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पाँच मुकदमें, 60 साल, हजारों पेज का निर्णय!

कोर्ट नम्बर 21 पर है देश की नजर

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- लखनऊ से अरविन्द शुक्ल

WD
देश भर की निगाहें इलाहाबाद हाईकोर्ट लखनऊ बेंच के कमरा नम्बर 21 पर हैं, जहाँ अयोध्या विवाद से सम्बधित चार मुकदमों का फैसला 30 सितम्बर को आने वाला है। इस विवाद से सम्बंधित एक मुकदमा पहले वापस लिया जा चुका है। आने वाला अदालती फैसला एक या अधिक हो सकता है तथा इसे आठ हजार से दस हजार पृष्ठों के होने की संभावना है।

इस मुकदमे के कोर्ट निर्णय की सत्यापित प्रति लेने के लिए एक रुपए प्रति पृष्ठ के हिसाब से धनराशि देय होगी। फैसला चाहे जो भी हो, असन्तुष्ट पक्ष के लिए सर्वोच्च न्यायालय जाने का रास्ता खुला है और वह वहाँ अवश्य जाएगा। आने वाले संभावित हजारों पेजों वाले निर्णय की प्रति पक्षकारों के वकीलों को उपलब्ध होगी। उन्हें तत्काल निर्णय की प्रति उपलब्ध कराने तथा निर्णय का ऑपरेटिव पार्ट भी उपलब्ध कराने की व्यवस्था सुनिश्चित की जा रही है।

इस मामले के पक्षकारों ने निर्णय की प्रति इंटरनेट, ई-मेल के जरिए प्राप्त करने के सभी उपाय मुस्तैदी से कर लिए हैं। कई वकीलों ने नए लैपटॉप सिर्फ इस निर्णय की प्रति नेट से प्राप्त करने के लिए खरीदें हैं।

इलाहाबाद उच्च न्यायालय लखनऊ बेंच में मीडिया के प्रवेश पर पाबन्दी है। रजिस्ट्रार ने प्रेस, मीडिया के लिए कलेक्टर कम्पाउंड में विशेष इंतजाम करने के लिए जिला प्रशासन को निर्देश दिए हैं। रजिस्ट्रार ने सूचित किया है कि अयोध्या निर्णय प्राप्त करने के लिए विशेष वेबसाइट पर अयोध्या मामले पर कोर्ट के आदेश का ऑपरेटिव पार्ट का निर्णय और पूर्ण निर्णय उपलब्ध रहेगा।

प्रेस मीडिया से कहा गया है कि वे कोर्ट के निर्णय की प्रति एवं आदेश के ऑपरेटिव पार्ट की प्रति प्राप्त किए बिना कोर्ट के निर्णय को लेकर संम्भावनाओं, अटकलों की खबरों से सावधानी बरतें।

1992 तक जहाँ बाबरी मस्जिद बनी हुई थी, उस जमीन के मालिकाना हक से सम्बन्धित इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच के तीन जजों की एक विशेष अदालत पाँच मुकदमों की सुनवाई पूरी होने के बाद उस पर अपना फैसला 30 सितम्बर को तीसरे पहर 3.30 बजे सुनाएगी।

इन चार मुकदमों की सुनवाई के बाद फैसला आने में लगभग 60 वर्ष लगे। अयोध्या मामले की सुनवाई करने उच्च न्यायालय की विशेष पीठ पिछले 21 साल में 13 बार बदल चुकी है और 1989 से अब तक कुल 18 उच्च न्यायालय के न्यायाधीश इस मामले की सुनवाई कर चुके हैं।

इन मुकदमों में लगभग कुल 92 इश्यू बने। इन सम्पूर्ण मुकदमें मे कुल 82 गवाहों का परीक्षण हुआ। हिन्दू पक्ष के 54 गवाहों ने कुल 7128 पृष्ठों में गवाहियाँ दी तथा मुस्लिम पक्ष के 28 गवाहों ने 3343 पृष्ठों में अपनी गवाहियाँ दीं। एएसआई रिपोर्ट आने के बाद हिन्दू पक्ष के चार गवाहों ने 1209 पृष्ठों में तथा मुस्लिम पक्ष के 8 गवाहों ने 2311 पृष्ठों में अपनी गवाहियाँ दीं थीं।

