दिल्ली उच्च न्यायालय के न्यायाधीश आरएस सोढ़ी ने कहा है कि चर्चित जेसिका लाल और प्रियदर्शनी मट्टू हत्या मामलों की अपेक्षा 64 करोड़ रुपए के बोफोर्स घोटाला प्रकरण में फैसला करना उनके लिए ज्यादा कठिन था। न्यायाधीश सोढ़ी कल अपने पद से सेवानिवृत्त हो रहे हैं।
31 मई 2002 को दिए गए फैसले का जिक्र करते हुए न्यायाधीश ने कहा कि बोफोर्स मामले में सुनवाई के दौरान सारी दुनिया की निगाहें मेरे ऊपर टिकी थीं। ऐसे में इस मामले में फैसला सुनाना मेरे लिए कठिन था।
इस मामले में 2002 को दिए अपने फैसले में न्यायाधीश सोढ़ी ने तीनों हिंदुजा भाइयों के खिलाफ दाखिल आरोप पत्र को खारिज कर दिया था। आरोप पत्र को इस आधार पर खारिज किया गया कि सीबीआई ने इसे दाखिल करने से पहले केंद्रीय सतर्कता आयोग की मंजूरी नहीं ली थी।
हिंदुजा बंधुओं पर 1986 के रक्षा सौदा मामले में भारत सरकार से कमीशन लेने का आरोप था। उन्होंने कहा सीबीआई द्वारा विभिन्न स्त्रोतों से एकत्रित किए गए कई दस्तावेजों को खंगालना मेरे लिए बेहद कठिन था। उनमें से कुछ दस्तावेज स्वीडन से प्राप्त किए गए थे।