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नक्सलियों का खूनी खेल, शांतिपूर्ण चुनाव बड़ी चुनौती

हमें फॉलो करें नक्सलियों का खूनी खेल, शांतिपूर्ण चुनाव बड़ी चुनौती

रवि भोई

रायपुर , बुधवार, 12 मार्च 2014 (11:49 IST)
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रायपुर। लोकसभा चुनाव के पहले नक्सलियों ने फिर छत्तीसगढ़ में खूनी खेल खेला। मंगलवार को जिला मुख्यालय जगदलपुर से करीब 50 किलोमीटर दूर तहकबाड़ा में एंबुश लगाकर घात लगाए नक्सलियों ने सीआरपीएफ व जिला बल के 15 जवानों को उड़ा दिया। हादसे में एक ग्रामीण की भी मौत हो गई व तीन जवान बुरी तरह घायल हैं।

सीआरपीएफ के जवानों को उड़ाने के पीछे नक्सलियों का मुख्य मकसद लोकसभा चुनाव में दहशत फैलाना है। नक्सली लोकसभा चुनाव का बहिष्कार का ऐलान किया है, ऐसे में वे किसी भी परिस्थिति में शांतिपूर्ण चुनाव नहीं चाहते हैं। वहीं बस्तर क्षेत्र में पिछले कुछ महीनों में केंद्रीय बल की तैनाती से नक्सली भारी दबाव में हैं, उसके कई नेता आत्मसमर्पण के लिए मजबूर हुए हैं और संघम सदस्य भी नक्सलियों से दूर होने लगे हैं।

मंगलवार की घटना से नक्सल इलाके शांतिपूर्ण चुनाव बड़ी चुनौती बन गई है। चुनाव प्रचार पर भी आज की घटना का असर पड़ेगा। हालांकि विधानसभा चुनाव में नक्सली बड़ी वारदात को अंजाम नहीं दे पाए थे, लेकिन इस बार वे अपनी वजूद बचाए रखने के लिए चुनाव के दौरान हिंसा फैला सकते हैं।

घटनास्थल झीरमघाटी से मात्र सात किलो दूर है, जहां मई 2013 में नक्सलियों ने कांग्रेस के नेताओं को मौत के घाट उतारा था। घटना सुबह करीब 10 बजे की है। सीआरपीएफ व जिला बल के जवान सड़क निर्माण में लगे मजदूरों को सुरक्षा देने जा रहे थे, तब घात लगाकर नक्सलियों ने उन्हें निशाना बना लिया।

सीआरपीएफ लगातार नक्सलियों पर दबाव बनाए हुए है। इसके अलावा उसने कई नामी नक्सलियों को आत्मसमर्पण के लिए भी मजबूर किया है। इसमें नक्सली नेता गुडसा उसेण्डी कमेत कई बड़े नाम हैं। इससे नक्सली नाराज चल रहे थे। वहीं सीआरपीएफ के दबाव के चलते आदिवासी युवक नक्सलियों से दूर हो रहे थे। नक्सली अपने अस्तित्व को बचाए रखने के लिए घटना को अंजाम दिया।

नक्सलियों छत्तीसगढ़ में लोकसभा चुनाव के बहिष्कार का एलान किया है। इस कारण पहले से आशंका व्यक्त की जा रही थी कि नक्सली लोकसभा चुनाव के दौरान हिंसा कर सकते हैं। बस्तर में मतदान 10 अप्रैल को होना है। इसके लिए सुरक्षा बल के जवान अभी से मुस्तैद हो गए हैं। करीब 40 हजार जवान अकेले बस्तर इलाके में तैनात हैं।

एडीजी नक्सल ऑपरेशन आरके विज ने बताया कि सड़क बनाने वालों को सुरक्षा देने के लिए तोंकापाल से सीआरपीएफ व जिला बल का एक दल सुबह निकला था। इसमें 44 जवान शामिल थे। जवान तीन हिस्सों में बंटे थे। दो दल आगे निकल चुका था। तीसरे दल को तोंकापाल से पांच किलोमीटर दूर एंबुश से उड़ाया गया। इसके बाद पुलिस व सीआरपीएफ के जवानों ने भी जवाबी हमला किया। इसमें कुछ नक्सलियों के हताहत होने की खबर है। घटना स्थल चारों से पहाड़ियों से घिरा है। इस घटना को करीब 250-300 नक्सलियों ने अंजाम दिया।

पुलिस के अनुसार जवान राजेन्द्र गावड़कर,युसूफ कुमार पिस्दा,आदित्यकुमार शाह, नकुल ध्रुव,फैजल हक, प्रदीप कुमार, मनोज, लखविंदर सिंह, नीरज कुमार, सुभाषचंद्र, मेहरसिंह, टीआर सिंह, कौशलसिंह व सोमनाथ शहीद हो गए हैं। मृतक ग्रामीण का नाम विक्रम निषाद बताया जा रहा है। घायल मनोजसिंह, महिलाल ठाकुर व अजय सेठिया को रायपुर को रामकृष्ण केयर अस्पताल में भर्ती कराया गया है।

घटना के तत्कालबाद डीजीपी एएन उपाध्याय, एडीजी इंटेलिजेंस मुकेश गुप्ता व एडीजी नक्सल आपरेशन आरके विज घटनास्थल पर गए। मुख्यमंत्री डा. रमनसिंह ने अपनी दिल्ली यात्रा अधूरी छोड़कर रायपुर लौट आए और उच्च स्तरीय बैठक लेकर घटना की समीक्षा की। रमनसिंह ने घटना की कड़े शब्दों में घटना की निंदा करते हुए इसे राष्ट्रीय समस्या बताया।

सीआरपीएफ के जवान लगातार नक्सलियों के आसान शिकार बनते जा रहे हैं। नक्सलियों ने सबसे पहले ताड़मेटला में सीआरपीएफ के 76 जवानों को मौत के घाट उतारा। इस घटना के बाद नक्सली लगातार छत्तीसगढ़ में अपने मंसूबे को अंजाम देते आ रहे हैं। नक्सलियों ने सबसे बड़ी वारदात 25 मई 2013 को की, जिसमें प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष नंदकुमार पटेल, कांग्रेस नेता विद्याचरण शुक्ल, महेंद्र कर्मा व अन्य लोग शहीद हो गए। इसके सीआरपीएफ के जवान छिटपुट रूप में नक्सलियों के शिकार हो रहे हैं।

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