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...तो आर्थिक गुलामी में जकड़ जाएगा भारत

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लखनऊ , शनिवार, 25 सितम्बर 2010 (22:43 IST)
भाजपा के पूर्व नेता और राजनीतिक विचारक गोविंदाचार्य ने भारतीय अर्थव्यवस्था में बढ़ते विदेशी दखल पर चिंता जताते हुए कहा है कि अगर यही ढर्रा चलता रहा तो देश आर्थिक गुलामी की बेड़ियों में जकड़ जाएगा।

गोविंदाचार्य ने शनिवार को पंडित दीनदयाल उपाध्याय की जयंती के अवसर पर यहाँ आयोजित ‘वैश्विक दबाव और स्वदेशी अर्थनीति’ विषयक गोष्ठी को संबोधित करते हुए कहा कि उन्हें आशंका है कि निकट भविष्य में दो ऐसे फैसले लिए जाने वाले हैं, जो भारत के लिए आर्थिक दृष्टि से खतरनाक साबित होंगे।

उन्होंने कहा कि अक्टूबर में भारत-यूरोप आर्थिक संधि होने वाली है। इसके अलावा दुनिया की सबसे बड़ी खुदरा प्रतिष्ठान श्रृंखला वालमार्ट को भारत में कारोबार की इजाजत देने की भी तैयारी है। ये दोनों ही फैसले भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए नुकसानदेह साबित होंगे।

गोविंदाचार्य ने कहा कि विश्व व्यापार संगठन के जरिए भारतीय अर्थव्यवस्था की जड़ें खोद पाने में नाकाम रहने के बाद अब यूरोपीय देश भारत-यूरोप संधि के जरिए अपना आधिपत्य बढ़ाना चाहते हैं।

उन्होंने आरोप लगाया कि दुनिया के 60 से ज्यादा देशों में कारोबार करने वाली अमेरिकी कम्पनी वालमार्ट के समर्थन में दबाव बनाने के लिए अमेरिका की विदेशमंत्री हिलेरी क्लिंटन भारत आने वाली हैं।

गोविंदाचार्य ने कहा कि सभी राजनीतिक पार्टियाँ विदेश परस्त हो गई हैं। परमाणु दायित्व विधेयक पर देश की राजनीतिक पार्टियों के रवैये का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि पहले तो विपक्ष ने इस विधेयक का विरोध किया, लेकिन बाद में विदेशी दबाव के आगे घुटने टेक दिए।

उन्होंने कहा कि विदेशी दबाव और अर्थनीति के बारे में जब हम फुरसत में सोचेंगे तो पाएँगे कि हम अपने ही हाथ-पैर काट रहे हैं। गोविंदाचार्य ने कहा कि देश की अर्थव्यवस्था के मूल आधार यानी कृषि की निरन्तर उपेक्षा हो रही है। उन्होंने कहा कि कृषि क्षेत्र में रोजगार की अपार संभावनाएँ होने के बावजूद देश में इस क्षेत्र में सार्वजनिक निवेश में पिछले 10 साल से जरा भी वृद्धि नहीं हुई है। कृषि के विकास के बिना देश तरक्की नहीं कर सकती।

पूर्व भाजपा नेता ने कहा कि देश का विकास सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) का नहीं बल्कि समृद्धि और संस्कृति के संतुलन का नाम है।

अयोध्या विवाद : गोविंदाचार्य ने अयोध्या में विवादित जमीन के मालिकाना हक के मुकदमे के फैसले पर उच्चतम न्यायालय द्वारा गत 23 सितम्बर को रोक लगाए जाने संबंधी प्रश्न पर कहा कि यह किसी व्यक्ति, संगठन या पार्टी का मुद्दा नहीं बल्कि भारत की जनाकांक्षा और आस्था का मामला है। उन्होंने कहा कि इस मामले का हल बातचीत से भी संभव नहीं लगता। ऐसे में एकमात्र रास्ता रह जाता है कि सरकार इसके लिए कानून बनाए।

गोविंदाचार्य ने दावा किया कि मुकदमे में अदालत का फैसला अर्थहीन होगा। उन्होंने कहा कि जहाँ तक विवाद को सुलझाने का सवाल है तो न्यायालय ज्यादा से ज्यादा उस विवादित जमीन के मालिकाना हक का फैसला कर सकती है।

गोविंदाचार्य ने कहा कि उन्होंने राम मंदिर मुद्दे का बातचीत के जरिए हल निकालने की हर मुमकिन कोशिश की थी, लेकिन सफलता नहीं मिली। उन्होंने किसी पक्ष की तरफ इशारा किए बगैर कहा कि कोई बातचीत तभी सफल होती है, जब मन साफ हो। पूर्व भाजपा नेता ने कहा कि मंदिर बनाने को लेकर देश के हिन्दू और मुसलमान एकमत हैं, लेकिन देश के सियासतबाज इस मुद्दे को लेकर गड़बड़ी कर रहे हैं। (भाषा)

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