...तो हम फिर उठ नहीं पाएँगे-न्यायमूर्ति खान
लखनऊ , शुक्रवार, 1 अक्टूबर 2010 (18:55 IST)
राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद विवाद में अपना फैसला सुनाते हुए न्यायमूर्ति एसयू खान ने चेताया कि यदि छह दिसंबर 1992 की घटना दोहराई जाती है तो देश फिर दोबारा खड़ा नहीं हो पाएगा।उन्होंने दोनों पक्षों को भगवान राम के त्याग और पैगंबर मोहम्मद की सहिष्णु प्रकृति के बारे में याद दिलाया। न्यायमूर्ति खान ने कहा कि उपशीषर्क विध्वंस के तहत मैंने हमारी सहनशीलता की प्रशंसा की है। हालाँकि हमें याद रखना चाहिए कि ऐसी घटनाएँ बार-बार न हों। एक बार और ऐसा हुआ तो हम खड़े नहीं हो पाएँगे। 1992 की तुलना में आज विश्व काफी तेजी से आगे बढ़ रहा है। हमें कुचला जा सकता है।अपने 285 पृष्ठ के फैसले में उन्होंने विभिन्न समुदायों के बीच आपसी समन्वय पर जोर दिया ताकि विश्व में जीवित रहा जा सके। उन्होंने ब्रिटिश वैज्ञानिक चार्ल्स डार्विन का हवाला देते हुए कहा कि केवल वही प्रजातियाँ जीवित रहीं, जिन्होंने सहयोग और सुधार किया।यह उल्लेख करते हुए कि उच्च न्यायालय द्वारा दिया गया फैसला विवाद में अंतिम शब्द नहीं है। उन्होंने कहा कि अत्यधिक कठिन घड़ी फैसला सुनाए जाने के बाद आएगी। उन्होंने दोनों पक्षों को भगवान राम के त्याग पैगंबर मोहम्मद की सहिष्णु प्रकृति के बारे में याद दिलाया।खान ने कहा कि क्योंकि फैसला मामले में अंतिम निर्णय नहीं कर रहा और अत्यधिक कठिन घड़ी इसके बाद आएगी इसलिए मैं दोनों पक्षों को निम्नलिखित चीजें याद दिलाता हूँ। भगवान राम की महान चारित्रिक विशेषताओं में से एक त्याग है।न्यायमूर्ति खान ने कहा कि जब पैगंबर मोहम्मद ने प्रतिद्वंद्वी समूह हुदयबियाह से संधि की तो उनके कट्टर समर्थकों को भी ऐसा लगा कि यह समर्पण है। हालाँकि कुरान में इसे स्पष्ट विजय के रूप में करार दिया गया है और ऐसा साबित भी हो गया। वहाँ थोड़े से समय में ही मुसलमान विजेता के रूप में मक्का में प्रवेश कर गए और रक्त की एक बूँद भी नहीं गिरी। (भाषा)