प्रदूषण की शिकार गंगा-यमुना जैसी नदियों, तालाबों और अन्य जल स्रोतों को स्वच्छ और कीटाणुमुक्त रखने में सीप की भूमिका अहम हो सकती है, क्योंकि सीप केवल जैविक रत्न मोती ही नहीं बनाता, बल्कि एक दिन में लगभग 15 गैलन पानी भी शुद्ध कर देता है।
पर्ल एक्वाकल्चर के क्षेत्र में काफी कम उम्र में अंतरराष्ट्रीय ख्याति हासिल करने वाले डॉ. अजय कुमार सोनकर ने कहा कि किसी भी बाई (वाल्व) जीव में जलशोधन की अद्भुत क्षमता होती है और सीप पानी से एक बार का भोजन खाने की प्रक्रिया में लगभग 15 गैलन पानी को स्वच्छ और कीटाणुमुक्त कर देता है। एक सीप फार्म एक दिन में तीन करोड़ से 10 करोड़ गैलन पानी शुद्ध बना देता है।
उन्होंने बताया कि सीपों में पानी के अंदर धातु के प्रभाव को कम करने की क्षमता की अमेरिकी नौसेना भी कायल है। वहाँ के हवाई द्वीप में बेहद सुरक्षा वाले क्षेत्र में अमेरिकी नौसेना के अनुरोध पर सीप (आयस्टर) फार्म खोले गए ताकि नौसेना के जहाजों से छूटने वाले जंग से होने वाले प्रदूषण को खत्म किया जा सके।
वर्ल्ड पर्ल एक्वाकल्चर की बुलेटिन में बाई वाल्व जीवों के फिल्टर करने की अद्भुत क्षमता का विवरण दिया गया है। इसके अनुसार सीप पानी में धातु के असर को समाप्त करने की क्षमता भी रखता है और वह आँखों से न देखे जा सकने वाले दो माइक्रान छोटे कण को भी पानी से अलग कर देता है।