केन्द्रीय गृह मंत्रालय कर्नाटक के घटनाक्रम को लेकर चिंतित है और उसने वहाँ की स्थितियों का गंभीर संज्ञान लिया है। सूत्रों का कहना है कि प्रथम दृष्टया संविधान की दसवीं अनुसूची यानी दल बदल विरोधी कानून का दुरूपयोग हुआ है।
मंत्रालय में उच्च पदस्थ सूत्रों ने बताया कि निर्दलीयों को अयोग्य करार देने के मामले में दलबदल विरोधी कानून का अधिक दुरूपयोग हुआ है।
उन्होंने कहा कि दसवीं अनुसूची निर्दलीयों पर लागू नहीं होती और इसलिए उन्हें अयोग्य ठहराने का कोई सवाल ही नहीं उठता है।
सूत्रों ने कहा कि भाजपा के असंतुष्ट विधायकों के मामले में भी सिर्फ दो आधार पर अयोग्य ठहराया जा सकता है। पहला यदि विधायक स्वेच्छा से पार्टी से इस्तीफा दे दें और दूसरा यदि वे व्हिप के खिलाफ मतदान करें।
सूत्रों के मुताबिक इसलिए मतविभाजन से पूर्व भाजपा विधायकों को अयोग्य ठहराने का भी कोई सवाल नहीं है।
सूत्र कर्नाटक विधानसभा अध्यक्ष के जी बोपय्या द्वारा विश्वास मत से पूर्व 16 विधायकों को अयोग्य ठहराए जाने पर टिप्पणी कर रहे थे। (भाषा)