकनीक क्या होना चाहिए। इसलिए मैं इन चीजों के बारे में नहीं जानता, लेकिन 18 हजार फुट की ऊंचाई की बात हो रही थी।
वर्ष 2000 में जब वे निविदा की प्रक्रिया चला रहे थे तो उन्हें पता चला कि दुनिया में कोई भी ऐसा विमान नहीं बनाता जो 18 हजार फुट की ऊंचाई पर उड़ता हो। पूरी दुनिया में केवल फ्रांस का ही विमान 18 हजार फुट की ऊंचाई पर उड़ सकता था। वर्ष 2003 में सरकार ने कहा कि यह उपयुक्त नहीं है।
एसपीजी भी प्रक्रिया में शामिल होना चाहती थी : एसपीजी ने कहा कि हेलिकॉप्टर केबिन की ऊंचाई कम है और वे इसमें खड़ा नहीं हो सकेंगे। उन्होंने कहा कि चयन प्रक्रिया में एसपीजी भी शामिल होना चाहती थी।
त्यागी ने कहा कि ये बदलाव 2003 में हुए।
उन्होंने कहा कि इस बारे में मुझे सिर्फ इतना पता है कि एसपीजी और रक्षामंत्री के बीच विमान में फिटिंग के प्रकार को लेकर काफी पत्र व्यवहार हुआ जैसे कि एसपीजी आर्मर प्लेट लगवाना चाहती थी, लेकिन हमने कहा कि विमान नहीं उड़ेगा क्योंकि यह काफी भारी हो जाएगा। यह टैंक हो जाएगा। (भाषा)