कांची पीठ के शंकराचार्य जयेंद्र सरस्वती ने कहा कि बाबरी-रामजन्मभूमि मुद्दे पर इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने एक ‘अच्छा फैसला’ सुनाया, जो बातचीत पर आधारित समझौते की राह खोलेगा और सांप्रदायिक सौहार्द कायम करेगा।
उन्होंने कहा कि फैसले में जमीन को तीन भागों में बाँटने को कहा गया है। यदि दोस्ताना तरीके से सभी पक्ष मुद्दे पर बातचीत और कुछ लेने के बदले कुछ देने की नीति पर अमल करें तो श्रीराम मंदिर जरूरी जमीन पर बनाया जा सकता है।
किसी जमाने में अयोध्या मुद्दे पर मध्यस्थ की भूमिका निभा चुके जयेंद्र ने कहा कि मठ, नेता और शंकराचार्यों, मुस्लिम लॉ बोर्ड, वक्फ बोर्ड, न्यास (नृत्य गोपालदास के तहत), अखाड़ा संप्रदाय (जिसे जमीन का एक हिस्सा देने को कहा गया है) सहित सभी धार्मिक दलों को आपस में मिल-बैठकर इस मुद्दे पर चर्चा करनी चाहिए।
जयेंद्र सरस्वती ने कहा कि फैसले को 24 सितंबर से 30 सितंबर तक टालने से लोगों के मनोमस्तिष्क में कोई गलत कदम उठाने के खिलाफ परिपक्वता आई।
उन्होंने कहा कि अहम चीज यह है कि शांति बनी रहनी चाहिए और बातचीत पर आधारित समझौते की धीरे-धीरे शुरुआत निश्चित तौर पर होनी चाहिए। (भाषा)