बाबरी विध्वंस आपराधिक कृत्य-गृहमंत्री
नई दिल्ली , शुक्रवार, 1 अक्टूबर 2010 (23:33 IST)
गृहमंत्री पी. चिदंबरम ने शुक्रवार को कहा कि इलाहाबाद उच्च न्यायालय का फैसला किसी भी तरीके से 1992 में हुए बाबरी मस्जिद के विध्वंस को उचित नहीं ठहराता है और यह अब भी ‘अस्वीकार्य’ और ‘आपराधिक कृत्य’ बना हुआ है।चिदंबरम ने संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा कि इस फैसले का उस कृत्य से कोई लेना-देना नहीं है जिसे छह दिसंबर 1992 को अंजाम दिया गया था।उन्होंने कहा कि मेरी नजर में यह अब भी आपराधिक कृत्य बना हुआ है। 1992 में जो कुछ भी हुआ था, कृपया उसे उचित ठहराने के किसी भी प्रयास को (लखनउ पीठ के) न्यायाधीशों के हवाले से मत दीजिए। चिदंबरम उन सवालों का जवाब दे रहे थे जिनमें उनसे पूछा गया था कि क्या इलाहाबाद उच्च न्यायालय के कल के फैसले से बाबरी मस्जिद विध्वंस से जुड़े मामले हलके हुए हैं।अयोध्या मुद्दे पर फैसले पर लोगों की ‘सम्मानजनक और मर्यादित’ प्रतिक्रिया पर संतोष जाहिर करते हुए उन्होंने कहा कि केंद्र की यथास्थिति बरकरार रखने और समूचे देश में कानून व्यवस्था को कायम रखने के अलावा कोई भूमिका नहीं है।चिदंबरम ने कहा कि ऐसी धारणा है कि विवाद पर इलाहाबाद उच्च न्यायालय की लखनऊ पीठ के फैसले को उच्चतम न्यायालय में ले जाया जाएगा और वह अंतरिम आदेश पारित कर सकता है और इसे सुनवाई के लिए स्वीकार कर सकता है। उन्होंने कहा कि केंद्र की अब कोई भूमिका नहीं है। न्यायाधीशों ने स्थगनादेश दिया है और यथास्थिति बरकरार रखने को कहा है। फैसला फिलहाल प्रभावी नहीं है।गृहमंत्री ने कहा कि फैसला हालाँकि महत्वपूर्ण दस्तावेज है, लेकिन यह प्रभावी नहीं है। ऐसी धारणा है कि उच्चतम न्यायालय में अपील दायर की जा सकती है। खेलों पर खतरा नहीं : सरकार ने राष्ट्रमंडल खेलों पर आतंकी खतरे की आशंका से इनकार करते हुए इस संबंध में आ रही खबरों को निराधार बताया। केन्द्रीय गृहमंत्री चिदंबरम ने कहा कि जनता को जाकर बिना किसी भय के खेलों का आनंद उठाना चाहिए। उन्होंने कहा कि थोक एसएमएस और एमएमएस पर प्रतिबंध फिलहाल लागू रहेगा। माओवादी जन अदालतें : चिदंबरम ने कहा कि नक्सल प्रभावित इलाकों में भाकपा-माओवादी की हिंसा जारी है और निर्दोष लोगों को सरे आम सजा देने तथा बर्बर ढंग से मौत के घाट उतारने का फरमान सुनाने वाली जन अदालतों की संख्या में बढ़ोतरी हुई है।(भाषा)