उच्चतम न्यायालय ने 14 साल पुराने प्रियदर्शिनी मट्टू बलात्कार एवं हत्या मामले में संतोषकुमार सिंह को दोषी ठहराए जाने के फैसले को बरकरार रखा लेकिन उसकी मौत की सजा को उम्र कैद की सजा में तब्दील कर दिया।
न्यायमूर्ति एचएस बेदी और न्यायमूर्ति सीके प्रसाद की पीठ ने कहा कि उसे दोषी ठहराए जाने का फैसला यथावत है।
बहरहाल, पीठ ने कहा कि हमारे विचार से, कुछ बातें निश्चित रूप से अपीलकर्ता के पक्ष में हैं। हम उसकी मौत की सजा को उम्र कैद की सजा में परिवर्तित कर रहे हैं। संतोषसिंह की अपील पर उच्चतम न्यायालय ने 29 जुलाई को अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था।
दिल्ली विश्वविद्यालय में विधि के छात्र सिंह ने इसी संकाय की तृतीय वर्ष की छात्रा प्रियदर्शिनी के साथ जनवरी 1999 में बलात्कार किया और फिर उसकी हत्या कर दी थी।
निचली अदालत ने तीन दिसंबर 1999 को सिंह को बरी कर दिया था। लेकिन दिल्ली उच्च न्यायालय ने 27 अक्टूबर 2006 को निचली अदालत का फैसला पलटते हुए उसे बलात्कार एवं हत्या का दोषी ठहराया।
सीबीआई ने उच्चतम न्यायालय में सिंह की मौत की सजा बरकरार रखने का अनुरोध करते हुए कहा कि उच्च न्यायालय ने उसे दोषी साबित करने वाले सबूतों पर विचार कर उन्हें सही पाया था। (भाषा)