भारत अमेरिका परमाणु समझौते पर संप्रग को बाहर से समर्थन दे रहे वाम दलों से बढ़ते तनाव के बीच प्रधानमंत्री मनमोहनसिंह सोमवार को संसद के दोनों सदनों में अपनी ओर से इस विवादास्पद समझौते पर बयान देकर लोगों की आशंकाओं को दूर करने का प्रयास करेंगे।
सरकार इस बात से परेशान है कि परमाणु समझौते पर उसे राजग और तीसरे मोर्चे (यूएनपीए) जैसे विपक्षी गठबंधनों का ही नहीं, बल्कि उसे बाहर से समर्थन दे रहे वाम मोर्चे के तीखे बाणों का भी सामना करना होगा।
राजग और तीसरा मोर्चा मत विभाजन के नियमों के तहत इस विवादास्पद करार पर चर्चा कराए जाने की पहले ही माँग कर चुके हैं।
प्रधानमंत्री विश्वास व्यक्त कर चुके हैं कि परमाणु समझौते पर सरकार गिरने जैसी नौबत नहीं आएगी और वाम दलों से विवाद का सौहार्दपूर्ण हल निकल आएगा।
वाम दलों को सरकार से समर्थन वापस लेने की चुनौती देने वाले सिंह अपने कड़े रुख को नरम करने का प्रयास करते हुए सफाई दे चुके हैं कि वह एक परिस्थितिजन्य बयान था।
विपक्षी राजग को भी उम्मीद है कि सरकार और वाम दल कोई बीच का रास्ता निकालकर संकट का समाधान कर लेंगे। इसलिए उसने सदन में जबर्दस्त हंगामा मचाकर दोनों पर राष्ट्र हितों की अनदेखी करने का आरोप लगाते हुए इस समझौते पर मत विभाजन वाले नियम के तहत चर्चा करने का दबाव बनाने का मन बनाया है।
तीसरे मोर्चे ने भी परमाणु समझौते और तमिलनाडु में अन्नाद्रमुक नेता जयललिता और उत्तरप्रदेश में सपा नेताओं मुलायमसिंह यादव तथा अमरसिंह की संबंधित राज्य सरकारों द्वारा की जा रही कथित घेराबंदी के विरोध में सरकार पर दबाव बनाने की पूरी तैयारी की हुई है।
गेहूँ आयात में कथित घोटाले की सीबीआई से जाँच कराने और सभी फसलों के समर्थन मूल्य में 100 रुपयों की वृद्धि करने की माँग को लेकर भाजपा ने सरकार को घेरने की रणनीति तैयार की है।
दबाव बनाने के लिए पूर्व प्रधानमंत्री अटलबिहारी वाजपेयी के नेतृत्व में 20 अगस्त को किसानों की एक रैली रामलीला मैदान से संसद भवन तक कूच करेगी।