उच्चतम न्यायालय और उच्च न्यायालयों के न्यायाधीशों के खिलाफ आम जनता की शिकायत पर कार्रवाई का रास्ता सुनिश्चित करने वाले एक विधेयक को कैबिनेट ने मंगलवार को हरी झंडी दिखा दी।
प्रधानमंत्री मनमोहनसिंह की अध्यक्षता में हुई केन्द्रीय मंत्रिमंडल की बैठक में संशोधित विधेयक का प्रस्ताव मंजूर किया गया। सूचना प्रसारण मंत्री अंबिका सोनी ने बताया कि यह विधेयक अब संसद में पेश किया जाएगा।
उन्होंने बताया कि न्यायिक मानक एवं जवाबदेही विधेयक उच्चतम न्यायालय और उच्च न्यायालयों के न्यायाधीशों के खिलाफ शिकायतों की जाँच का तंत्र उपलब्ध कराता है। न्यायाधीशों द्वारा उनकी संपत्तियों और देनदारियों की घोषणा के मानक भी यह विधेयक तय करता है।
अंबिका ने कहा कि संप्रग सरकार विधायिका, कार्यपालिका और न्यायपालिका सहित हर क्षेत्र में पारदर्शिता सुनिश्चित करना चाहती है और यह विधेयक उसी प्रयास का हिस्सा है।
उन्होंने बताया कि 14वीं लोकसभा भंग होने के कारण यह विधेयक निरस्त हो गया था इसलिए अब संशोधित विधेयक फिर से संसद में पेश किया जाएगा। यह विधेयक न्यायाधीश जाँच कानून की जगह लेगा, लेकिन कानून के मूलभूत प्रावधान इसमें रहेंगे।
अंबिका ने कहा कि यह विधेयक जबरदस्ती थोपा नहीं जा रहा है बल्कि व्यापक चर्चा और न्यायपालिका की रजामंदी से लाया जा रहा है। यह उच्च न्यायपालिका में अधिक पारदर्शिता सुनिश्चित करेगा। (भाषा)