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...पर नौकरशाही से हारे

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हमें फॉलो करें दशरथ माँझी नौकरशाही हारे
नई दिल्ली (एजेंसी) , रविवार, 12 अगस्त 2007 (00:00 IST)
बाईस साल तक अकेले ही छैनी-हथौड़े से पहाड़ के सीने को चीर कर सड़क बना डालने वाले 73 वर्षीय दशरथ माँझी की छैनियाँ नौकरशाही के पहाड़ के आगे कुंद पड़ गई हैं।

गंभीर बीमारी का शिकार होकर यहाँ अभा आयुर्विज्ञान संस्थान में भर्ती कराए गए दशरथ माँझी उर्फ बाबा का इलाज करने के मामले में चिकित्सा अधिकारी कई तकनीकी पेंच खड़े कर उनके लिए समय पर जरूरी दवाओं का इंतजाम कर पाने में असमर्थता दिखा रहे हैं।

उनका उपचार कर रहे वरिष्ठ डॉक्टरों ने बताया कि पित्ताशय के कैंसर से पीड़ित दशरथ ओझा की हालत काफी गंभीर है और एक-दो दिन तक दवा न लाने के कारण उन्हें दवाइयाँ नहीं दी गई। लेकिन अब उन्हें एंटी बायोटिक तथा अन्य जरूरी दवाइयाँ दी जा रही हैं तथा उनके एक-दो छोटे ऑपरेशन भी किए जा चुके हैं।

बाबा की तिमारदारी के लिए बिहार से उनके साथ आए संजय ने बताया कि पैसा नहीं होने के कारण डॉक्टरों ने जो महँगी दवाइयाँ लिखकर दी थीं, वे नहीं खरीद पाए। इसलिए दो दिन तक बाबा बिना दवा के रहे और डॉक्टरों ने भी उन्हें ये दवाइयाँ नहीं दी। हालाँकि संजय ने बताया कि डॉक्टर यह लगातार कह रहे हैं कि बाबा की हालत गंभीर है।

प्राइवेट वार्ड में भर्ती होने से दिक्कत : एम्स के डॉक्टरों का कहना है कि दरअसल पेचीदगी यह है कि बाबा को प्राइवेट वार्ड में भर्ती कराया गया है, जिसका रोज का किराया 1800 रुपए है। इस वार्ड में भर्ती होने वाले रोगी को अस्पताल से दवाइयाँ नहीं दी जातीं, केवल पर्ची लिखकर दी जाती हैं। जिन्हें उन्हें खुद लाकर डॉक्टर को देना होता है। डॉक्टरों ने यह माना कि एक-दो दिन बाबा के साथ आए लोग दवाइयाँ नहीं लाए थे, लेकिन अब वे दवाइयाँ ले आए हैं।

डॉक्टरों ने बताया कि यदि बाबा को प्राइवेट वार्ड के बजाय जनरल वार्ड में भर्ती कराया जाता, तो समाज कल्याण अधिकारी से कहकर उन्हें संस्थान की ओर से दवाइयाँ उपलब्ध कराई जा सकती थीं।

नीतिश कुमार ने भर्ती करवाया : बिहार के मुख्यमंत्री नीतिश कुमार ने माँझी की बीमारी के बारे में पता चलते ही उन्हें एम्स में भर्ती कराने के लिए विशेष रूप से अनुरोध किया था और बिहार भवन को उनकी ठीक प्रकार से देखभाल करने के निर्देश दिए थे।

बाबा के साथ आए संजय का कहना है कि उन्हें महँगे वार्ड में भर्ती तो करा दिया गया है, लेकिन उनके इलाज के लिए पैसे उपलब्ध नहीं कराए जा रहे हैं, जिसके कारण उन्हें समय पर दवाइयाँ आदि नहीं मिल पा रही हैं।

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