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कश्मीर को आजाद करने में कोई बुराई नहीं...

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नई दिल्ली। वरिष्ठ पत्रकार, लेखक और राजनीतिक विश्लेषक वेदप्रताप वैदिक भारत के मोस्ट वांटेड आतंकवादी हाफिज मोहम्मद सईद से मिलने के बाद काफी सुर्खियों में हैं। इसको लेकर देशभर में उनकी काफी आलोचना भी हो रही है। अपनी पाकिस्तान यात्रा के दौरान उन्होंने टीवी चैनल डॉन को इंटरव्यू भी दिया था, जिसमें उन्होंने कहा था कि कश्मीर को आजाद करने में कोई बुराई नहीं है

वैदिक ने अपनी इसी बात को आगे बढ़ाते हुए कहा कि यदि कश्मीर आजाद होता है ‍तो वह भारत से ज्यादा पाकिस्तान के लिए सिरदर्द साबित होगा और सबसे बड़ी कि वह खुद कश्मीर के लिए भी घातक कदम होगा। उन्होंने कहा कि यदि कश्मीर अलग होता है तो न तो उसके पास अपने रास्ते हैं, न ही वे चीजें हैं जो एक मुल्क को जिंदा रहने के लिए चाहिए। उसके पास न उद्योग हैं और न ही संसाधन।

भारत और पाकिस्तान के बीच जारी विभिन्न विवादों के सवाल पर वैदिक ने कहा कि दरअसल, पाकिस्तान के दिल में डर बैठा हुआ है कि भारत 1947 में हुए बंटवारे को कबूल नहीं करता। यहां के लोगों की राय भी इससे इतर नहीं है। हकीकत में पाकिस्तान को यह बात अपने दिल से निकाल देना चाहिए क्योंकि कश्मीर से लेकर केरल और असम से लेकर गुजरात तक भारत में कोई भी यह बात नहीं कहता। वैदिक ने कहा कि लेकिन, पाकिस्तान कश्मीर को झपटना चाहता है। वह कश्मीर के लोगों को भड़काता है। पाक भारत से बराबरी करने के चक्कर में काफी आगे बढ़ जाता है।

उन्होंने कहा कि मैं पाकिस्तान को अलग नहीं समझता। भारत और पाकिस्तान को भाई की तरह रहना चाहिए। वैदिक ने कहा कि भारत मेरी एक आंख हैं तो पाकिस्तान दूसरी। कोई भी अपनी दूसरी आंख को नहीं फोड़ना चाहेगा। हालांकि उन्होंने कहा कि भारत दरियादिली दिखानी चाहिए। हालांकि वे मानते हैं कि दोनों तरफ के कुछ लोग वोटों की राजनीति के चलते चाहते हैं कि झगड़ा बना रहे। भारत और पाकिस्तान तो इस्लाम से पहले आर्यों के जमाने से एक रहे हैं। तब हिंदुइज्म और बौद्ध धर्म भी नहीं था।

पाकिस्तानी सेना के बारे में बात करते हुए वैदिक ने कहा कि पाकिस्तान में जब भी कई बड़ी होती है वह सेना ही करती है। इस संदर्भ में उन्होंने 1965, 1971 और कारगिल युद्ध का उदाहरण दिया। तीनों लड़ाइयों के समय पाकिस्तान पर हुकूमत सेना की ही थी। जबकि भारत की सेना आज्ञाकारी है। उन्होंने कहा कि सबसे पहले पाकिस्तान को अपने भीतर बैठे डर को दूर करना चाहिए। लेकिन, यहां के लोग अपने डर की दवा सेना को मान बैठे हैं।

कश्मीर पर और क्या बोले वैदिक... इंटरव्यू का वीडियो भी देखें... पढ़ें अगले पेज पर...



उन्होंने कहा कि कश्मीर पर बातचीत होनी चाहिए, लेकिन हल दोनों कश्मीर के लोगों को मंजूर होना चाहिए। कश्मीर मामले में उन्होंने संयुक्त राष्ट्र की भूमिका से साफ इनकार किया। हालांकि उन्होंने कश्मीर की आजादी के बजाय कश्मीरियों की आजादी की बात कही। उन्होंने कहा कि कश्मीर का अलग मुख्‍यमंत्री और राज्यपाल होना चाहिए। सत्ता पर नियंत्रण कश्मीरियों का हो अर्थात खुद पर खुद की हुकूमत। भारत और पाकिस्तान को उसकी मदद करनी चाहिए। उन्होंने कहा कि श्रीनगर और मुजफ्फराबाद में रहने वाले लोगों को आजादी की जरूरत है।

वेदप्रताप वैदिक का विस्तृत वीडियो इंटरव्यू...

वीडियो सौजन्य : यूट्‍यू


वैदिक ने कहा कि कश्मीर जो दोनों मुल्कों के बीच 'दरार' का काम कर रहा है, दरअसल उसे पुल बनना चाहिए। इसके लिए बड़े दिमाग की जरूरत है और दोनों ही मुल्कों में ऐसे लोग हैं भी। उन्होंने कहा कि 1000 मील का सफर की शुरुआत एक कदम से होती है। वैदिक ने दक्षेस देशों के साथ ही ईरान, बर्मा समेत 16 देशों का एक महासंघ भी बनाने की वकालत की। बड़े फ्रेमवर्क से समस्याएं सुलझ सकती हैं।

भारत की वर्तमान सरकार की विदेश नीति के संबंध सवाल पर वैदिक ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी काफी बुद्धिमान हैं। अपने शपथ समारोह में शार्क देशों के प्रमुखों को बुलाकर बुद्धिमत्ता का परिचय दिया है। उन्हें मुसलमानों ने भी स्वीकारा है। उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ भी 1940-50 वाला संगठन नहीं रहा। संघ के वर्तमान प्रमुख मोहन भागवत काफी संतुलित और सुलझे हुए विचारों वाले व्यक्ति हैं। उन्होंने केन्द्र की पूर्ववर्ती यूपीए सरकार को भ्रष्ट बताया।

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