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अयोध्या मामलें में स्वामित्व को लेकर फैसला सुनाने वाले यह तीन महत्वपूर्ण जज हैं जस्टिस एसयू खान, जस्टिस सुधीर अग्रवाल एवं जस्टिस धर्मवीर शर्मा। प्रदेश सरकार को अयोध्या विवाद पर फैसला देने वाले न्यायाधीशों और हाईकोर्ट परिसर की सुरक्षा को लेकर चिन्ता बढ़ती जा रही है।

पूर्णपीठ के एक जज द्वारा सुरक्षा माँगे जाने के मद्देनजर तीनों जजों व हाईकोर्ट परिसर की सुरक्षा के खास इंतजाम किए गए हैं। जिलाधिकारी अनिल सागर ने कहा है कि फैसला सुनाने वाले सभी तीनों जजों की सुरक्षा बढा दी गई है।

जिलाधिकारी ने बताया कि हाईकोर्ट के आसपास का एरिया प्रतिबन्धित एरिया घोषित किया गया है। कल 30 सितम्बर को जिले में जुलूस निकालने पर प्रतिबन्ध लगा दिया गया है। शराब तथा आतिशबाजी की दूकानें को बन्द रहेंगी। शहर में कई स्थानों पर आज भी सुरक्षा बलों ने फ्लैग मार्च किया। उच्च न्यायालय के निकट कैसरबाग बस अड्‍डे में सुबह 6 बजे से बसों का संचालन ठप्प रहेगा।

डीआईजी राजीव कृष्ण ने बताया कि शहर को सुरक्षा की दृष्टि से 8 जोन और 19 सेक्टर में विभाजित किया गया है। 23 स्थानों को अतिसंवेदनशील माना जा रहा है जहाँ विशेष इंतजाम किए जा रहे हैं। 900 स्पेशल पुलिस अधिकारी नियुक्त किए गए है। शहर में अब तक 1400 लोगों को एहतियातन गिरफ्तार किया जा चुका है। एक स्कूल को अस्थाई जेल बनाने के लिए चिन्हित किया जा चुका है। कॉमनवेल्थ गेम्स में जाने वाले पुलिस बल जो अभी नहीं गया है उसको रोक लिया गया है।

उच्च न्यायालय के चारों तरफ बैरीकेडिंग की जा रही है। परिसर में कुल मिलाकर 2000 सुरक्षाकमियों की तैनाती होगी। उच्च न्यायालय परिसर में पुलिस, पीएसी रैपिड एक्शन फोर्स तथा अर्धसैनिक बल सुरक्षा में लगा दिए गए है। 6 एडीएम व 20 एसडीएम न्यायालय परिसर तथा न्यायाधीशों, वरिष्ठ वकीलों की सुरक्षा प्रबन्धों पर नजर रखेंगे।

न्यायालय परिसर में वॉटर कैनन, अग्निशमन दस्ता, आँसू गैस और बम निरोधक दस्ते की भी तैनाती की जा रही है। परिसर के हर गेट पर मेटल डिटेक्टर तथा सीसीटीवी कैमरे लगाए जा रहे हैं। बिना परिचय पत्र के किसी भी परिसर के अन्दर प्रवेश लेने नहीं दिया जा रहा है।

मुख्यमंत्री मायावती ने प्रधानमंत्री को पत्र लिखकर सुरक्षा बलों की 650 कम्पनियों की माँग की है। सुरक्षा को दृष्टि में रखते हुए राज्य के कानून व्यवस्था की किसी समस्या से निपटने के लिए हवाई सर्वेक्षण भी किया जाएगा।

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