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जल्द हो मृत्युदंड की तामील

10 अक्टूबर अंतरराष्ट्रीय मृत्युदंड निरोधक दिवस पर विशेष

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हमें फॉलो करें मृत्युदंड फाँसी की सजा
नई दिल्ली , शनिवार, 9 अक्टूबर 2010 (14:53 IST)
मौत की सजा पर रोक लगाने तथा अपराधियों को सुधरने का मौका देने की पुरजोर माँग के बीच कुछ लोगों का यह भी मानना है कि जघन्य अपराध के चलते किसी को मौत की सजा मिलने पर उसका यथाशीघ्र पालन होना चाहिए, ताकि लोगों का न्यायपालिका में विश्वास बना रहे।

उच्चतम न्यायालय की वरिष्ठ अधिवक्ता कमलेश जैन का मानना है कि चयनित मामलों में मृत्युदंड दिया जाना जरूरी है और जिन्हें मृत्युदंड दिया जाए, उनकी इस सजा का पालन जल्द से जल्द होना न्यायिक तंत्र में लोगों का विश्वास बहाल रखने के लिए जरूरी है।

कमलेश ने कहा ‘अपराधियों को आज चार-पाँच साल की बच्चियों के साथ दुष्कर्म करके उनकी हत्या करने से भी गुरेज नहीं हो रहा। ऐसे मामलों में अगर मौत की सजा नहीं दी जाएगी, तो समाज पर इसका क्या असर पड़ेगा, इस बारे में सोचा जा सकता है। जो मामले मानवीय भावनाओं को बहुत ज्यादा प्रभावित करते हैं, उनमें मौत की सजा देना न्याय तंत्र बना कर रखने के लिए जरूरी है।’

मौत की सजा देने से ज्यादा अहम उसका समय पर पालन होने को बताते हुए कमलेश ने कहा ‘मौत की सजा दे भी दी जाए, पर उसका लंबे समय तक पालन न हो, इसका भी समाज पर नकारात्मक असर पड़ता है। जघन्यतम मामलों को अन्य मामलों से पृथक करते हुए उनमें मृत्युदंड की पुष्टि संबंधी प्रक्रिया जल्द पूरी होनी चाहिए, ताकि इससे सभी को सबक मिले।'

हालाँकि मृत्युदंड का विरोध करने वालों के भी अपने अलग तर्क हैं। मृत्युदंड के विरोधियों का तर्क है कि मौत के बदले मौत से किसी अपराध को रोका नहीं जा सकता। (भाषा)

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